सरकारी अस्पतालों में क्षमता से ज्यादा रोगियों के आने से सारी व्यवस्था चरमरा जाती है। ओ पी डी में एक डॉक्टर को एक रोगी को देखने के लिए औसतन मुश्किल से डेढ़ मिनट का ही समय मिलता है। वार्डस में एक बेड पर दो या तीन मरीज़ों को भर्ती किया जाना आम बात है। हमने डेंगू के समय एक बेड पर चार रोगियों को भर्ती होते देखा है। बच्चों के अस्पताल में एक बेड पर जब तीन बच्चे होते हैं तो माँओं को मिलाकर यह संख्या ६ हो जाती है। उस पर डॉक्टर्स और अन्य कर्मचारियों की सीमित संख्या के साथ साथ जगह की भी कमी महसूस होती है क्योंकि अधिकांश बड़े अस्पताल वर्षों पहले बनाये गए थे और तब किसी ने भविष्य में मरीज़ों की संख्या के बारे में अनुमान नहीं लगाया होगा।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि किस तरह सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था को सुधारा जाये ताकि अस्पताल में आने वाले रोगियों को उपचार में ज्यादा इंतज़ार न करना पड़े और उन्हें संतुष्टि भी हो। सैद्धांतिक हल तो बहुत हैं लेकिन कोई व्यावहारिक/ वास्तविक हल सुझाईये जिसे कार्यान्वित कर हम भी अपने अस्पताल में स्वास्थयकर्मियों और रोगियों, दोनों को कुछ राहत प्रदान कर सकें।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन दुर्गा खोटे और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (24-09-2018) को "गजल हो गयी पास" (चर्चा अंक-3104) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी