मुंबई से दमन हालांकि मात्र १८० किलोमीटर दूर है लेकिन एक रात रुकने के बाद आपको देखने को कुछ विशेष नहीं मिलेगा ! यदि आप दो रात रुकने के लिये आये हैं तो एक बढिया विकल्प है सिलवासा की सैर ! दमन से सिलवासा मात्र २५ किलोमीटर दूर है और उसी सड़क पर पड़ता है जिससे होकर आप हाईवे से दमन पहुंचते हैं ! दमन से सीधी सड़क हाईवे को पार कर दादरा होती हुई सिलवासा को जाती है ! दादरा भी दमन की तरह केन्द्रशासित प्रदेश है जबकि सिलवासा गुजरात मे पड़ता है !
यूँ तो दादरा सिलवासा सड़क काफी धूल भरी लगी लेकिन सिलवासा के बायीं ओर का क्षेत्र बहुत हरा भरा है ! शहर से पहले ही एक पार्क है जिसमे एक सुन्दर झील बनी है ! विश्वास नहीं होता कि एक वर्णनातीत शहर मे इतना खूबसूरत पार्क कैसे अनुरक्षित है !
झील के चारों ओर और हरी भरी घास के मध्य फुटपाथ बने हैं जिस पर चलकर यूँ लगता है जैसे हम मेडिटेशन कर रहे हों ! हालांकि बाहर सड़क पर वतावरण धूल मिश्रित था , लेकिन हरी हरी घास और उसके बीच धोलपुर स्टोन मे बना फुटपाथ ऐसा लग राहा था जैसे बारिश मे नहाया हुआ हो !
सिलवासा शहर से बाहर निकलते ही बायीं ओर ही एक छोटी सी सड़क जाती है जो मधुबन रिजर्वायर को जाती है ! घनी हरियाली के बीच से होकर एक पतली सी सड़क डैम तक जाती है जिसके पास के छोर पर एक सरकारी रेस्ट हाउस बना है जिसके बाहर से आम जनता रिजर्वायर से बनी सुन्दर विशाल झील का सुन्दर नज़ारा देख सकती है ! क्योंकि हम स्वयं एक सरकारी अफसर हैं , इसलिये हमने यह लुत्फ अंदर जाकर उठाया ! यहीं पर बने रेगुलेटर से निकलती है दमन गंगा नाम की नदी जो दमन जाकर अरब सागर से मिलती है !
डैम से वापस आते हुए रास्ते मे एक छोटा सा टाईगर सफारी है जो बड़ा निराशाज़नक लगा ! बहुत कम क्षेत्र मे एक अकेली मरियल सी शेरनी को देखने के लिये एक रिकेटी गाड़ी मे बैठकर घूमना २५ रुपये प्रति सवारी भी समय और धन की बर्बादी ही लगी ! ज़ाहिर है , इसे आसानी से छोड़ा जा सकता है ! मेन रोड पर आकर थोड़ा आगे बढ़ने पर एक डियर पार्क भी बना है जहां यदि फालतू समय हो तो जाया जा सकता है ! हालांकि लंच के बाद शाम को ३-६ बजे तक ही खुला रहता है !
इस रिज़रवायर से बनी झील इतनी विशाल है कि मीलों तक बस पानी ही पानी दिखाई देता है जिसके बीच हरे भरे टापू भी नज़र आते हैं ! झील के आखिरी छोर तक जाने के लिये और ३० किलोमीटर आगे जाना पड़ता है ! मेन रोड़ से मुड़ने के बाद जल्दी ही घनी हरियाली से होती हुई सुन्दर सड़क छोटे छोटे गांवों से होती हुई पहाड़ी क्षेत्र मे आ जाती है ! यहाँ ऐसा लगता है जैसे हम किसी खूबसूरत हिल स्टेशन पर जा रहे हों ! एक जगह पर सबसे ऊंचे स्थान से झील का नज़ारा अत्यंत रमणीक दिखाई देता है !
घने पेडों के बीच से झील का एक और दृष्य !
पहाड़ से सड़क धीरे धीरे ढलान पर होती हुई घाटी मे आ जाती है जहाँ हरे भरे समतल क्षेत्र से होती हुई कभी उपर कभी नीचे होती हुई हिचकोले खिलाती हुई सड़क पर गाड़ी सरपट दौड़ती है ! यहाँ आकर सफ़र और भी सुहाना हो जता है ! ऐसा लगता है जैसे हम किसी सुनसान इलाके मे जा रहे हों ! लेकिन अन्तत : दूधनी नाम का एक कस्बा दिखाई देता है जहाँ स्कूल , चिकित्सा केन्द्र और अन्य सरकारी दफ्तर दिखाई देते हैं जिन्हे देखकर लगता है जैसे जंगल मे मंगल हो गया हो !
इक्के दुक्के मकानों से बने दूधनी कसबे के अन्त मे बना है यह पर्यटन विभाग का रेस्ट हाउस जिसके खूबसूरत हरे भरे लॉन को देखकर ही यहाँ एक रात बिताने का मन करने लगता है ! इसमे कई कोटेजिज बनी हुई हैं , हालांकि हमने इसमे रुकने के लिये सम्बन्धित जानकारी हासिल नहीं की ! लेकिन झील किनारे बने इस रेस्ट हाउस को देखकर ही आनंद आ जाता है !
और यह है झील का किनारा दूधनी एंड पॉइंट , जहाँ से आप झील मे बोटिंग करने के लिये बोट और शिकारा किराए पर ले सकते हैं ! चार व्यक्तियों की बोट का किराया था २०० रुपए , आधे घंटे के लिये ! बोटिंग के लिये इतना खूबसूरत प्लेटफार्म हमने पहले कभी नहीं देखा !
यूँ तो डैम से बनी झील काफी बड़ी है और विशाल क्षेत्र मे फैली है , लेकिन पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण झील के आस पास अनेक गांव और खेत खलिहान नज़र आते हैं ! झील भी छोटे छोटे टुकडों मे बटी नज़र आती है ! लेकिन हौले हौले बहती पवन झील के पानी मे छोटी छोटी लहरें पैदा करती हैं जिन पर जब सूर्य की किरणें गिरती हैं तो ऐसा लगता है जैसे झील के पानी मे सोने के टुकडे बिखर गए हों !
चप्पू से चलने वाली बोट करीब आधे घंटे मे एक टापू पर पहुंच जाती है जहाँ हम आधे घंटे तक रुक कर प्रकृति का आनंद ले सकते हैं ! इसके लिये टोटल किराया २५० रुपए है ! यहाँ एक खूबसूरत बगीचा बनया गया है जिसके चारों ओर खूबसूरत कोटेज बनी हैं जहाँ आप रात के लिये रुक सकते हैं !
यह स्थान बहुत खूबसूरत लगा और यदि पहले पता होता तो यहा रुकने का प्रबन्ध किया जा सकता था जो अपने आप मे एक अनुपम अनुभव होता ! चारों ओर पहाड़ और उनके बीच मे झील जैसे एक स्वर्गिक अहसास देती हुई !
इस सुहाने सफ़र से वापस आकर शाम को समुद्र किनारे बने रेस्ट्रां के बार मे बैठकर चिल्ड बियर पीते हुए सागर की लहरों को देखना वास्तव मे शब्दों मे अवर्णनीय एक सुखद अहसास है ! लेकिन यह तभी सम्भव है जब आप अपने किसी खास के साथ हों और दिलों मे प्यार हो ! इसलिये यदि संभव हो या कभी अवसर मिले तो अपनी इच्छाओं का दमन न करते हुए आप दमन जाइये और मुंबई के करीब एक पर्यटक स्थल का आनंद लीजिये !
waah ji,
ReplyDeletemazaa aa gayaa.
bahut sunder or hare-bhare photos daale hain aapne.
lekin, duur kahin kisi taapu yaa gaon mein night stay karnaa kyaa females ke liye safe hain.??
bahut achchhaa yaatraa varnan kiyaa hain aapne.
thanks.
CHANDER KUMAR SONI
अक्सर पर्यटन स्थलों पर इस तरह की कोई दिक्कत नहीं होती है !
Deleteदमन को आपने इस खूबसूरती से कैद किया है की बहुत कुछ न होते भी प्राकृतिक खूबसूरती देखने को मन कर आता है ...
ReplyDeleteऔर फिर कोई ख़ास साथ हो तो वैसे भी हर जगह ख़ास हो जाती है ...
नदी , झील , पहाड़ , हरियाली सदा ही मन मोह लेते हैं !
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (27-10-2014) को "देश जश्न में डूबा हुआ" (चर्चा मंच-1779) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपके साथ भारत के दर्शनीय स्थलों का भ्रमण हम भी कर रहे हैं इन आलेखों के सहारे। शुक्रिया डॉ साहब!
ReplyDeletedaman to dekha hai par silwasa jane ka kabhi avsar nahi aaya --ab aapki post padhkar sochti hu ki ek baar to ja hi sakte hai--
ReplyDeleteचीकू का ज़िक्र नहीं
ReplyDeleteवर्णन पठनीय और दर्शनीय है -आभार !
ReplyDeleteAapke shabdo se fir sair krli humne...chitr behad manbhawan...sunder prastuti!!
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ReplyDeleteसुहाना सफ़र और मौसम हसीं...खुबसूरत साथी है साथ ..खोने का भी डर नही .... :-)
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत दृश्य और चित्र भी !
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