tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post8697675639689084301..comments2024-03-21T12:48:25.921+05:30Comments on अंतर्मंथन: विकास की आंधी ने संस्कारों को चूर चूर कर दिया है ---डॉ टी एस दरालhttp://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-28958570860601598762014-06-20T17:28:48.846+05:302014-06-20T17:28:48.846+05:30सच का आईना दिखाती उम्दा पोस्ट ...सच का आईना दिखाती उम्दा पोस्ट ...Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-5849365329371184902014-06-20T17:27:50.166+05:302014-06-20T17:27:50.166+05:30This comment has been removed by the author.Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-68850592765100011722014-06-09T15:39:05.507+05:302014-06-09T15:39:05.507+05:30यानि प्रयास सफल रहा ! धन्यवाद नासवा जी ... यानि प्रयास सफल रहा ! धन्यवाद नासवा जी ... डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-24611821278397887252014-06-08T17:36:18.492+05:302014-06-08T17:36:18.492+05:30सच कहा है .. अज तो एक कमरे में बीत कर भी सब अलग अल...सच कहा है .. अज तो एक कमरे में बीत कर भी सब अलग अलग होते हैं ... अपने अपने में मग्न ... नेट में मग्न ...<br />गज़ब का चित्रण है ... हर पहलू को बारीकी से देखा है रचना ने ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-26071194394945382872014-06-07T22:05:23.067+05:302014-06-07T22:05:23.067+05:30यही सच्चाई है.
रामराम.यही सच्चाई है.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-39350430262879203102014-06-07T18:24:33.012+05:302014-06-07T18:24:33.012+05:30कुश्वंश जी , बेशक बुजुर्गों जी जिंदगी सूनी सूनी सी...कुश्वंश जी , बेशक बुजुर्गों जी जिंदगी सूनी सूनी सी हो जाती है ! सबका फ़र्ज़ बनता है , उनका ध्यान रखना ...डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-3701536027860816602014-06-07T18:11:03.600+05:302014-06-07T18:11:03.600+05:30गहन ...गहन ...Smart Indian - अनुराग शर्माhttps://www.blogger.com/profile/00609348818544161042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-88634844979411067682014-06-07T16:02:32.647+05:302014-06-07T16:02:32.647+05:30डाक्टर साहब पूरा खाका खींच दिया जीवन यात्रा का॰ आप...डाक्टर साहब पूरा खाका खींच दिया जीवन यात्रा का॰ आपको एक और मजेदार बात बताता हूँ ... टहलते हुये मैंने दो बुजुर्गवारों की बातें सुनी ॰ <br />-भाई सुबह बड़ा सुकून मिलता है <br />-हा सुबह की हवा बड़ी निर्मल होती है <br />- भाई मुझे तो आपका साथ सुबह सुबह ही मिलता है , उंसके बाद तो घर मे बंद हो जाता हू , बेटा बहू काम पर चले जाते हैं, अपने आप खाना लेना , खाना और शाम तक किसी को देखने को तरसना यही दिन चर्या है <br />मुझे लगा कितना अच्छा है सुबह का टहलना ..........Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-2702119593965651542014-06-06T13:58:01.783+05:302014-06-06T13:58:01.783+05:30जी शुक्रिया . साथ ही समाज की आर्थिक विभिन्नता और श...जी शुक्रिया . साथ ही समाज की आर्थिक विभिन्नता और शहरी जिंदगी की निष्क्रियता की ओर भी ध्यान दिलाया गया है . डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-32639764000763529242014-06-06T10:00:25.230+05:302014-06-06T10:00:25.230+05:30विकास आगे बढने की सहज प्रक्रिया है । इसमें पीछे बह...विकास आगे बढने की सहज प्रक्रिया है । इसमें पीछे बहुत कुछ छूटता है ,नया मिलता है लेकिन छूटे हुए का ध्यान रखना और उसे कुछ परिवर्धित रूप में अपने साथ ले चलना अच्छी बात है । छूटे हुए को याद करने की कोशिश है यह कविता । सुन्दर ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-30822466838559655102014-06-05T23:15:24.800+05:302014-06-05T23:15:24.800+05:30परिवार कहीं पास तो कहीं दूर हो गए हैं ... विकास की...परिवार कहीं पास तो कहीं दूर हो गए हैं ... विकास की राह में उन्नति है तो कुछ बुरे प्रभाव भी , हम किसे ज्यादा अपनाएं , यह हम पर निर्भर करता है ! वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-18517624745595554802014-06-05T20:28:06.354+05:302014-06-05T20:28:06.354+05:30आपकी इस पोस्ट को ब्लॉग बुलेटिन की आज कि विश्व पर्य...आपकी इस पोस्ट को ब्लॉग बुलेटिन की आज कि <a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2014/06/World-Environment-Day-aur-Blog-Bulletin.html" rel="nofollow"><b>विश्व पर्यावरण दिवस और ब्लॉग बुलेटिन</b></a> में शामिल किया गया है। <b>कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।</b>HARSHVARDHAN https://www.blogger.com/profile/15717143838847827989noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-28323644131071841832014-06-05T15:32:15.580+05:302014-06-05T15:32:15.580+05:30आह... और वाह... दोनों निकले मुँह से. आह... और वाह... दोनों निकले मुँह से. shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-80243665683431727662014-06-05T14:20:17.327+05:302014-06-05T14:20:17.327+05:30सही कहा जी . शहरी जिंदगी मे निष्क्रियता सबसे ज्याद...सही कहा जी . शहरी जिंदगी मे निष्क्रियता सबसे ज्यादा घातक सिद्ध होती है ! डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-65055948925090636622014-06-05T14:18:23.576+05:302014-06-05T14:18:23.576+05:30गुप्ता जी , हमे लगता है कि यदि हम विकास की बुराइयो...गुप्ता जी , हमे लगता है कि यदि हम विकास की बुराइयों से बचें और अच्छाइयों को अपनाएं तो अपने संस्कारों को भी बचाये रख सकते हैं !डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-89899870620066140092014-06-05T14:16:39.873+05:302014-06-05T14:16:39.873+05:30शर्मा जी , विकास के साथ संस्कारों का बदलना भी शायद...शर्मा जी , विकास के साथ संस्कारों का बदलना भी शायद नियति ही है ! हमे इसे स्वीकारना ही पड़ेगा ! डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-66708166876309012802014-06-05T12:39:16.983+05:302014-06-05T12:39:16.983+05:30बहुत सुन्दर चित्रण, बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
इसलिए ...बहुत सुन्दर चित्रण, बहुत सुन्दर प्रस्तुति !<br />इसलिए कैसे भी हो... थोड़ा वक़्त अपने लिए निकाल कर, अपनी सेहत पर ज़रूर ध्यान देना चाहिए क्योंकि और कोई साथ दे न दे... अपना शरीर साथ देने लायक तो होना ही चाहिए... <br /><br />~सादर <br />अनिता ललित Anita Lalit (अनिता ललित ) https://www.blogger.com/profile/01035920064342894452noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-62472177733306726072014-06-05T10:56:56.349+05:302014-06-05T10:56:56.349+05:30कहा गया है विनाश काले विपरीत बुद्धि
तदनुसार विनाश...कहा गया है विनाश काले विपरीत बुद्धि <br />तदनुसार विनाश की भूमिका रची जा रही है नवयुग के तथाकथित विकास पुरुषों द्वारा उस अंधाधुन्द विकास के नाम पर जो प्रायः अर्धविक्षिप्त अवस्था में ही पाया जाता है आम आदमी की जिंदगी में <br /><br />उपरोक्त का विस्तृत उद्धरण आपकी इस मर्मस्पर्शी कविता में मिल रहा है …………Mumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-18420047514872503572014-06-05T10:31:04.481+05:302014-06-05T10:31:04.481+05:30हम कहाँ से चले थे । ओर कहाँ पहुच गए।
जब मुड कर पीछ...हम कहाँ से चले थे । ओर कहाँ पहुच गए।<br />जब मुड कर पीछे देखा, हम वहि के वहि <br />खड़े थे। <br />हमारे पिताजी जो हमसे कहते थे। वही हम<br />आज कह रहे है। हम विकसित हो गए।<br />बचपन जवानी ओर वृद्ध अवस्था ?<br />इन घड़ियों को गिनते गीनाते ।<br />ओर ना जाने कब चिर निंद्रा में सों गए।<br /><br />विकास का कोई अंत नहीं। यह अक्षय, तथा निरंतर है।<br />आप द्वारा रचित रचना ,अनुभव की कसौटी पर सरो-सर खरी <br />उतरी है।<br /><br /><br />Harivansh sharmahttps://www.blogger.com/profile/14038836218649982465noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-19807762098251585052014-06-05T10:30:54.263+05:302014-06-05T10:30:54.263+05:30This comment has been removed by the author.Harivansh sharmahttps://www.blogger.com/profile/14038836218649982465noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-848224722297758782014-06-05T10:27:58.410+05:302014-06-05T10:27:58.410+05:30हम कहाँ से चले थे । ओर कहाँ पहुच गए।
जब मुड कर पीछ...हम कहाँ से चले थे । ओर कहाँ पहुच गए।<br />जब मुड कर पीछे देखा, हम वहि के वहि <br />खड़े थे। <br />हमारे पिताजी जो हमसे कहते थे। वही हम<br />आज कह रहे है। हम विकसित हो गए।<br />बचपन जवानी ओर वृद्ध अवस्था ?<br />इन घड़ियों को गिनते गीनाते ।<br />ओर ना जाने कब चिर निंद्रा में सों गए।<br /><br />विकास का कोई अंत नहीं। यह अक्षय, तथा निरंतर है।<br />आप द्वारा रचित रचना ,अनुभव की कसौटी पर सरो-सर खरी <br />उतरी है।<br /><br /><br />Harivansh sharmahttps://www.blogger.com/profile/14038836218649982465noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-40635482506966368552014-06-05T09:42:18.515+05:302014-06-05T09:42:18.515+05:30पूरा सामाजिक -पारिवारिक तानाबाना ही बदल गया है ......पूरा सामाजिक -पारिवारिक तानाबाना ही बदल गया है ..... समसामयिक पंक्तियाँ डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-16470139752967950662014-06-05T08:54:38.108+05:302014-06-05T08:54:38.108+05:30बेहद गहन अभिव्यक्ति..बेहद गहन अभिव्यक्ति..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-82220036720222797602014-06-05T08:10:31.934+05:302014-06-05T08:10:31.934+05:30 बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुति आभार
बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुति आभार <br />समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.com