आज सिर्फ एक मुक्तक :
ज़िंदगी के सफ़र में, हमसफ़र अनेक होते हैं,
कोई बेवफ़ा, कुछ बेग़ैरत, कुछ नेक होते हैं ।
इंसान के कर्म ही बनाते हैं इंसान को शैतान,
वर्ना बन्दे जन्म से तो मासूम हरेक होते हैं ।
अब देखें इसी का हास्य रूप :
ज़िंदगी के सफ़र में, हमसफ़र अनेक होते हैं,
कोई बेवफ़ा, कुछ बेग़ैरत, कुछ नेक होते हैं ।
अच्छी सूरत देख कर झांसे में न आओ यारो ,
फेसबुक पर दिखते चेहरे अक्सर फेक होते हैं।
फेसबुक के मोहपाश से बचना मुश्किल से नामुमकिन होता जा रहा है. ऐसे में अच्छी नसीहत.
ReplyDeleteआपको हिंदी दिवस पर शुभकामनायें.
शुक्रिया जी।
Deleteहास्य रूप ज्यादा पसंद आया :)
ReplyDeleteहास्य तो हमेशा पसंद ही होता है। :)
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