एक जगह मास्क और सेनेटाइजर
एक साथ बैठे थे,
दोनों उदास थे जाने किस टेंशन में ऐंठे थे।
तभी मास्क बोला,
यार ये कैसी ज़लालत हो गई है,
अपनी तो एक सेवानिवृत कर्मचारी जैसी
हालत हो गई है।
अब ना कोई हमें पूछता है, ना मुंह लगाता है,
ना कोई पार्टी या शादी में साथ लेकर जाता है।
जब अपनी गर्ज थी
तब मुंह पर लपेटना मंजूर था,
अब मतलब निकल गया तो
हमारी ओर कोई नहीं ताकता है।
इस खुदगर्ज इंसान को यही समझाना है,
कि कोई दूसरा आया तो फिर हमे ही मुंह लगाना है।
सेनेटाइजर बोला,
अब हमे भी कोई हाथ नहीं लगाता है,
जाने कैसे काम चलाता है।
जब कोरोना से डरता था,
तब दिन में पचास बार हाथ मिलाता था।
पिंक हैंड रब से हैंड्स रब कर कर के
हैंड्स भी पिंक हो जाते थे,
घर में रहें या बाहर या जाएं दफ्तर
हमे जेब में बिठाकर साथ ले जाते थे।
अब कोई हाथ तक नहीं लगाता,
ये बेरुखा व्यवहार हमें बिलकुल नहीं भाता।
तभी वहां पर चलता हुआ
ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर आ गया,
उन दोनों की बातें सुनकर सकपका गया।
बोला, हमें तो विदेशी भारतीयों ने
बड़े प्रेम से समझाया था,
देश प्रेम में पड़कर
समाज सेवा के लिए देश भिजवाया था।
पर जब से आए हैं, बंद डिब्बों में कैद पड़े हैं,
अब तो अपना भी सांस घुटने लगा है,
क्योंकि हमारे चेहरे पर धूल के अंबार चढ़े हैं।
लगता है इंसान की तो आंखें ही बंद है,
या फिर कलयुगी इंसान की बुद्धि जरा मंद है।
हरे भरे पेड़ों से भरे जंगलों को छांट रहा है,
नादान ये भी नहीं जानता कि
जिस डाल पर बैठा है, उसी को काट रहा है।
माना कि मास्क और सेनेटाइजर की तरह
हम प्रिवेंटिव नहीं, क्यूरेटिव हैं,
आम जन नहीं केवल रोगियों के लिए इफेक्टिव हैं।
किंतु गर बचाव पर नहीं दिया ध्यान, तो ए इंसान,
निरोग कोई नही होगा, सब रोगी हो जायेंगे,
तब हम ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर ही याद आयेंगे।
इसीलिए कहते हैं भैया, कोरोना हो या हो ना,
सेनेटाइजर का करो सदा इस्तेमाल
और मुंह पर मास्क लगाओ,
पर्यावरण की रक्षा करो और पेड़ों को कटने से बचाओ।
फिर ना कोरोना का रोना होगा
और ऑक्सीजन भी मिलेगी pure,
आखिर डॉक्टर्स सच ही तो कहते हैं,
prevention is better than cure....
कोरोना हो या ना हो, सावधानी बरतना आवश्यक है।
ReplyDeleteआपका कथन सही है कि कोरोना हो या ना हो, सावधानी बरतना आवश्यक है।
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