देश के इतिहास में १९७५ -७७ का समय एक काला धब्बा माना जाता है जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने देश में एमरजेंसी लागु कर दी थी। इसी दौरान इंदिरा गाँधी के उत्तराधिकारी माने जाने वाले उनके छोटे सुपुत्र श्री संजय गाँधी भी फैमिली प्लानिंग योजना को लागु करने में हुए कुप्रबंध और कुशासन के कारण बहुत बदनाम हुए थे। लेकिन यदि ध्यान से सोचा जाये तो हम पाते हैं कि संजय गाँधी एक बहुत ही साहसी और दूरगामी दृष्टि वाले नेता थे। देश के इतिहास में अभी तक सिर्फ संजय गाँधी ने ही देश की अनियंत्रित बढ़ती आबादी के बारे में सोचा। उससे पहले और उसके बाद आज तक किसी भी नेता या प्रधानमंत्री ने देश की इस सबसे बड़ी समस्या का हल निकालने के लिए कोई कदम उठाने की हिम्मत नहीं की। फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम को बदनाम कराने वाले भी वो सरकारी नौकर ही थे जिन्हे नसबंदी को प्रोत्साहन देने के लिए ५ - ५ केस कराने की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन कुछ लोगों ने मेहनत करने के बजाय हेरा फेरी करते हुए नाबालिग बच्चों को पकड़कर जबरन नसबंदी करा डाली। हालाँकि इसमें डॉक्टर्स का रोल भी गैर जिम्मेदाराना ही माना जायेगा। परिणामस्वरूप न सिर्फ यह प्रोग्राम फेल हुआ बल्कि आज तक फिर किसी ने नसबंदी का नाम लेने की हिम्मत नहीं की।
आज पुरुष नसबंदी स्वैच्छिक रूप से की जाती है लेकिन स्वेच्छा से नसबंदी कराने के लिए बहुत ही कम पुरुष सामने आते हैं। नतीजा सामने है , कुछ ही वर्ष में आबादी के मामले में हम विश्व के नंबर एक देश बन जायेंगे। जहाँ चीन ने एक बच्चे की सीमा निर्धारित कर अपनी बढ़ती जनसँख्या पर नियंत्रण पा लिया , वहीँ आज भी हम ४ - ६ बच्चे धड़ल्ले से पैदा किया जा रहे हैं। इसमें किसी धर्म विशेष को दोष न दें, क्योंकि बढ़ती जनसँख्या का कारण धार्मिक विश्वास ही नहीं बल्कि अशिक्षा , गरीबी और अज्ञानता ज्यादा है। लगता है कि अब समय आ गया है जब सरकार को चीन की तरह एकल बाल परिवार योजना लागु कर देनी चाहिए। तभी अगले तीस सालों में हम अपनी बढ़ती जनसँख्या को स्थिर कर पाएंगे। लेकिन ऐसा करने के लिए सरकार को वोट की राजनीति से ऊपर उठना होगा , तभी इस नियम को सख्ताई से लागु कर पाएंगे।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (24-06-2018) को "तालाबों की पंक" (चर्चा अंक-3011) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, आप,आप, आप और आप - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteहम अपनी जनसंख्या इसलिये बढ़ा रहे हैं कि यदि फिर से विश्व-युद्ध हो जाए तो कितने ही कटने-मरने के बाद भी हम ही बचेंगे।
ReplyDeleteGlad I found this blog. I was trying to get a better understanding of domain authority and this article gave me all of the info I need. thank you.
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सुना है चीन में सरकार ने अपने निर्णय को कुछ बदल दिया है..
ReplyDeleteजी हाँ , ३० साल के बाद वहां युवाओं की कमी हो गई है और बुजुर्गों की संख्या बढ़ गई है। इससे कामकाजी लोगों की कमी होने लगी है। इसलिए अब उन्होंने दूसरे बच्चे की इज़ाज़त दे दी है। यह संतुलन भी आवश्यक है।
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