tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post7895545577759594377..comments2024-03-21T12:48:25.921+05:30Comments on अंतर्मंथन: आज सोचा तो ---डॉ टी एस दरालhttp://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-39346814963797393532010-08-11T11:05:17.702+05:302010-08-11T11:05:17.702+05:30कोई आंसू बहाता है , तो कोई मुस्कराता है।
कोई संसार...कोई आंसू बहाता है , तो कोई मुस्कराता है।<br />कोई संसार आता है, तो कोई छोड़ जाता है।<br />फंसा रहता है इस आवागमन में तू मानव ,<br />तेरे जैसे कर्म बन्दे , तू वैसा फल ही पाता है<br /><br />जीवन के फलसफे को ख़ूबसूरत अंदाज़ में बयाँ किया है आपनेराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-45638579576006883932009-05-13T12:18:00.000+05:302009-05-13T12:18:00.000+05:30जिंदगी के फलसफे को खूबसूरती के साथ बयां किया है आप...जिंदगी के फलसफे को खूबसूरती के साथ बयां किया है आपने।<br /><br /><A HREF="http://alizakir.blogspot.com/" REL="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</A> <br /><A HREF="http://tasliim.blogspot.com/" REL="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </A><A HREF="http://sciblogindia.blogspot.com/" REL="nofollow">& SBAI }</A>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-53290844484938670942009-05-11T22:56:00.000+05:302009-05-11T22:56:00.000+05:30उस चाँद पे था दाग फ़िजा, तुझ पे खिजा तो आनी थी।
य...उस चाँद पे था दाग फ़िजा, तुझ पे खिजा तो आनी थी। <br /><br />ये तो नाम के चाँद थे, खुद ही फिजा बना ली, नेताओ ने मतलब साधना और साधने के बाद झांक कर भी न देखना ही तो दिया है इस देश को..........................<br />अत सुन्दर वर्णन कर डाला आपने उस नेतामई रोमांस और उसके हश्र का, बधाई. <br /><br />कोई आंसू बहाता है , तो कोई मुस्कराता है। <br />कोई संसार आता है, तो कोई छोड़ जाता है। <br />फंसा रहता है इस आवागमन में तू मानव ,<br />तेरे जैसे कर्म बन्दे , तू वैसा फल ही पाता है। <br /><br />सत्य वचन, पर समझ में देर से क्यों आता है ????????<br /><br />चन्द्र मोहन गुप्तMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-33518746597613789122009-05-11T18:04:00.000+05:302009-05-11T18:04:00.000+05:30कोई आंसू बहाता है , तो कोई मुस्कराता है।
कोई संसा...कोई आंसू बहाता है , तो कोई मुस्कराता है। <br />कोई संसार आता है, तो कोई छोड़ जाता है। <br />फंसा रहता है इस आवागमन में तू मानव ,<br />तेरे जैसे कर्म बन्दे , तू वैसा फल ही पाता है।<br /><br />वाह डॉ साहब !<br />जिंदगी के अमूल्य फलसफे का खूब <br />चित्रण किया है आपने .....<br />हर लफ्ज़ में हर पहलु को दर्शाने की <br />कामयाब कोशिश पर मुबारकबाद कुबूल फरमाएं .<br />और ....मेरी हौसला-अफजाई के लिए बेहद शुक्रिया .<br />---मुफलिस---daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-88745044159958006442009-04-26T10:20:00.000+05:302009-04-26T10:20:00.000+05:30waah !! ultimate ...superbwaah !! ultimate ...superbअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.com