top hindi blogs

Saturday, June 4, 2022

 आज एक ग़ज़ल बन गई:


अकेले बहुत है दुनिया में पर,वो ख़ुशगवार नहीं मिलते,

केले तो बहुत मिलते हैं पर, वो चित्तीदार नहीं मिलते। 


ठंडा पानी तो बहुत मिल जाता है, बेस्वाद रेफ्रिजरेटर से,

पर सोंधा सा मटका बनाने वाले, वो कुम्हार नहीं मिलते। 


दोस्त तो बहुत मिल जाएंगे, इस दुनिया की भीड़ में, 

पर दोस्ती पर जान लुटाने वाले, वो यार नहीं मिलते। 


सवारियां तो बहुत दौड़ती हैं, इन शहरों की  सड़कों पर,

पर सम्मान के रक्षक जांबाज़, वो घुड़सवार नहीं मिलते। 


विकास ने लोगों की जिंदगी में, कर दिया ऐसा परिवर्तन,

कि तमाशा देखती गूंगी भीड़ में, वो मददगार नहीं मिलते। 


अपनी तो सोम से रवि सातों दिन, छुट्टी ही छुट्टी है दोस्तो, 

किया करते थे बेसब्री से इंतज़ार, वो इतवार नहीं मिलते।

19 comments:

  1. ज़बरदस्त ग़ज़ल हुई है ..... हर शेर कोई न कोई मुद्दा उठाये हुए है ।।बेहतरीन

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी सही कहा। आखिरी शे'र में एक रिटायर्ड आदमी का दर्द है। 😅

      Delete
  2. आपकी लिखी रचना 6 जून 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया जी।

      Delete
  3. बहुत बढ़िया मार्मिक अभिव्यक्ति आदरनीय डॉक्टर साहब।वो कुम्हार,इतवार, मददगार,घुड़सवार,केले चित्तिदार इत्यादि बीते दिनों की बात हुई।बहुत सुन्दर रचना लिख डाली आपने 👌👌बहुत सी बातों का स्मरण हो आया।🙏🙏

    ReplyDelete
  4. हर शेर कुछ कहता हुआ।
    सराहनीय गजल ।

    ReplyDelete
  5. क्या बात है... मुद्दे उठाती अनोखी प्रस्तुति

    ReplyDelete
  6. सरलता से और सहजता से कह दिया आपने सब कुछ।
    उम्दा सृजन।

    ReplyDelete
  7. बेहतरीन गज़ल सर, सरल, सहज,सारगर्भित अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
    Replies
    1. पसंद आई, प्रयास सफल रहा। आभार।

      Delete
  8. विकास ने लोगों की जिंदगी में, कर दिया ऐसा परिवर्तन,

    कि तमाशा देखती गूंगी भीड़ में, वो मददगार नहीं मिलते।
    वाह!!!
    लाजवाब गजल।

    ReplyDelete
  9. सहजता से जीवन की बहुत सारी बातें कहती
    बेहद उम्दा गज़ल

    ReplyDelete