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Monday, January 12, 2009

भीख दोगे तो बनोगे भिखारी

अभी कुछ दिन पहले अखबार में पढ़ा कि भीख दोगे तो सजा मिलेगी। रोड रेगुलशन्स १९८९, के नियम २२ (अ) के अंतर्गत आपको १०० रूपये जुर्माना हो सकता है। यानि एक रुपया भीख दोगे तो १०० रूपये कि वात लगेगी। अब मैंने तो ये ज्ञान सप्त.२००२ में ही पा लिया था तो मैंने तो डर कर भीख देना बंद कर दिया। पर लगता है कि दिल्ली वाले बहुत बहादुर लोग हैं। तभी तो रेड लाइट पर गाड़ी रोकते ही भिखारियों का एक सैलाब सा आ जाता है। और भिखारी भी ऐसे कि गलती से आपने एक बार उनकी तरफ़ देख लिया तो फ़िर बिना कुछ लिए पीछा नही छोड़ने वाले। इसका उपाय मैंने तो ये खोजा है कि बिना उनकी तरफ़ देखे हाथ हिला कर इशारा करो कि जा-जा। वो अपने आप समझ जाते हैं कि ये खडूस कुछ नही देने वाला। लेकिन आजकल भिखारी भी बड़े हाई -टेक्क हो गए हैं। कई बार तो पता ही नही चलता कि भिखारी कौन और दाता कौन है। ऐसी ही एक दास्ताँ सुनाता हूँ।

एक चौराहे पर जब मैं रुका और नजर घुमाई ,
फुटपाथ पर खड़े एक भिखारी ने जेब से मोबाईल निकला और कॉल लगाई।
और उधर से कोई पुकारा, दीनानाथ आज तुम्हारी वी आई पी रूट पर ड्यूटी है।
भिखारी बिगड़ गया और बोला सौरी, मेरी सी एल लगा देना , आज मेरी छुट्टी है।
नही भाई, वी आई पी ड्यूटी से मेरा लॉस हो जाएगा भारी,
अरे नेताओं से क्या मिलेगा , वो तो ख़ुद ही हैं भिखारी
जब भी चुनाव होते हैं , ये हाथ जोड़ खड़े होते हैं,
और इस गठबंधन के ज़माने में चुनाव भी तो रोज होते हैं।
इसके बाद और भी बहुत वार्तालाप हुई, पर भावनाओं की कदर करते हुए उसे परदे के पीछे ही रहने देते हैं। लेकिन मैं उससे इतना प्रभावित हुआ कि मैंने सोचा कि इससे गुफ्तगू करनी चाहिए और भिखारियों के बारे में कुछ ज्ञान प्राप्त करना चाहिए । मैंने गाड़ी साइड में रोकी और, उसके पास गया और उससे पूछा --

भाई, भीख क्यों मांगता है, तू तो अच्छा खासा हत्ता कट्टा है।
वो बोला जनाब उसूल की बात है , ये मेरा खानदानी पेशा है।
मैंने कहा अच्छा भीख मांग कर कितना कम लेते हो ?
वो बोला, बस यूँ समझिये ठीक ठाक गुजारा चल जाता है।
कोठी का किराया, कार की किस्त, मोबाइल का बिल ,
और बच्चों की फीस का खर्चा निकल आता है।
मैंने कहा -बच्चे भी पद्गते हैं?
बोला-जी हाँ, बड़े वाला तो ऑल इंडिया इन्जिनीरिंग में फस्ट आया है,
और छोटे वाले को तीस लाख देकर अभी मेडिकल कॉलेज में भरती कराया है।
मैंने कहा इतने पैसे वाले हो तो किराये पर क्यों रहते हो?
वो बोला भैय्या तुम नही समझोगे ये का चक्कर है। अब देखिये ये का ही कमाल है कि अक्षर से कितने सीरियल बनाकर कपूर (एकता) कितनी कमाई कर गई। और ये का ही करिश्मा है कि क..क..क करते करते एक खान साहब किंग खान बनकर कहाँ से कहाँ कूच कर गए।
मैंने कहा अच्छा कुछ काम धधा क्यों नही करते?
बोला करता हूँ न , मेरा एक्सपोर्ट इंपोर्ट का काम है,
भीख मांगने का काम तो पार्ट टाइम है।
दरअसल मैं किराये पर भिखारी हूँ, असली मालिक तो ठेकेदार है।
पर सोचता हूँ कि अपनी एजेंसी खोल दूँ, बस नए टेंडर का इन्तजार है।
मैंने कहा -अपनी एजेंसी खोलोगे तो भिखारी कहाँ से आयेंगे?
वो बोला , इसकी चिंता नही है, ये हिन्दुस्तान है ,
भिखारी तो बहुत से मिल जायेंगे ।
फ़िर अपने कुछ झोला छाप डॉक्टर दोस्त भी तो हैं न ,
वो किस दिन काम आयेंगे।
अब तो हम फोन पर ही ही आर्डर बुक करवाते हैं,
और घर बैठे मन चाहा भिखारी तैयार करवाते हैं।
इसके बाद उसने बहुत सी बातें बताई , उन्हें भी परदे में रहने देते हैं।
और अंत में वो बोला -
मुझे अपने देशवासियों की धार्मिक आस्था पर पूरा एतबार है ,
इसलिए कहता हूँ , भीख माँगना सबसे अच्छा व्यापार है।
भिखारी से बात कर मुझे यही लगा कि -

कौन कहता है कि इस देश में गरीबी वास करती है,
यहाँ तो अभी भी घी और दूध की नदियाँ बहती हैं।
जहाँ खारा पानी हो मीठा, और देव्मुख से सजे दीवार,
फ़िर किसको पता चलता है कि ये बरसात का असर है ,
या कोई दिव्य चमत्कार।
और बडोदरा से मुंबई तक , और कोल्कता से दिल्ली तक ,
जब तक ये चमत्कार होते रहेंगे,
इस देश में रोज नए भिखारी पैदा होते रहेंगे।

5 comments:

  1. बहुत ही बढ़िया...दिल को छू लेने वाली व्यंग्यात्मक रचना...
    इसी विषय पर 17 अगस्त,2008 को मैंने अपने ब्लॉग "हँसते रहो" पर एक कहानी "खबरों में से खबर सुनो" के नाम से पोस्ट की थी..जो साहित्य शिल्पी पर भी आ चुकी है ....
    उम्मीद है कि आपको पसंद आएगी http://hansteraho.blogspot.com/2008/08/blog-post_17.html

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  2. कौन कहता है कि इस देश में गरीबी वास करती है,
    यहाँ तो अभी भी घी और दूध की नदियाँ बहती हैं।
    जहाँ खारा पानी हो मीठा, और देव्मुख से सजे दीवार,
    फ़िर किसको पता चलता है कि ये बरसात का असर है ,
    या कोई दिव्य चमत्कार।
    और बडोदरा से मुंबई तक , और कोल्कता से दिल्ली तक ,
    जब तक ये चमत्कार होते रहेंगे,
    इस देश में रोज नए भिखारी पैदा होते रहेंगे।bahut hi satic byang dil ko choo gayaa aapka lekh.badhaai,

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  3. बहुत बढ़िया मज़ा आ गया! बधाई !!!

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