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Wednesday, June 18, 2025

मुक्तक...

एक बाइक वाला उधर से आ रहा था,

एक रिक्शावाला उधर को जा रहा था।

एक गाड़ी वाला दोनों से जा टकराया,

वो ग्रीन लाइट जंप करके जा रहा था।


आजकल मैं ना कोई काम करता हूं,

बस दिन भर केवल आराम करता हूं।

जब आराम करते करते थक जाता हूं,

तो सुस्ताने को फिर से आराम करता हूं।


आजकल साइबर फ्रॉड के केस बहुत नज़र आते हैं,

फ्रॉड करने वाले भी रोज नए नए तरीके अपनाते हैं।

हम तो सावधानी में इस कदर सावधान हो गए हैं कि,

बीवी की बेवक्त कॉल को भी डर के मारे नही उठाते हैं।


हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है ये सब जानते हैं,

किसान दिन भर मेहनत कर के भी खाक छानते हैं।

किन्तु कुछ पढ़े लिखे खाए अघाये लोग ऐसे भी हैं,

जो प्लेट भर खाना जूठा छोड़ने को फैशन मानते हैं। 

2 comments:

  1. जी डॉक्टर साहब सभी मुक्तक अपनी बात कहने में सक्षम हैं! अंतिम मुक्तक के विषय में कहना चाहूँगी कि शादियों में या फिर अलग अलग पार्टियों में खाना छोड़ने वाले ढेरों मिल जाते हैं, पर मुझे गर्व हैं कि मैंने कभी भी अपनी प्लेट में किसी जगह, कभी पार्टी या शादी में,थोड़ा सा भी खाना नहीं छोड़ा! यही नहीं अपने बच्चों पर सख़्ती से नज़र रख कर उन्हें कभी जूठा खाना छोड़ने नहीं दिया! किसी की जीवन भर की मेहनत से जुटाये भोजन का कभी अपमान ना हो यें कोशिश सबको करनी चाहिए
    ! शुक्रिया आपका आपके बहाने मुझे भी अपनी बात कहने का मौका मिला 🙏

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    1. बहुत खूब। वैसे भी हम किसान परिवारों के लोग अन्न की कीमत अच्छी तरह समझते हैं। शुक्रिया। 🙏

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