मित्रो, दोस्तो, यारो ,
ना न्यू ईयर, ना ओल्ड ईयर ,
ना व्हिस्की, ना बीयर।
कभी तो पुकारो ।
ना मिठाई, ना बधाई,
ना शादी, ना सगाई ,
बस कम्बल और रज़ाई,
कमी को सुधारो ।
ना डेंगू , ना कोरोना ,
ना मास्क, ना हाथ धोना,
फिर काहे का रोना ,
कभी तो कहीं पधारो।
मित्रो, दोस्तों, यारो,
कभी तो पुकारो।
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