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Friday, August 7, 2020

कोरोना से ऐसे किया बचाव --


कोरोना का डर - थर्ड ईयर सिंड्रोम :

जब हम मेडिकल कॉलेज के थर्ड ईयर में थे , तब पहली बार वार्ड जाकर रोगियों से संपर्क हुआ।  तृतीय वर्ष में ही क्लिनिकल विषय पहली बार पढ़ाये जाते हैं। जब पहली बार रोगों के बारे में जाना , तब जब भी किसी रोग के बारे में पढ़ते या ऐसे रोगी को देखते , तब ऐसा महसूस होने लगता था जैसे हम खुद भी उस रोग से ग्रस्त हैं।  यानि जैसे जैसे रोगों के बारे में पढ़ते गए, वैसे वैसे खुद में उन रोगों को देखने लगे। हर रोग के होने का भय सताने लगा। इसी को कहते हैं थर्ड इयार सिंड्रोम जो लगभग हर छात्र को उस समय होने लगता है।   
 अब कोरोना काल में भी कुछ ऐसा ही हाल रहा।  क्योंकि हम डॉक्टर हैं, इसलिए रोग के बारे में जानकारी होने और इसके परिणाम अच्छी तरह से जानने के कारण डर भी ज्यादा था।  लेकिन कहते हैं न कि डर के आगे ही जीत है।  फिर हम तो दूसरों को सिखाते रहे , इसलिए बचाव के तरीके स्वयं भी इस्तेमाल करने आवश्यक थे। आइये देखते हैं, कोरोना से बचने के लिए क्या क्या हथकंडे अपनाने पड़ते हैं। 

ऑफिस में :
ऑफिस में जाते ही हम पहला काम करते हैं, सारे फर्नीचर को सेनेटाइज करने का। टेबल चेयर , कंप्यूटर टेबल, माउस , स्विच , कीबोर्ड आदि हर वो चीज जिसे छुआ जा सकता है, हम स्वयं अल्कोहल हैंड रब से साफ करते हैं।  इसे देखकर पुराने ज़माने की एक घटना याद आ जाती है। एक बार हमारे गांव से एक आदमी फ़ौज में भर्ती होने के लिए रिक्रूटमेंट ऑफिस चला गया।  वहां ऑफिसर ने पूछा - रसोइये का काम करोगे ? आदमी ज़रा बहरा था , बोला क्या ? ऑफिसर ने जोर से कहा - रोटियां बनाने का काम करोगे।  आदमी बोला -- रोटियां बनाने वाली घर में तीन हैं। (उसकी दो बीवियां थीं और एक बहन) और भाग आया। अब भले ही हमारे भी ऑफिस को मेंटेन करने के लिए दो तीन अटेंडेंट्स हैं , लेकिन हम तो अपना काम स्वयं करना पसंद करते हैं। 
 
कोरोना का प्रभाव यह रहा कि अब हम न कहीं जाते हैं , न कोई हमसे मिलने आता है।  बस बैठे बैठे अपना काम करते रहते हैं।  अधिकतर काम ऑनलाइन ही हो रहा है।  खाना अकेले ही खाते हैं। खाना भी बस जीने लायक ही खाते हैं। कोई दिखाई भी देता है तो मुंह बांधे हुए. न कोई हंसी , न मुस्कराहट।  बस चिंतित से चेहरे ही नज़र आते हैं। थक गए हैं लोग कोरोना काल में ड्यूटी करते करते।   

घर में :




घर आने पर सबसे पहला काम होता है , जेब में रखी सारी चीजों को सेनेटाइज करना। मोबाइल, गाड़ी की चाबी, पैन , घडी , बैल्ट , यहाँ तक कि बैग को भी सेनेटाइज करके रखते हैं। फिर मास्क को उतारकर डिस्पोज ऑफ़ करते हैं, फिर स्नान कर कपडे बदलते हैं और पहने हुए कपड़ों को धोने के लिए डाल देते हैं।  उसके बाद भाप लेते हैं।  तब जाकर लगता है कि अब घर में रहने लायक हो गए।   

खाना :

पिछले कई महीनों से खाना तो कम कर ही दिया है, खाने में नए नए आइटम भी शामिल हो गए हैं।  अब गर्मियों में भी अदरक वाली चाय पीते हैं, हल्दी वाला दूध और फलाहार नियमित होता है।

दवाएं:

विटामिन सी , विटामिन डी और विटामिन बी का सेवन बढ़ गया है। होमियोपैथी की एक दवा आयुष विभाग ने दी है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन भी कुछ लोग लेते हैं। 

मज़बूरियां:

सबसे ज्यादा मज़बूरी तो यह रही कि चाह कर भी किसी दोस्त या रिश्तेदार से मिल नहीं पाए। इस बीच जान पहचान और रिश्तेदारों में कहीं किसी की मृत्यु हुई , कोई बीमार पड़ा, लेकिन हम किसी से भी मिलने नहीं जा पाए। ख़ुशी हो या ग़म, सबने अकेले ही सहन किया।

अब धीरे धीरे जिंदगी पटरी पर आ रही है, लेकिन देश में कोरोना संक्रमण के केस अभी भी बढ़ ही रहे हैं।  इसलिए शहर से बाहर जाने की सोच भी नहीं सकते।  इसीलिए लगभग पहली बार ऐसा हुआ कि हम गर्मियों में किसी हिल स्टेशन पर नहीं जा पाए। घर से बाहर निकलने की आदत भी जैसे छूट सी गई है। अब तो घर में रहकर ही आनंद आने लगा है। लेकिन ऐसा कुछ समय तक तो सही है , परन्तु लम्बे समय तक रहा तो निश्चित ही दुनिया के लिए बहुत कष्टदायक होगा। आशा करते हैं कि इस कोरोना काल से जल्दी निजात पाएं और जीवन फिर से पहले की तरह खुशहाल लगने लगे।   

अंत में यही कहेंगे कि ये तीन काम ही आपको कोरोना संक्रमण से बचा सकते हैं :
घर से बाहर मास्क पहनकर रहना। 
सभी से दो गज की दूरी बनाये रखना। 
बार बार हाथ धोना या सेनेटाइज करना। 

ज़ाहिर है, यह मज़बूरी है , लेकिन ज़रूरी है।


3 comments:

  1. तीन काम ही आपको कोरोना संक्रमण से बचा सकते हैं :
    घर से बाहर मास्क पहनकर रहना।
    सभी से दो गज की दूरी बनाये रखना।
    बार बार हाथ धोना या सेनेटाइज करना।

    ज़ाहिर है, यह मज़बूरी है , लेकिन ज़रूरी है।

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  2. आदरणीय डॉ. साहब
    कोरोना के लक्षण क्या है
    सिर्फ हाथ धोने से जाएगा तो नहीं कोरोना
    और दवा कुछ बनी नहीं अब तक
    सारा कुछ अंदाजे से चल रहा है
    ये बात तो है कि लोग बीमार कम पड़ रहे हैं
    कारण बस एक ही है कि वे घर पर हैं और घर का बना खा रहे हैं
    शायद बचे हुए हैं इसी वजह से
    एक कविराज हैं जो आयुर्वैदिक कॉलेज में पढ़ाते है हैं
    उनका कहना है कि ये कफ़ जनित रोग है
    कफ़ की अधिकता में श्वांस में कठिनाई होती है
    कहां तक सत्य है ये पता नहीं पर उन्होने एक काढ़ा का चूर्ण दिया है हमें
    और कहा है कि चाय की जगह इसे पियो दिन में तीन टाईम और दलिया खाओ
    आप भी चिकित्सा जगत में सदियों से काम कर रहे हैं , आप ही बताइए वे कविराज कितना सच कहते हैं..
    सादर

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    1. यह एक वायरल इन्फेक्शन है जो साँस के द्वारा पहले फेफड़ों में जाता है , फिर रक्त में प्रवेश कर जाता है। पहले बुखार, गले में दर्द और सूखी खांसी होती है। रोग बढ़ने पर साँस लेने में कष्ट होने लगता है। यह गंभीर स्थिति होती है और यदि समय पर अस्पताल में भर्ती न किया गया तो ऑक्सीजन की कमी से मृत्यु भी हो सकती है। इसके कारण नसों में भी खून जमा हो सकता है जो मृत्यु का कारण बनता है। इस रोग की जानकारी अभी भी पूर्ण नहीं है। बाकि सब अटकलबाज़ी हैं। वैद हकीम सब अपनी अपनी हाँक रहे हैं। कोई फायदा नहीं है ऐसे किसी की बात मानने का। कसरत करके शरीर को स्वस्थ रखने से कुछ लाभ अवश्य होता है क्योंकि इससे इम्युनिटी यानि रोधक क्षमता बढ़ती है।

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