कल सुबह पत्नी बोली पढ़कर अख़बार ,
अज़ी बोलो कितना करते हो हमसे प्यार !
आज वेलेंटाइन डे के रोज ,
बताइये कितने देंगे हमको रोज !
एक का मतलब समझेंगे पहली नज़र में हुआ था प्यार ,
तीन यानि करते थे , करते हो , करते रहोगे बेशुमार।
एक सौ आठ दिए बिना ही किया था शादी का इकरार ,
अब बारह देकर ही कर दो प्यार का इज़हार।
हमने कहा प्रिये , एक और एक सौ आठ
तो भूल जाओ , वो थी गुजरे ज़माने की बात।
बारह में बसा है बस हाल का हाल ,
तीन में दिखते हैं प्रेम के तीनों काल।
शौक से हमारे प्यार को आज़माओ ,
पर प्रिये, रोज बहुत महंगे हैं , आज तीन में ही काम चलाओ।
आतंक की आंधी हो या किम जोंग से डरे ये संसार ,
पर हम तुम्हे करते थे, करते हैं और करते रहेंगे सदा प्यार।
वैलेंटाइन रोज की परिभाषा :
१ रोज = पहली नज़र में प्यार -- love at first sight
३ = करता था , करता हूँ , करता रहूँगा -- I loved you , I love you , I will love you forever
१२ = मैं तुम्हे प्यार करता हूँ -- I love you
१०८ मुझसे शादी करोगी ---- will you marry me
Waaaah, kya baat hai :)
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (16-02-2017) को "दिवस बढ़े हैं शीत घटा है" (चर्चा अंक-2882) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, हम भारतियों की अंध श्रद्धा “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १९ फरवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
विशेष : आज 'सोमवार' १९ फरवरी २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच ऐसे एक व्यक्तित्व से आपका परिचय करवाने जा रहा है। जो एक साहित्यिक पत्रिका 'साहित्य सुधा' के संपादक व स्वयं भी एक सशक्त लेखक के रूप में कई कीर्तिमान स्थापित कर चुके हैं। वर्तमान में अपनी पत्रिका 'साहित्य सुधा' के माध्यम से नवोदित लेखकों को एक उचित मंच प्रदान करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य"
वाह क्या बात है
ReplyDeleteबहुत कुछ कह दिया...!
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