मेरा मेरा करती है दुनिया सारी,
मोहमाया से मुक्ति पाओ , तो जाने ।
कितना आसाँ है आसाराम बन जाना ,
राम बनकर दिखलाओ , तो जाने।
दावत तो फाइव स्टार थी लेकिन,
भूखे को रोटी खिलाओ , तो जाने ।
राह जो दिखाई है ज्ञानी बनकर,
खुद भी चलकर दिखाओ , तो जाने ।
देवी देवता बसते हैं करोड़ों यहाँ,
इंसान बन कर दिखलाओ , तो जाने ।
रुलाने वाले तो लाखों मिल जायेंगे,
किसी रोते को हंसाओ, तो जाने ।
फेसबुक पे तो रोज़ लिखते हो 'यार'',
कभी साथ बैठ गपियाओ , तो जाने।
वाह. बहुत सारे चैलेंज एक साथ :)
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (19-08-2017) को "चीनी सामान का बहिष्कार" (चर्चा अंक 2701) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ReplyDeleteदेवी देवता बसते हैं करोड़ों यहाँ,
इंसान बन कर दिखलाओ , तो जाने ।
क्या बात है ।,,☺
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, 'महाकाल' की विलुप्तता के ७२ वर्ष - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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