आज फिर हमने कटिंग कराई ,
आज फिर अपनी हुई लड़ाई ।
नाई ने पूर्ण आहुति की पुकार जब लगाईं ,
तो हमने कहा , बाल कुछ तो काटो भाई ।
भले ही ले लो जितना तुमको माल चाहिए ,
वो बोला काटने के लिए भी तो बाल चाहिए।
बाहर निकले तो सिर के बीच सर्दी लग रही थी ,
घर जाकर देखा , आधे सिर में बर्फ जम रही थी।
अब हम समझे कि बाल बचाओ, माल बचाओ ,
समझ जाओ, सर्दी में कभी मत बाल कटाओ ।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (06-02-2019) को "बहता शीतल नीर" (चर्चा अंक-3239) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सर्दी अक्सर ऐसा हो जाता है। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteiwillrocknow.com
मज़ेदार !
ReplyDeleteमजेदार।
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