एक मित्र बोले भैया आजकल किस चक्कर में रहते हो ,
इस महंगाई में बिना जॉब के कैसे गुजर बसर करते हो !
क्या रखा है बेवज़ह घूमने में, कुछ तो काम काज करो,
कब तक खाली घर बैठोगे, कुछ तो शर्म लिहाज़ करो।
हम बोले तुमने भी किया काम ताउम्र , अब तो पूर्ण विराम करो ,
इस भाग दौड़ में क्या रखा है , आराम करो , आराम करो।
आराम स्वस्थता की कुंजी , इससे ना थकावट होती है ,
आराम उत्कंठा की एक दवा , तन मन का तनाव खोती है।
आराम शब्द में राम छिपा, जो पुरुषों में उत्तम होता है,
आराम आराम रटने से ही तो प्रभु राम का दर्शन होता है।
इसलिए मैं कहता हूँ , तुम मत हमको यूँ बदनाम करो ,
पल दो पल के यौवन जीवन, आराम करो आराम करो।
यदि कुछ करना ही है तो स्वस्थ रहने की बात करो ,
सुबह शाम पार्क में जाकर , लम्बी लम्बी वॉक करो।
क्या रखा काम धाम में , जो मज़ा है जिम जाने में ,
जो वेट्स उठाने में लुत्फ़ है, वो कहाँ थैला उठाने में।
मुझसे पूछो मैं बतलाऊँ, है मज़ा सुस्त कहलाने में ,
काम काज में क्या रखा, जो रखा खिसक जाने में।
मैं यही सोचकर घर से बाहर, कम ही जाया करता हूँ ,
जो कामकाज़ी जन होते हैं, उनसे कतराया करता हूँ।
दफ्तरों की छुट्टी से पहले, बाहर जाया करता हूँ,
शाम अँधेरा होने पर ही, घर वापस आया करता हूँ।
मेरी वॉल पर लिखा हुआ, जो सच्चे योगी होते हैं ,
वे कम से कम बारह घंटे तो, फेसबुक के भोगी होते हैं।
अब वार्ड ना ओ पी डी की चिंता, ये सोचकर आनंद आता है ,
रोग, रोगी , और दवा से , मन स्वच्छंद हो जाता है।
सुबह से शाम सारा समय , जब अपना नज़र आता है ,
तो सच कहता हूँ जीने का जैसे , मज़ा निखर आता है।
लेकर लैप में लैपटॉप मैं फिर फेसबुक की ओर मुड़ जाता हूँ ,
कविता , रचना , गीत , नज़्म , और नगमा से जुड़ जाता हूँ।
तुम को भी मैं सुखी जीवन का ये राज़ बता देता हूँ ,
एक दिन में बस एक काम करो, ये सीख सदा देता हूँ।
मैं आरामी हूँ मुझको तो बस, आराम में जोक्स सूझते हैं ,
उनको भी तो चैन कहाँ जो सोये बिना ही जाग उठते हैं।
इसीलिए मैं कहता हूँ तुम सुनो, मेरी तरह से काम करो ,
ये मोह माया का बंधन छोड़ो, और आराम करो आराम करो।
आराम बड़ी चीज है ....
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन परमवीर - धन सिंह थापा और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteसत्य कहा जीवन का वास्तविक मज़ा आराम में है परन्तु इसकी सीमा होनी चाहिए। सुन्दर अभिव्यक्ति ! आभार
ReplyDeleteबात तो सही है की आराम करो मस्त रहो पर कर्मरत रहो ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना।
ReplyDeleteमित्रों , इस रचना में सही गलत कुछ नहीं है। बस यह एक शुद्ध हास्य रचना है। इसे इसी तरह से ही लें।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteजो जागत है वो खोवत है
जो सोवत है वो पावत है
सोओ-सोओ सोते सोते ही
नित नए सपने बोओ
सो सोकर ही तुम नित
मन में रामनाम को लाओ
सो सोकर मजे उडाओ
भला क्या रखा है भजने में
वो मजा कहाँ जगने में
जो मजा है चैन से सोने में
वाह !निठल्लों की सोच पर अच्छा व्यंग है
ReplyDeleteअकर्मण्य को आराम में ही मजा आयेगा....
परन्तु आजकल आरक्षण के कारण फैली बेरोजगारी भी अच्छा आराम दे रही है युवाओं को......