भाग -२
मित्रो, हंसने के लिए स्वाभाविक होना अति आवश्यक है , साथ ही जिंदगी के प्रति अपना रवैया बदलना भी जरुरी है। जीवन की छोटी छोटी बातों से , घटनाओं से, कुछ न कुछ हास्य निकल आता है, जिसे फ़ौरन पकड़ लेना चाहिए और उसे हँसी में तब्दील कर देना चाहिए। ऐसा करके न सोर्फ़ आप हंस सकते हैं बल्कि दूसरों को भी हंसा सकते हैं। याद रखिये जो लोग हँसते हैं , वो अपना तनाव हटाते हैं, लेकिन जो हंसाते हैं वो दूसरों के तनाव भगाते हैं। यानी हँसाना एक परोपकारिक कार्य है। तो क्या आप यह सवोप्कार एव्म परोपकार नही करना चाहेंगे?
जिंदगी का मंत्र --
हर हाल में जिंदगी का साथ निभाते चले जाओ,
किंतु हर ग़म , हर फ़िक्र को , धुएँ में नही ,हँसी में उडाते जाओ।
आप पिछली बार दिल खोलकर कब हँसे थे , जरा सोचियेगा जरूर!
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बिल्कुल सही फरमाया.
ReplyDeleteआपने बिलकुल सही कहा कि जो लोग हँसते हैं , वो अपना तनाव हटाते हैं, लेकिन जो हंसाते हैं वो दूसरों के तनाव भगाते हैं...
ReplyDeleteअरे!..वाह...आपके और मेरे विचार तो कितने मिलते-जुलते हैं... :-)
मैंने एक कहानी"हर फ़िक्र को धुंए में उड़ाता चला गया" के नाम से लिखी थी लेकिन उसके जरिये मैंने हर गम...हर फ़िक्र को हँसी में उड़ाने का प्रयास किया था...अब उसी कहानी को एक बार फिर से पुन: संपादित कर पोस्ट करने का इरादा है