पकौड़ों में कितना है दम , अब तो ये जान लो ,
हिला कर रख देंगे सबको , अब तो ये मान लो।
चाय की चर्चा पर चाय ने कहा गर्म पकौड़ों से ,
अच्छे दिन ज़रूर आएंगे , अब तो ये मान लो।
जो कहते थे न जायेंगे कभी उस बदनाम गली ,
वहीँ छुपे हैं नज़रें चुराकर, अब तो पहचान लो।
बारिश में याद आएंगे पकौड़े आज की शाम को ,
चाय संग ग़ज़ब जुगलबंदी है, अब तो ये मान लो।
होली दीवाली हो या जब कभी खुश घरवाली हो ,
उदर से दिल में उतर जायें , अब तो ये मान लो।
चायवाले हो तुम या फुटपाथ पर पकौड़े बेचने वाले ,
एक दिन राजा बन सकते हो, यदि मन में ठान लो।
ईमानदारी
का धंधा कोई गन्दा नहीं होता कभी,
ये भी बस एक रोजगार है , अब तो ये मान लो।
पकौड़ों में इतना है दम , अब तो ये जान लो ,
पकौड़े नहीं किसी से कम , अब तो ये मान लो।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, भूखा बुद्धिजीवी और बेइमान नेता “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १२ फरवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
चाय ठंडी हो गयी तो गरमागरम पकोड़े आ गए बाज़ार में
ReplyDeleteये भी खूब रही
नौजवानों की हो गयी चांदी,
ReplyDeleteसर खपाएं वो क्यों पढ़ाई में,
धन की वर्षा हुई, पकौड़े तल,
उँगलियाँ घी में, सर कढ़ाई में.
बहुत खूब
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