tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post7230268746267429249..comments2024-03-21T12:48:25.921+05:30Comments on अंतर्मंथन: दुनिया में कंजूस आदमी सबसे दयालु इन्सान होता है -- क्या आप भी हैंडॉ टी एस दरालhttp://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comBlogger66125tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-31748490197392062712012-07-18T21:15:09.846+05:302012-07-18T21:15:09.846+05:30एक दुनिया ये अलग सी ...जो हर कोई नहीं समझ सकताएक दुनिया ये अलग सी ...जो हर कोई नहीं समझ सकताAnju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-57431769419745726372012-07-10T17:03:57.769+05:302012-07-10T17:03:57.769+05:30शुक्रिया भाई जी .शुक्रिया भाई जी .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-49753849697784597172012-07-07T18:25:56.435+05:302012-07-07T18:25:56.435+05:30उसी के बच्चे खाते हैं , मरणोपरांत ! :)उसी के बच्चे खाते हैं , मरणोपरांत ! :)डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-29388591123497302702012-07-07T18:09:15.924+05:302012-07-07T18:09:15.924+05:30डॉ साहब मैंने तो सुना है , कि कंजूसो का पैसा डाक्ट...डॉ साहब मैंने तो सुना है , कि कंजूसो का पैसा डाक्टर लोग खाते है !मुकेश पाण्डेय चन्दनhttps://www.blogger.com/profile/06937888600381093736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-51584706569349570172012-07-05T09:53:45.739+05:302012-07-05T09:53:45.739+05:30गीता आदि पढ़ अपन की समझ में आ गया कि साकार मानव एक...गीता आदि पढ़ अपन की समझ में आ गया कि साकार मानव एक मॉडल है! किन्तु कोई ऐरा-गैरा नहीं, सम्पूर्ण ब्रह्मांड का!!! किन्तु, शक्ति से साकार की चरम सीमा तक पहुँचने का काम यद्यपि शून्य काल में ही हो गया (क्यूंकि सृष्टि कर्ता, नादबिन्दू, शून्य कल और स्थान से सम्बंधित है), किन्तु अस्थायी, सीमित काल तक चलने वाले मॉडल की सुविधा के लिए शून्य से अनंत तक और फिर वापिस शून्य तक उत्पत्ति और पतन , पहाड़ पर चढ़ाव और उतार समान, को अनंत काल-चक्र में, लूप में जैसे, डाल महायुगों में होते दर्शाया गया है - जिसे विष्णु के अनंत/ शेष नाग पर योगनिद्रा में लेट दर्शाया जाता है सांकेतिक भाषा में...:) इसी लिए योगी कह पाए "शिवोहम!" अर्थात मैं अनंत आत्मा हूँ जो योगमाया के कारण बदलता प्रतीत होता है!!!JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-57192602764698202052012-07-04T20:26:12.404+05:302012-07-04T20:26:12.404+05:30JCJuly 04, 2012 8:16 PM
डॉक्टर साहिब, मेरा तात्पर्...JCJuly 04, 2012 8:16 PM<br />डॉक्टर साहिब, मेरा तात्पर्य आधुनिक चिकित्सा जगत की धारणा क्या है जानने से था... <br />अपने पूर्वजों के विचार तो हमने काफी जान लिए हैं कथा-कहानियों, गीता आदि पढ़... <br />और यह भी समझ गए हैं कि हम आत्माएं हैं, शरीर नहीं! क्यूंकि वो मिथ्या है, एक सिनेमा के रुपहले परदे पर उभरती आकृति समान, जिनके साथ हर आत्मा अपने आप को सम्बंधित महसूस करने लगती हैं - १०० (+/-) वर्ष तक बचपन से बुढापे तक.... <br />ऐसे ही भविष्य में भी समय समय पर किसी अन्य रूप में भी आ कर, जब तक हर आत्मा को मोक्ष नहीं मिल जाता, जो मनुष्य जीवन में ही संभव है, और जन्म-मृत्यु-पुनर्जन्म का चक्र टूट नहीं जाता... किन्तु न मालूम यह आवश्यक क्यूँ है!!!... ...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-41259553847497245712012-07-04T18:42:34.844+05:302012-07-04T18:42:34.844+05:30जे सी जी , गीतानुसार , यह मन बड़ा चलायमान है . कभी...जे सी जी , गीतानुसार , यह मन बड़ा चलायमान है . कभी चुप बैठता ही नहीं . इसे वश में करने के लिए बहुत ताकत लगानी पड़ती है , ध्यान की . जब वश में आ जाता है , तभी परम शांति का अहसास होता है . इसलिए दिन हो या रात , नींद में या जागते हुए , यह सोचता ही रहता है .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-4230858836388355882012-07-04T18:27:56.267+05:302012-07-04T18:27:56.267+05:30साहब कित्ती बार बतला दिया अपन न कंजूस हैं न दयालू....साहब कित्ती बार बतला दिया अपन न कंजूस हैं न दयालू.आपकी टिप्पणियाँ हमारे लेकाहन की आंच यूं ही बनी रहें .शुक्रिया .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-64554664253511219562012-07-04T18:08:11.465+05:302012-07-04T18:08:11.465+05:30डॉक्टर साहिब, हम एक विषय से दूसरे विषय पर चर्चा कर...डॉक्टर साहिब, हम एक विषय से दूसरे विषय पर चर्चा करते चले जाते हैं, और कई दृष्टिकोण सामने आ जाते हैं...... <br />स्वयं अपने को जानने के लिए, एक पोस्ट इस विषय पर भी कृपया लिखें कि हम स्वप्न कैसे देखते हैं??? अर्थात जब हम थक कर सूर्यास्त के पश्चात निद्राबस्था में चले जाते हैं तो फिल्म समान तसवीरें हमारे मानस पटल पर कैसे उभरती हैं??? जो सत्य प्रतीत होती हैं!!! <br />और, उसी प्रकार, जागृत अवस्था में भी, जब हम कभी कभी किसी कारण वश कुछ भी नहीं सोचना चाहते, फिर भी एक ही नहीं कई बार अनेक विचार आते रहते हैं!!! वो विचार किसके होते हैं, हमारे अथवा किसी और के? शायद किसी अदृश्य जीव/ जीवों के (जिन्हें भूत कहा जाता आया है !)???...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-91476831202356316492012-07-04T14:32:55.443+05:302012-07-04T14:32:55.443+05:30यहाँ तो दोनों को गोल गप्पे ही कहते हैं . :)यहाँ तो दोनों को गोल गप्पे ही कहते हैं . :)डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-50470774818087750752012-07-04T10:28:38.751+05:302012-07-04T10:28:38.751+05:30is-tarah ye sabit hua ke hum dayalu hain?????
pr...is-tarah ye sabit hua ke hum dayalu hain?????<br /><br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-82236020386303015482012-07-04T09:43:58.377+05:302012-07-04T09:43:58.377+05:30दराल जी
एक बार हम मॉल में गए साथ में बिटिया भी थी।...दराल जी<br />एक बार हम मॉल में गए साथ में बिटिया भी थी। उसने हमारे लिए पानी-पूरी मंगाई, वह रेडीमेड बनी हुई आयी। बहुत ही स्वादिष्ट थी। फिर एक बार हम दोनों अकेले चले गए पानी-पूरी खाने। हमने भी पानी-पूरी का ही आर्डर दिया। जब उसने हमें गोपगप्पे और पानी अलग-अलग पकडाया तो माथा ठनका। हमने उससे कहा िक यह क्या है, तुमने सब कुछ बनाकर क्यों नहीं दिया। तब उसने कहा कि वह सेव-पूरी कहलाती है।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-13796555494710234882012-07-04T07:44:55.057+05:302012-07-04T07:44:55.057+05:30रोचक पोस्ट!रोचक पोस्ट!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-61863007680366739152012-07-03T20:29:02.057+05:302012-07-03T20:29:02.057+05:30"जिंदगी न मिलेगी दुबारा" पर, अर्थात इस &..."जिंदगी न मिलेगी दुबारा" पर, अर्थात इस 'पश्चिमी' सोच पर, दुबारा सोचना चाहेगा कोई कोई शायद, विशेषकर 'ह्न्दु'! क्यूंकि मान्यता है कि साकार रूप (पिंड) शक्ति (आत्मा) और 'मिटटी' अर्थात नवग्रह के सारों के योग का नतीजा है - भले ही वो सूक्ष्म जीव हो, अथवा कोई बड़ा सितारा... और पृथ्वी पर आधारित असंख्य प्राणी रूपों में, पशु जगत में, मानव सर्वोच्च कृति है जो काल-चक्र में चलते चलते, चौरासी लाख निम्न श्रेणी रूप धारण कर, मानव शरीर प्राप्त करता है... और इसी रूप में ही, किसी भी व्यक्ति के लिए, एक १०० (+/-) वर्ष के सीमित जीवन काल में ज्ञान उपार्जन कर परम सत्य तक पहुंचना संभव है - जो कि मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य भी है... और माना जाता है कि आम आदमी, वर्तमान कलियुग होने के कारण. अधिकतर मार्ग से भटक जाता है (विष के प्रभाव से? जिसे केवल शिव ही अपने कंठ में धारण करने में 'माँ' की कृपा से सक्षम हैं, अथवा उनके प्रतिरूप भी?!)......JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-91309240197481142412012-07-03T18:18:12.382+05:302012-07-03T18:18:12.382+05:30अनुराग जी , लेकिन यहाँ सब खुश हैं . किसी को कोई शि...अनुराग जी , लेकिन यहाँ सब खुश हैं . किसी को कोई शिकायत नहीं . :)डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-23332878331277927442012-07-03T16:03:22.615+05:302012-07-03T16:03:22.615+05:30जो भी है आपने निष्कर्ष बहुत अच्छा निकाला है ... कं...जो भी है आपने निष्कर्ष बहुत अच्छा निकाला है ... कंजूर आदमी सबसे बड़ा दयालू ... जो है सबके लिए छोड़ जाना है आखिर ... <br />इसलिए खाओ पीओ मौज करो ... जिंदगी न मिलेगी दुबारा ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-74982870060184113142012-07-03T05:55:20.569+05:302012-07-03T05:55:20.569+05:30अजब तेरी रहमत! समाजवाद आया भी तो किस रास्ते से ......अजब तेरी रहमत! समाजवाद आया भी तो किस रास्ते से ...Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-3956704758441139952012-07-02T21:57:57.117+05:302012-07-02T21:57:57.117+05:30मॉल्स में सबसे जायदा भीड़ ,फ़ूड कोर्ट में ही देखी ...मॉल्स में सबसे जायदा भीड़ ,फ़ूड कोर्ट में ही देखी जाती है...दुकानें तो खाली पड़ी रहती हैं...पर अच्छी बात ये है कि कोई भेदभाव नहीं.. हर तबके के लोग इस माहौल का लुत्फ़ उठा सकते हैं.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-75631860727248803622012-07-02T20:12:22.321+05:302012-07-02T20:12:22.321+05:30अंततोगत्वा, गीता में भी तो सोच समझ कर ही लिखा गया ...अंततोगत्वा, गीता में भी तो सोच समझ कर ही लिखा गया होगा कि सब गलतियों का मूल अज्ञान है!!!... अर्थात, जैसा आपने भी कहा, कल क्या होगा किसी को भी नहीं पता... आम आदमी आम तौर पर साकार जगत/ पैसे को अधिक महत्त्व देता है, और परम्परा को निभाते पैसा बचा के रखता है (भले ही वो सफ़ेद हो अथवा काला)... मानव शरीर को सिद्धों के दृष्टिकोण से, अदृश्य शक्ति, आत्मा (कृष्ण/ अमृत परमात्मा शिव), और सफ़ेद रश्मि वाले सूर्य और उसके नौ (९) ग्रहों की मिटटी के योग से बने होने के कारण मानव जीवन में इसे द्वैतवाद उत्पन्न होने का मुख्य कारण जान, आदमी को एक जीवन काल में सत्य और असत्य के बीच भेद करना लगभग असंभव जान आत्मा को बार बार काल-चक्र में लौटना स्वाभाविक जाना...:(..JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-87200919134061238942012-07-02T20:08:36.296+05:302012-07-02T20:08:36.296+05:30हम नहीं कंजूस भाई ,
हम न मख्खी चूस भाई ,
हम तो हैं...हम नहीं कंजूस भाई ,<br />हम न मख्खी चूस भाई ,<br />हम तो हैं बस हम ही भाई ,<br />बढिया विश्लेषण कंजूस की नै व्याख्या .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-59021222252667157992012-07-02T18:17:06.463+05:302012-07-02T18:17:06.463+05:30जी हाँ , भ्रष्ट लोग भी धन को छुपा कर जोड़ते रहते ह...जी हाँ , भ्रष्ट लोग भी धन को छुपा कर जोड़ते रहते हैं , जैसे साथ लेकर ही जायेंगे . लेकिन अफ़सोस , सारा यहीं रह जाता है . इसलिए एक नंबर का हो या दो नंबर का --खर्च तो कर ही लेना चाहिए . हालाँकि रिश्वत के paise को खर्च करने में भी लोग डरते हैं .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-28028297684539865042012-07-02T17:22:21.628+05:302012-07-02T17:22:21.628+05:30समाचार पत्रों में भी कभी कभी ऐसे समाचार पढ़ने को म...समाचार पत्रों में भी कभी कभी ऐसे समाचार पढ़ने को मिल जाते हैं कि कैसे किसी (कंजूस?) भिखारी के मरने के बाद उस के घर में उस के द्वारा भीख में जमा किये गए लाखों रूपये मिले!!!JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-14483280110064121012012-07-02T13:48:16.843+05:302012-07-02T13:48:16.843+05:30निर्मला जी , इच्छाएं मारकर कोई दयालु नहीं होता . न...निर्मला जी , इच्छाएं मारकर कोई दयालु नहीं होता . न ही अपने ऊपर खर्च करना निर्दयी होना है . :)डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-5579358876102688982012-07-02T13:46:44.634+05:302012-07-02T13:46:44.634+05:30सही कहा मिश्र जी .सही कहा मिश्र जी .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-86294067636710951522012-07-02T13:46:09.691+05:302012-07-02T13:46:09.691+05:30अजित जी , सामर्थ्य होते हुए भी आवश्यक खर्च न करना ...अजित जी , सामर्थ्य होते हुए भी आवश्यक खर्च न करना कंजूसी कहलाता है . आजकल लोगों के पास डिस्पोजेबल इनकम बहुत होती है , इसे खर्च करना गलत नहीं हो सकता . <br />सेव पूरी के बारे में सुना नहीं .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.com