वो उसके दिल का राजा था, वो उसके दिल की रानी थी। 
शिरी फरहाद से ऊंची, उनकी प्रेम कहानी थी। 
वो उसको छोड़ कर भागा कोई तो थी ये मजबूरी ,
उस चाँद पे था दाग फ़िजा, तुझ पे खिजा तो आनी थी। 
कोई लैला कोई मजनू , कोई शिरी कोई फरहाद। 
मुहब्बत में हुए कुर्बान , ज़माना रखे उनको याद। 
सींच कर खून से अपने बचाएं जो वतन की लाज ,
उन गुमनाम शहीदों को, भुलाये क्यों वतन ही आज। 
कोई आंसू बहाता है , तो कोई मुस्कराता है। 
कोई संसार आता है, तो कोई छोड़ जाता है। 
फंसा रहता है इस आवागमन में तू मानव ,
तेरे जैसे कर्म बन्दे , तू वैसा फल ही पाता है। 
Tuesday, April 21, 2009
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