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Sunday, May 5, 2019

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व हाथ स्वच्छता दिवस के उपलक्ष में --



मार्केट में सड़क किनारे , जब हमने गाड़ी करी खड़ी ,
और आधी ढकी नाली पर खड़े खोमचे वाले पर नज़र पड़ी। 
कुछ कमसिन नवयौवनाएँ, खीं खीं कर खिलखिलाती,
और सी सी कर चटकारे लेती दी दिखाई। 
तभी कानों में किसी के झगड़ने की आवाज़ आई  
पता चला बुआ और बबुआ में बहस छिड़ गई थी ,
बुआ यानि कोलाई अपनी जिद पर अड़ गई थी ,
शिगैला रुपी बबुआ को झिड़क रही थी ,
कि भैया चांस ख़त्म हो गया तेरा ,
आज तो ये खूबसूरत शिकार है मेरा। 
शिगैला बोला तुम हर बार मुझे हरा जाती हो ,
चार में से तीन शिकार तो तुम्ही मार ले जाती हो। 
हमारा ये बंधन गठबंधन है या ठगबंधन ये तुम जानो। 
लेकिन जब सम्बन्ध है तो , मेरी बस ये बात मानो।   
देखो सामने खड़ी तीन तीन कुड़ियां कुंवारी हैं ,
आज तो इश्क फरमाने की अपनी बारी है। 

खोमचे वाला भी मंद मंद मुस्करा रहा था ,
अपने पोंछा बने गमछे से हाथ पोंछे जा रहा था। 
कभी यहाँ , कभी वहां , जाने कहाँ कहाँ ,
खुजाये जा रहा था। 
और पट्ठा उन्ही हाथों से गोल गप्पे खिलाये जा रहा था । 
फिर जैसे ही उसने ,
फिश पोंड जैसे मटके से कल्चर मिडिया निकाला,
और ज़रा सा अगार मिलाकर कल्चर प्लेट में डाला। 
शिकारियों का शोर और ज्यादा आने लगा  
जाने कहाँ से चचा साल्मोनेला धमका ,
और बुआ बबुआ को समझाने लगा।   
बोला देखो तुम दोनों का दम तो दो चार दिन में निकल जायेगा ,
इश्क मुझे फरमाने दो, मेरा तीन चार हफ्ते का काम चल जायेगा।   

अगले दिन अस्पताल की पी डी में भीड़ बड़ी थी।   
भीड़ के बीच वही नवयौवनाएं बेचैन सी खड़ी थीं।    
एक को शिगैला ने प्यार के जाल में फंसा लिया था
दूसरी पर धारा ३७७ की आड़ में,
कोलाई ने मोहब्बत का जादू चला दिया था।     
दोनों बेचैनी से रात भर करवटें बदलती रही थीं
दीर्घ शंका से ग्रस्त रात भर तबियत मचलती रही थीं।  
तीसरी तीसरे दिन साल्मोनेला संग अस्पताल आई
और जल्दी से ठीक करने की देने लगी दुहाई।  

उस दिन शाम को फिर उसी मार्किट में उसी जगह ,
वही मोमचे वाला खड़ा था।  
उसके कंधे पर वही पोंछा बना गन्दा सा गमछा पड़ा था।  
उसके चेहरे पर वही चिर परिचित मुस्कान नज़र रही थी
उस दिन तीन नहीं चार चार महिलाएं गोल गप्पे खा रही थीं।   
बेशक १३५ करोड़ के विकासशील देश में गोल गप्पे खाना भी मज़बूरी है
लेकिन हाथों के साथ साथ खाने पीने में स्वच्छता अपनाना भी ज़रूरी है।    

हाथों की चंद लकीरों में, बंद है किस्मत हमारी,
गंदे हाथों की लकीरों में, पर बसती हैं बीमारी।
स्वच्छ हो तन मन और , स्वच्छ रहे वातावरण ,
हाथों की स्वच्छता से ही, दूर हों मुसीबतें सारी।   



2 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन टीम और मेरी ओर से आप सब को विश्व हास्य दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएँ !!

    ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 05/05/2019 की बुलेटिन, " विश्व हास्य दिवस की हार्दिक शुभकामनायें - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. Thank you again for all the knowledge you distribute, Good post. I was very interested in the article, it's quite inspiring I should admit. I like visiting you site since I always come across interesting articles like this one

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