कभी दो कमरों में रहता था छह जनों का परिवार,
अब छह कमरों के मकान में दो जनों का ठौर है।
घर में बच्चे बड़े और बुजुर्ग मिल जुल कर रहते थे,
अब बुजुर्गों के अलावा घर में रहता न कोई और है।
जो गुजर गया वो भी इक दौर था, ये भी इक दौर है।
कुएं का मीठा पानी पीते, लेते स्वच्छ वायु में सांस,
अब RO का नकली पानी, हवा में धुआं घनघोर है।
वहां हरे भरे खेतों की पगडंडी पर मीलों तक चलना,
यहां जिम की घुटन में ट्रेड मिल पे चलने पर जोर है।
शुद्ध सा वो भी इक दौर था, अशुद्ध ये भी इक दौर है।
ब्याह शादियों में समुदाय का शामिल होना था जरूरी,
अब वॉट्सएप ज़माने में शादी के न्यौते भी कमजोर हैं।
चौपाल में बुजुर्गों के हुक्के की गुड़गुड़ लगती थी मधुर,
अब वॉट्सएप फेसबुक में सबके जीवन की डोर है।
मस्त मस्त वो भी इक दौर था, पस्त ये भी इक दौर है।