बिहार में कोसी नदी का पानी
जब कहर ढ़ा रहा था ।
दिल्ली में एक पशु प्रेमी वर्ग ,
तब कुत्तों का स्वयम्बर रचा रहा था।
जहाँ मेधापुर वासियों के अरमान तो ,
कोसी के पानी में बह गए ।
वहीं इस सामूहिक विवाह में ,
अधिकाँश कुत्ते भी कुंवारे ही रह गए।
यूँ तो मंडप में सजे बैठे सैंकडों ,
जर्मन शेफर्ड , बुल्दोग और दाल्मेसियन मादा थी।
पर पंडित बेचारे क्या करते,
क्योंकि मनुष्यों की तरह कुत्तों में भी नरों की संख्या ज्यादा थी।
मैंने एक आयोजक से पूछा , मित्र
बिहार के बाढ़ पीड़ित तो भूख प्यास से ,
कराह रहे हैं।
ऐसे में आप कुत्तों का ब्याह रचा रहे हैं?
वो बोला दोस्त ये हिन्दुस्तान है ,
यहाँ इंसान तो फ़िर मुफ्त में लाखों पैदा हो जायेंगे।
किंतु गर ब्याह नहीं रचाया ,
तो ये एक एक लाख के बुल्दोग और दाल्मेसियन कहाँ से आयेंगे?
मैंने कहा वाह रे हिन्दुस्तान ,
यहाँ कुत्ते मंहगे और सस्ता इंसान ,
फ़िर भी मेरा भारत महान!
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बहुत खूब
ReplyDeleteअच्छा व्यंग्य है ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeletekamal hai, narayan narayan
ReplyDeleteब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है।
ReplyDeleteसुंदर रचना के लिए शुभकामनाएं।
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
बहुत ही तीखा कटाक्ष करती सुन्दर रचना
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