वो उसके दिल का राजा था, वो उसके दिल की रानी थी।
शिरी फरहाद से ऊंची, उनकी प्रेम कहानी थी।
वो उसको छोड़ कर भागा कोई तो थी ये मजबूरी ,
उस चाँद पे था दाग फ़िजा, तुझ पे खिजा तो आनी थी।
कोई लैला कोई मजनू , कोई शिरी कोई फरहाद।
मुहब्बत में हुए कुर्बान , ज़माना रखे उनको याद।
सींच कर खून से अपने बचाएं जो वतन की लाज ,
उन गुमनाम शहीदों को, भुलाये क्यों वतन ही आज।
कोई आंसू बहाता है , तो कोई मुस्कराता है।
कोई संसार आता है, तो कोई छोड़ जाता है।
फंसा रहता है इस आवागमन में तू मानव ,
तेरे जैसे कर्म बन्दे , तू वैसा फल ही पाता है।
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waah !! ultimate ...superb
ReplyDeleteकोई आंसू बहाता है , तो कोई मुस्कराता है।
ReplyDeleteकोई संसार आता है, तो कोई छोड़ जाता है।
फंसा रहता है इस आवागमन में तू मानव ,
तेरे जैसे कर्म बन्दे , तू वैसा फल ही पाता है।
वाह डॉ साहब !
जिंदगी के अमूल्य फलसफे का खूब
चित्रण किया है आपने .....
हर लफ्ज़ में हर पहलु को दर्शाने की
कामयाब कोशिश पर मुबारकबाद कुबूल फरमाएं .
और ....मेरी हौसला-अफजाई के लिए बेहद शुक्रिया .
---मुफलिस---
उस चाँद पे था दाग फ़िजा, तुझ पे खिजा तो आनी थी।
ReplyDeleteये तो नाम के चाँद थे, खुद ही फिजा बना ली, नेताओ ने मतलब साधना और साधने के बाद झांक कर भी न देखना ही तो दिया है इस देश को..........................
अत सुन्दर वर्णन कर डाला आपने उस नेतामई रोमांस और उसके हश्र का, बधाई.
कोई आंसू बहाता है , तो कोई मुस्कराता है।
कोई संसार आता है, तो कोई छोड़ जाता है।
फंसा रहता है इस आवागमन में तू मानव ,
तेरे जैसे कर्म बन्दे , तू वैसा फल ही पाता है।
सत्य वचन, पर समझ में देर से क्यों आता है ????????
चन्द्र मोहन गुप्त
जिंदगी के फलसफे को खूबसूरती के साथ बयां किया है आपने।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
कोई आंसू बहाता है , तो कोई मुस्कराता है।
ReplyDeleteकोई संसार आता है, तो कोई छोड़ जाता है।
फंसा रहता है इस आवागमन में तू मानव ,
तेरे जैसे कर्म बन्दे , तू वैसा फल ही पाता है
जीवन के फलसफे को ख़ूबसूरत अंदाज़ में बयाँ किया है आपने