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Wednesday, August 2, 2023

यमुना की बाढ़...

 यमुना के प्रचंड बहाव को दिल्ली सह नहीं पाती,

फितरत है इसकी, इसलिए बिन बहे रह नहीं पाती।


प्रकृति जब रौद्र रूप धारण कर लेती है,

तब यह आकस्मिक भार सह नहीं पाती। 


पथ में जब आती हैं बाधाएं इंसान के कुकर्मों की,

प्रवृति अनुसार स्वाभाविक रूप से बह नहीं पाती। 


निर्जीव नहीं है, न निर्बल है और न ही है बेजुबान,

मां है, ममतामई है, जुबां से कुछ कह नहीं पाती। 


किंतु जब मानव प्रलोभन वार करता है अस्मत पर,

तब तुरंत चंडी रूप धारण किए बिना रह नहीं पाती। 


ये जमना है जीवनदायिनी है, मिलकर करो विचार,

सरल है सहिष्णु है परंतु हद से आगे सह नहीं पाती।