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Monday, July 18, 2016

सावन की फुहार और वायरल फीवर की मार ---


सावन का महीना यूँ तो बड़ा रोमांटिक होता है , सभी बारिश का इंतज़ार बड़ी बेसब्री से कर रहे होते हैं। छोटे छोटे जीव जंतुओं से लेकर , मेढक , मयूर यहाँ तक कि इंसानों का भी मन हिलोरें लेने लगता है। लेकिन दुनिया के सबसे सूक्ष्म जीव वायरस भी इन दिनों बहुत सक्रीय होकर मनुष्यों पर हल्ला बोलकर हमला कर देते हैं।  नतीजा होता है वायरल बुखार जिसका न कोई सर होता है न पैर , फिर भी सर से लेकर पैर तक आपके बदन को तोड़ मरोड़ कर , धोकर , निचोड़ डालता है। वैसे तो यह बुखार एक दिन में भी उतर सकता है लेकिन सब वायरस की मर्ज़ी पर निर्भर करता है कि उसे आपसे कितना प्यार है। वह चाहे तो सन्डे से सन्डे तक भी आपका मेहमान बना रहकर मुफ्त की रोटियां तोड़ सकता है , जबकि आप पूरे सप्ताह एक रोटी भी नहीं खा पाते।

इसकी एक खासियत यह भी है कि बुखार देने वाला वायरस डॉक्टर्स से भी नहीं डरता। इसलिए यह न जाने कितने डॉक्टर्स की इज़्ज़त दांव पर लगा देता है क्योंकि जब रोगी का बुखार उतरेगा ही नहीं तो डॉक्टर तो हो गया ना नाकाम। यदि एक सप्ताह चल गया तो आप कम से कम तीन डॉक्टर तो बदल ही लेंगे।  आखिर फ़तेह उस डॉक्टर की  होती है जो सातवें दिन देखता है। उस डॉक्टर की दवा तो जैसे रामबाण साबित होती है। हालाँकि यह घटना क्रम यूँ ही चलता रहता है और कभी एक डॉक्टर का नाम तो कभी दूसरे का नाम रौशन होता रहता है।

अब नज़र डालते हैं वायरस की कारिस्तानियों पर।  वायरस एक बार नाक या गले में आया नहीं कि महबूब की खुशबू की तरह सांसों में समा जाता है। फिर खांसी खुर्रा , नज़ला जुकाम , सर दर्द , बदन दर्द  और भी न जाने क्या क्या शारीरिक प्रतिक्रियाएं होने लगती हैं जो आपके बदन को हल्दीघाटी का मैदान समझ लेती हैं। वायरस की प्रजनन क्षमता भी ऐसी होती है कि हमारे देशवासियों की प्रजनन क्षमता भी शरमा जाये। २४ घंटे में एक से बढ़कर एक मिलियन होना इनका बाएं हाथ का खेल है। फिर रक्त स्नान करते हुए ये वायरस जब शरीर के हर अंग में प्रवेश करते हैं तब पूरा शरीर कंपकपाने लगता है , दांत किटकिटा कर तबला बजाते हैं , नाक सीटी बजाकर आने वाले आहार रहित स्टेशन के आने की सूचना देने लगते हैं।

एक सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें डॉक्टर्स का भी कोई अस्त्र शस्त्र काम नहीं आता है।  बल्कि पैरासिटामोल के अलावा कोई और यंत्र है तो वो है सादे पानी में कपडा भिगोकर सारे शरीर को हौले हौले से सहलाते हुए पुचकारना। वायरस बस इसी अर्चना को पसंद करता है।  यदि गलती से भी आपने कोई और बाण चलाने की कोशिश की तो ये आपके खून को पानी पानी कर सकता है जिससे लाले की जान को ही लाले पड़ सकते हैं।  

लेकिन कहते हैं कि हर बुराई में भी अच्छाई होती है। एक बार वायरल फीवर आपको हो जाये , फिर चाहे वो एक दिन रहे या एक सप्ताह , अन्जाने में आपके कई काम कर जाता है। आप जो वर्षों से सोचते रहते हैं कि एक दिन डाईटिंग शुरू करेंगे , लेकिन निष्क्रिय रहते हुए खा खा कर वेट और पेट दोनों बढ़ा लेते हैं , वायरल होने पर आपके तन और मन दोनों की सारी एक्स्ट्रा चर्बी झड़ जाती है और आप तन से स्लिम, कोमल और मन से निर्मल सा महसूस करते हैं। अब यदि ७ दिन तक आप सिर्फ पानी , शरबत या सूप ही लेते रहेंगे तो आ गई ना आपको आर्ट ऑफ़ लिविंग।

कभी कभी हमें लगता था कि वायरस और डॉक्टर का रिश्ता थोड़ा सा अलग होता है।  इसलिए कम से कम एक डॉक्टर को तो स्टाफ समझकर ही सही , कुछ कन्सेशन मिलता होगा।  लेकिन इस महंगाई के ज़माने में अब वायरस ने डॉक्टर्स को ये रियायत देनी बंद कर दी है। ज़ाहिर है , अब वायरस ने डॉक्टर्स से डरना बंद कर दिया है।  वैसे भी ये कौन से बच्चे हैं जो सफ़ेद कोट या डॉक्टर की सूई से डर जायेंगे।      



   

4 comments:

  1. स्लिम होने की बधाई , और वायरस भाई का भी धन्यवाद आपको और ब्यूटीफुल बना दिया !

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  2. लेकिन कहते हैं कि हर बुराई में भी अच्छाई होती है। एक बार वायरल फीवर आपको हो जाये , फिर चाहे वो एक दिन रहे या एक सप्ताह , अन्जाने में आपके कई काम कर जाता है। आप जो वर्षों से सोचते रहते हैं कि एक दिन डाईटिंग शुरू करेंगे , लेकिन निष्क्रिय रहते हुए खा खा कर वेट और पेट दोनों बढ़ा लेते हैं , वायरल होने पर आपके तन और मन दोनों की सारी एक्स्ट्रा चर्बी झड़ जाती है और आप तन से स्लिम, कोमल और मन से निर्मल सा महसूस करते हैं। अब यदि ७ दिन तक आप सिर्फ पानी , शरबत या सूप ही लेते रहेंगे तो आ गई ना आपको आर्ट ऑफ़ लिविंग।

    ------ये बढ़िया है।

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  3. मस्त क़िस्सा ... अब वाईरल लगता है भूल गया होगा या उसे पता चल गया होगा आपके रीटाइर होने का ... वरना कभी ना आता ... ख़ैर इसी बहाने हमको बहुत कुछ पता चल गया इसके बारे में ...

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  4. शानदार जानदार लेख।

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