कई दिनों के बाद आज ज़रा फुरसत मिली है तो मूड फ्रेश सा लग रहा है ! ऐसे मे ज़ेहन मे कुछ शे'र आ रहे हैं ! शे'र लिखने का यह नया तज़ुर्बा है :
उनको शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते ,
कैसे बतायें बिन उनके हम रह नहीं सकते !
तुम्हे देखूँ तो दिल की दुनिया आबाद होती है ,
तेरी एक झलक से पूरी मन की मुराद होती है !
कुछ पल की दूरी भी ना सही जाये ये जुदाई ,
तू खुदा नहीं पर बसती है तुझ मे ही खुदाई !
ऐसा नहीं कि एक हम ही हैं तेरे चाहने वाले ,
कोई नहीं लेकिन जग मे हम जैसे मतवाले !
तारीफ़ तेरी करे कोई तो जलता है 'तारीफ',
मिलेगा भला कोई यहाँ हम जैसा शरीफ !
वाह बेहतरीन डाक्टर साहब
ReplyDeleteशुक्रिया कुश्वंश जी !
Deleteअच्छी शायरी है ताऊजी काफी दिन बाद पढ़ी है मैने शायरी....आखरी क्या करें शायरी दिल के करीब होती है..इसलिए पढ़ते ही दिल में कुछ कुछ होता है...इसलिए पढ़ने से दूर भागता हूं..पर क्या करूं कई बार आपकी तरह अनेक लोगो को निमित बनाकर कमबक्ती शायरी मुझसे तेजे दौड़ लगाकर आगे आकर खड़ी हो जाती है और कहती'''''चल पढ़ मुझे''''
ReplyDeleteहा हा हा ! लगे रहो ...
Deleteकुछ पल की दूरी भी ना सही जाये ये जुदाई ,
ReplyDeleteतू खुदा नहीं पर बसती है तुझ मे ही खुदाई !
क्या बात है ..वाह वाह .. बना रहे शायराना मूड.
:)
Deleteसच्ची ताऊजी मेरे जैसा शरीफ कहीं नहीं मिलेगा..पर वो मानी नी....
ReplyDeleteबने रहो शरीफ़ ... वो मानेगी !
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