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Tuesday, March 10, 2009

कहीं रावण भी जल न पाये --

कुछ वर्ष पहले दिल्ली में होली के अवसर पर पानी का गंभीर संकट पैदा हो गया था।उसी वक्त की ये पंक्तियाँ --

जनता को चिंता सता रही थी ,
होली करीब आ रही थी,
और पानी की टंकियां थी खाली ,
फ़िर कैसे मनाएंगे होली?

ऊपर वाले ने झाँक कर देखा,
धरा पर उड़ती धूल, तलों में सूखा।
नाजुक पौधे धूप से झुलस रहे थे ,
मेंढक भी बिना पानी के फुदक रहे थे।

मैली होकर सूख रही थी गंगा,
जमना का तल भी हो रहा था नंगा।
नल के आगे झगड़ रही थी ,
शान्ति,पारो और अमीना।
नाजुक बदन कोमल हाथों में लिए बाल्टी ,
मिस नीना चढ़ रही थी जीना।

ये तो कलियुग का प्रकोप है , उपरवाले ने सोचा,
और करूणावश पसीजने से अपने मन को रोका।
पर कलियुग पर आपके कर्मों का पलडा था भारी ,
इसीलिए धरती पर उतरी इन्द्र की सवारी।

फ़िर छमछम बरसा पानी , धरती की प्यास बुझाई ,
पर होलिका दहन में बड़ी मुसीबत आई।
छतरी के नीचे, मिट्टी के तेल से, मुश्किल से जली होली,
मैंने सोचा इस बरस होली तो बस होली।

पर देखिये चमत्कार, कुदरत ने फ़िर से बदला रूप,
और होली के दिन बिखर गई, नर्म सुहानी धूप।
फ़िर जेम्स, जावेद, श्याम और संता ने मिल कर खेली होली,
और शहर में धर्मनिरपेक्षता की जम कर तूती बोली।

नादाँ है कलियुग अभी, कहीं जवां हो न जाए,
और मानव के जीवन में इक दिन ऐसा आए,
कि होलिका तो होलिका, रावण भी जल न पाये।
सत्कर्मों को अपनाइए, यही है एक उपाय ,यही है एक उपाय।

जल मानव को प्रकृति की एक अद्भुत देन है, इस प्राकृतिक सम्पदा को व्यर्थ न करें।
वाटर हार्वेस्टिंग को अपनाएं।

Friday, March 6, 2009

स्लमदोग्स कौन ?

बिहार में कोसी नदी का पानी
जब कहर ढ़ा रहा था ।
दिल्ली में एक पशु प्रेमी वर्ग ,
तब कुत्तों का स्वयम्बर रचा रहा था।
जहाँ मेधापुर वासियों के अरमान तो ,
कोसी के पानी में बह गए ।
वहीं इस सामूहिक विवाह में ,
अधिकाँश कुत्ते भी कुंवारे ही रह गए।
यूँ तो मंडप में सजे बैठे सैंकडों ,
जर्मन शेफर्ड , बुल्दोग और दाल्मेसियन मादा थी।
पर पंडित बेचारे क्या करते,
क्योंकि मनुष्यों की तरह कुत्तों में भी नरों की संख्या ज्यादा थी।
मैंने एक आयोजक से पूछा , मित्र
बिहार के बाढ़ पीड़ित तो भूख प्यास से ,
कराह रहे हैं।
ऐसे में आप कुत्तों का ब्याह रचा रहे हैं?
वो बोला दोस्त ये हिन्दुस्तान है ,
यहाँ इंसान तो फ़िर मुफ्त में लाखों पैदा हो जायेंगे।
किंतु गर ब्याह नहीं रचाया ,
तो ये एक एक लाख के बुल्दोग और दाल्मेसियन कहाँ से आयेंगे?
मैंने कहा वाह रे हिन्दुस्तान ,
यहाँ कुत्ते मंहगे और सस्ता इंसान ,
फ़िर भी मेरा भारत महान!