अकेले दुकेले मिलते हैं, वे फैमिली के झमेले नहीं मिलते,
अकेले दुकेले जो मिलते हैं, वे हम जैसे वेले नहीं मिलते।
थैंक्स और प्लीज़ कहने की तहज़ीब है इस कदर कि,
मीठे केले तो मिलते हैं, पर वो कड़वे करेले नहीं मिलते।
सड़कों पर गाड़ियों की रैलियां तो निकलती है रात दिन,
पर शहर की गलियों में नर नारियों के रेले नहीं मिलते।
सुख समृद्धि के सभी साधन हैं यहां सभी को मुहैया,
पर वे होली और दशहरा दीवाली के मेले नहीं मिलते।
हाथ में मोबाइल और कान में ईयर फ़ोन लगा 'तारीफ',
अकेले हैं पर साथ बैठ गपियाने वाले अकेले नहीं मिलते।
ना जाने क्यों, किसी को हमारी कविता पसंद नहीं आई, ना जाने क्यों।
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