tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post662183647357471934..comments2024-03-21T12:48:25.921+05:30Comments on अंतर्मंथन: क्या आप अपनी या अपने बच्चों की शादी, बिना दान- दहेज़ के कर सकते हैं ?डॉ टी एस दरालhttp://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-76039160048637918622010-08-11T15:59:21.630+05:302010-08-11T15:59:21.630+05:30इस समय मौजूदा चलन को देखते हुए ये कहना तो मुश्किल ...इस समय मौजूदा चलन को देखते हुए ये कहना तो मुश्किल ही लग रहा है कि लोग अपने बच्चों की शादी-ब्याह के मौके पर दहेज नहीं लेंगे...लेकिन ये भी सच है कि जागरूकता आहिस्ता-आहिस्ता ही आएगी ...<br /><br />बारिश की पहली बूँद को फनाह होना ही पड़ता है ...इसलिए बिना-दहेज शादी करने वालों की बुराइयां भी की जाएंगी...ताने भी कसे जाएंगे लेकिन उम्मीद है कि एक ना एक दिन सवेरा हो कर ही रहेगाराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-10431091373218030992009-12-26T20:25:45.819+05:302009-12-26T20:25:45.819+05:30पाबला जी, आप बधाई के पात्र हैं।
बस इसी तरह ज्योत स...पाबला जी, आप बधाई के पात्र हैं।<br />बस इसी तरह ज्योत से ज्योत जलती रही तो, इंसानियत रौशन हो सकती है।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-70021406497384635032009-12-26T18:40:34.644+05:302009-12-26T18:40:34.644+05:30दहेज ना लेने वालों की लाईन में मैं भी खड़ा हूँ।
उम...दहेज ना लेने वालों की लाईन में मैं भी खड़ा हूँ।<br />उम्मीद है बेटे की शादी में दहेज स्वीकार नहीं करूँगा, अपने स्तर पर<br />बिटिया की शादी का मामला तो वक्त बताएगा।<br /><br /><a href="http://www.google.com/profiles/bspabla" rel="nofollow"> बी एस पाबला</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-52170029163494852442009-12-26T12:35:38.298+05:302009-12-26T12:35:38.298+05:30खुशदीप भाई, सही लिखा है आपने।
शादी का मामला बड़ा...खुशदीप भाई, सही लिखा है आपने। <br /><br />शादी का मामला बड़ा कोप्लिकेतद इश्यु है। <br /><br />अगली पोस्ट में कुछ काम की बातें हैं, पढियेगा ज़रूर।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-46603742681901023222009-12-26T10:13:53.340+05:302009-12-26T10:13:53.340+05:30दराल सर,
आपका सवाल वाज़िब है...लेकिन ज़माने की जि...दराल सर,<br /><br />आपका सवाल वाज़िब है...लेकिन ज़माने की जिस तरह रफ्तार है, आने वाला वक्त ऐसा भी आ सकता है<br /><br />बेटी...डैड, आज शाम को मेरी शादी है, आप ज़रूर आइएगा...<br /><br />डैड... सॉरी बेटा, शाम को तो मैं नहीं आ सकता, आज मेरी भी शादी है...<br /><br />ये तो रही मज़ाक की बात...दहेज और उपहार में फर्क होता है...बेटी का भी मां-बाप पर उतना ही हक होता है जितना कि बेटे का...अगर मां-बाप खुशी खुशी और अपने सामर्थ्य के अंदर ही कोई उपहार बिटिया को देना चाहते हैं तो उसमें कोई बुराई नहीं है...हां दबाव जहां हो वहां रिश्ता ही नहीं जोड़ना चाहिए...मैंने ऐसे परिवार भी देखे हैं जो पहले कहते हैं हमें बस बिटिया चाहिए और कुछ नहीं...लेकिन दहेज में मोटा माल-पानी न मिले तो शादी के अगले दिन से ही ससुराल में सबके मुंह बन जाते हैं...बहू को कभी बारातियों की खातिर न होने, या घर का कामकाज न आने के ताने देकर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया जाता है...और आजकल वो ज़माना भी नहीं रहा जब रिश्तेदारों या जानने वालों को ही बेटे-बेटियों के जवान होने पर शादी की फिक्र रहती थी...अब कोई इस काम में हाथ नहीं डालना चाहता...अखबारों या नेट पर मैट्रिमोनियल एड देखकर रिश्ते होते हैं..,इन एड में अस्सी फीसदी झूठ लिखा जाता है....यही सब शादी के बाद गड़बड़झाला करता है....टिप्पणी कुछ ज़्यादा ही लंबी हो गई लगती है...<br /><br />आपके टीचर से मिलना बड़े दिन से ड्यू है....लेकिन क्या करूं साल का आखिर होने की वजह से काम की व्यस्तता कुछ ज़्यादा है...खैर उम्मीद पर दुनिया कायम है...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-62780674999605760042009-12-25T17:45:48.668+05:302009-12-25T17:45:48.668+05:30दहेज़ एक अभिशाप है...कल भी था और आज भी है...पैंतीस...दहेज़ एक अभिशाप है...कल भी था और आज भी है...पैंतीस साल पहले मात्र सवा रुँपये वो भी पंडित के बहुत अनुनय विनय के बाद लिए जाने पर,पर शादी हुई थी हमारी...दोनों बेटों की शादी में जब कुछ भी लेने से मना कर दिया तो वधु पक्ष वाले सन्नाटे में आ गए...बोले बिरादरी में हमारी इज्ज़त क्या रहेगी...बेटी यूँ ही विदा कर दी..लेकिन हम अपनी बात पर अड़े रहे...सिर्फ इक्का दुक्का लोगों के दहेज़ न लेने से ये कुप्रथा समाप्त नहीं होगी...इसे जड़ से निकालना होगा...बच्चों को ही दहेज़ ना लेने की जिद करनी होगी...बेटे का बाप स्वयं मान जायेगा...लेकिन अगर आपका बेटा ही दहेज़ पर आँखें गडाए बैठा हो तो क्या कीजियेगा...तब लड़कियों को ऐसे लड़कों का सार्वजनिक अपमान करना चाहिए...लेकिन ये सब कहना आसान है करना मुश्किल...समाज में इतनी गहरें जड़ें ये कुरीति जमा चुकी है की इसे निकलने में भागीरथी प्रयास करने होंगे...क्या ही अच्चा हो यदि पड़े लिखे लोग इस प्रकार के विवाह का सार्वजनिक बहिष्कार करें...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-14067475826503284622009-12-25T17:14:22.957+05:302009-12-25T17:14:22.957+05:30na isake baare me sochaa na kabhi vichaar kiyaa,, ...na isake baare me sochaa na kabhi vichaar kiyaa,, apni jindagi shaayad isiliye mast chal rahi he.अमिताभ श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-78436545203915740972009-12-25T15:08:08.216+05:302009-12-25T15:08:08.216+05:30मेरी अपनी शादी में (४४ साल पहले)भी कोई दहेज नही लि...मेरी अपनी शादी में (४४ साल पहले)भी कोई दहेज नही लिया गया और हमने भी अपने बेटों की शादी में दहेज नही लिया । बेटी थी नही होती तब शायद उसको भी यही सिखाते ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-63954169945446669482009-12-25T14:31:29.612+05:302009-12-25T14:31:29.612+05:30अपने हैसियत के अनुसार उचित खर्चों को करना ठीक है ।...अपने हैसियत के अनुसार उचित खर्चों को करना ठीक है । आखिर एक पारिवारिक खुशी की बात है । त्योहार में भी हम यथाशक्ति उपहार आदि देते ही हैं , ये भी तो एक पारिवारिक त्योहार है । मुश्किल तब होती है जब जोर जबरदस्ती होती है , हैसियत के बाहर चीजों को कर्ज लेकर पूरा किया जाता है ,जिसके मैं सख्त खिलाफ़ हूं ।अजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-26348378132368197192009-12-25T11:11:14.197+05:302009-12-25T11:11:14.197+05:30दहेज यानी हेज मे दी गई हेज माने प्यार . प्यार मे द...दहेज यानी हेज मे दी गई हेज माने प्यार . प्यार मे दी गई वस्तुए . दहेज मांगना पाप है . मुझे तो दहेज मिला था लेकिन मांगा नही थाdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-50823904522782292492009-12-24T23:16:30.327+05:302009-12-24T23:16:30.327+05:30आज ८०% लोग दिखावे में जी रहे हैं और यही कारण है सम...आज ८०% लोग दिखावे में जी रहे हैं और यही कारण है समाज में दहेज के प्रति बढ़ती प्रेम ..लोग कहते है पर अमल नही करते निश्चित रूप से इसका तिरस्कार करना चाहिए..अब तो हम इक्कीसवीं शताब्दी में आ गये है..कब तक दिखावे और शोहरत की आँधी में बहते रहेंगे..बढ़िया प्रसंग..धन्यवादविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-27300626191551550252009-12-24T21:45:28.285+05:302009-12-24T21:45:28.285+05:30चंदर मोहन जी , एक मुद्दत के बाद आपसे रूबरू होकर बह...चंदर मोहन जी , एक मुद्दत के बाद आपसे रूबरू होकर बहुत अच्छा लग रहा है। वैसे तो नीरज जी से आपकी कुशलता का पता चलने पर सभी को बड़ा अच्छा लगा था। मैंने आपको नीरज जी द्वारा बताये इ-मेल पर लिखा भी था। और ज़वाब न आने पर अनुपस्थिति का कारण समझ नहीं आ रहा था। लेकिन अब कारण जानकार तो और भी अच्छा लग रहा है की कम से कम आप भली भांति सकुशल हैं, और ये कारण तो किसी के भी बस के बाहर है।<br />आशा करता हूँ की जल्दी ही आप अपना काम संभाल लेंगे और फिर से ब्लोगिंग में आ पाएंगे।<br /><br />जे सी साहब आपकी बात सही है , ऐसे लोग अभी कम हैं। लेकिन जागरूकता फ़ैल रही है।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-29161966333227214592009-12-24T20:20:47.492+05:302009-12-24T20:20:47.492+05:30माननीय दराल जी,
आज अभी अग्रज नीरज जी से फ़ोन द्वा...माननीय दराल जी,<br /><br />आज अभी अग्रज नीरज जी से फ़ोन द्वारा ज्ञात हुआ कि आपने ब्लागजगत पर मेरी गुमशुदगी पर पूरी एक पोस्ट १६ दिसंबर को पेश की और तमाम शुभचिंतको नें अपनी त्वरित टिप्पणियां भी दी.<br /><br />आपकी और सभी शुभचिंतकों की गहन आत्मीयता से में हार्दिक रूप से आप सब का ऋणी हो गया. <br /><br />हाँ एक बार और बता दूं कि मैं नहीं जानता कि विजय जी के ब्लाग पर मेरी अंतिम टिपण्णी किस तारीख कि है पर यह सच है कि मैं ब्लाग जगत से 'मज़बूरी" पर अपनी अंतिम पोस्ट पेश कर ऊपर वाले के रहमों करम से "मज़बूरी" के ही चलते मुझे ब्लाग जगत से दूर रहना पड़ा और शायद अभी कुछ और महीने दूर रहना पड़े, कारण कि मैंने तभी से "इन्डियन स्टील कारपोरेशन लिमिटेड , गांधीधाम में विधुत विभाग में सहायक महाप्रबंधक के पद पर नैकरी ज्वाइन कर ली है और वहां पर इंटरनेट की अनुपलब्धता के चलते ब्लाग जगत से दूरी एक मज़बूरी बन गयी है. परिवार जयपुर में ही है, सारी व्यवस्थाएं जयपुर में ही हैं, आज यह कमेंट या कहूँ उत्तर जयपुर से ही लिख रहा हूँ. अभी मुझे कंपनी के काम से ग्वालियर के लिए निकलना है, वहां से १ जनवरी को ही गांधीधाम पुनः जयपुर होते हुए वापस पहुँचूँगा.<br /><br />जो मोबाईल नंबर अग्रज नीरज जी ने दिया है वह मेरा जयपुर का नंबर था, सो रोमिंग के कारण उसे स्विच ऑफ कर के रखा था. अब मेरे पास गांधीधाम का नया मोबाईल नंबर 09725506267 है, <br /><br />आशा है, मेरी अनुपस्थिति की मज़बूरी पर लगा ग्रहण ज्यों ही ईश्वर के रहमो करम से हटेगा, अप सब के साथ एक नयी ताजगी से मिल कर अभिभूत होऊंगा, आप सब को मिस करने का मुझे भी बेहद अफ़सोस है, पर समय के आगे किसी का बस नहीं चलता.........<br /><br />अंत में आप सभी का पुनः एक बार हार्दिक आभार. <br /><br />चन्द्र मोहन गुप्तMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-91765877365819507622009-12-24T19:42:01.420+05:302009-12-24T19:42:01.420+05:30मेरे बड़े भाई के एक दक्षिण भारतीय दोस्त की याद आती...मेरे बड़े भाई के एक दक्षिण भारतीय दोस्त की याद आती है इस विषय पर...वो बहुत होशियार थे किन्तु आई ए एस का इम्तहान नहीं दे पाए क्यूंकि उस दौरान वो बीमार हो गए...जिस कारण वो भारत सरकार में छोटी पोस्ट में ही रहे थे. उन्होंने विवाह के पूर्व अपने घर वालों को कह दिया था कि वो अपने पैसे से केवल खादी ही पहनते हैं और पहनते रहेंगे. यदि विवाह के दौरान उन पर कोई दबाव डालेगा तो वो उसी समय अपने घर दिल्ली लौट जायेंगे! <br /><br />हमारे पिताजी के समय तो कुमाऊँ के पहाड़ों के ब्राह्मिन समाज में कोई लेन-देन का चलन था ही नहीं. वो कई बार बताते थे कि कैसे १९२४ में रस्म के अनुसार उन्हें एक चांदी कि अंगूठी पहनाई गयी थी - जो बाद में वापिस कर दी गयी थी :) वो दिल्ली के अपने समाज में औरों की देखा-देखी इस प्रथा को अपना लेने से दुखी हो अपने उपरोक्त वैवाहिक रस्म को याद करते थे. यही कारण था शायद जिसने मुझे प्रभावित किया था... <br /><br />यद्यपि आपको बहुत ऐसे मिलेंगे जिन्होंने दहेज़ नहीं लिया, या ले- दे नहीं रहे हैं, फिर भी वो थोड़े ही हैं जनसँख्या के लिहाज से...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-88468004507543826492009-12-24T19:22:08.613+05:302009-12-24T19:22:08.613+05:30दहेज तो पुरातन परम्परा है।
परन्तु यह स्वेच्छा से ह...दहेज तो पुरातन परम्परा है।<br />परन्तु यह स्वेच्छा से होना चाहिए।<br />क्रिसमस की बधाई!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-67417043320717917942009-12-24T19:10:11.785+05:302009-12-24T19:10:11.785+05:30दिल से दी गई भेंट को स्वीकार करना चाहिए, इससे देने...दिल से दी गई भेंट को स्वीकार करना चाहिए, इससे देने वाले को ख़ुशी होती है।<br />मेरी सासू माँ ने जो एक स्वेटर मेरे लिए शादी के बाद पहली सर्दियों में बना कर दिया था, २५ साल पहले, उसे आज और अभी मेरा बेटा पहन कर बैठा है।<br /><br />उम्मीद है संजय भाई, अब तो समझ में आ गया होगा।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-17304474660770355902009-12-24T18:40:25.577+05:302009-12-24T18:40:25.577+05:30शादी के कई वर्ष गुजर गए, मैने हट पूर्वक ससूराल वाल...शादी के कई वर्ष गुजर गए, मैने हट पूर्वक ससूराल वालों से कुछ भी स्वीकार नहीं किया. पत्नि को तकलिफ होती थी अतः उसे एक सीमा तक लेने की छूट दी, मगर मैं अड़ा रहा. एक दिन सासूजी ने टी-शर्ट आगे बढ़ाते हुए कहा कि मन माने तो ले लो मुझे खुशी होगी. मैने पता नहीं क्यों ले ली. उसी समय सासूजी रो पड़ी. तब मुझे लगा क्या मैं कुछ गलत कर रहा था? आज भी समझ नहीं पाया हूँ.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-60475244995993608582009-12-24T18:39:00.834+05:302009-12-24T18:39:00.834+05:30वाह वाह वाह ! प्रशाद जी, सही पकड़ा आपने।
मैं कब से...वाह वाह वाह ! प्रशाद जी, सही पकड़ा आपने।<br />मैं कब से ऐसी बात का इंतज़ार कर रहा था।<br />पहले तो आप को हार्दिक बधाई, इस साहसिक कार्य के लिए।<br />लेकिन चर्चा अभी जारी है, और बहुत सार्थक चल रही है।<br />इसलिए फुल एंड फाइनल विचार अंत में।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-44714165348988459472009-12-24T18:33:44.195+05:302009-12-24T18:33:44.195+05:30सुलभ, आपकी सोच अच्छी है। शुभकामनाएं।
मैडम, आपके स...सुलभ, आपकी सोच अच्छी है। शुभकामनाएं।<br /><br />मैडम, आपके साहस की दाद देता हूँ। आज इसी की ज़रुरत है।<br /><br />भाटिया साहब , आपके क्या कहने। आपके ख्यालात काबिले-तारीफ हैं।<br /><br />आप सबको बधाई।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-8672495663405689642009-12-24T18:32:16.507+05:302009-12-24T18:32:16.507+05:30`जी नहीं’.... गलत कहा आपने। कुछ अपवादों में मुझे भ...`जी नहीं’.... गलत कहा आपने। कुछ अपवादों में मुझे भी लें। गर्व से कह सकता हूं कि ४० वर्ष पूर्व मैंने अपनी बिरादरी की लड़की से बिना दहेज शादी की।<br /><br />अपने दो लड़कों के ब्याह में बैंड-बाजा नहीं बजाया और बिना दहेज शादी हुई। अपनी लड़्की की शादी में मुझे दहेज देना नहीं पडा। और आज ये तीनों परिवार सुखी हैं।चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-70305073077983359892009-12-24T18:18:45.560+05:302009-12-24T18:18:45.560+05:30मेरी शादी आज से करीब २२ ,२३ साल पहले हुयी, बिना दह...मेरी शादी आज से करीब २२ ,२३ साल पहले हुयी, बिना दहेज के, कुछ समय बाद मेरे भाई की शादी हुयी, मेरे दबाब के कारण बिना दहेज के , मेरे दो बेटे है, अगर बेटी भी होती तो शादी बिना दहेज के ही करता, अब बेटो की शादी जब भी हुयी ओर भारतीया लडकी से हुयी तो बिना दहेज के बिना दिखावे के होगी. धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-57919508155389030552009-12-24T17:46:14.005+05:302009-12-24T17:46:14.005+05:30यह इतना कठिन भी नहीं है। मेरी बिटिया और उसके पति क...यह इतना कठिन भी नहीं है। मेरी बिटिया और उसके पति को आडंबर पसंद नहीं, उन्होंने रजिस्टर्ड विवाह किया। दहेज का तो प्रश्न ही नहीं उठता। मेरे अपने विवाह में दहेज नहीं देने दिया गया। विवाह इतना भी आवश्यक नहीं कि सब मूल्यों को ताक पर रखकर किया जाए। यदि दहेज देने की बात होती तो मैं विवाह ही नहीं करती।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-40183151835226418202009-12-24T17:35:06.124+05:302009-12-24T17:35:06.124+05:30गोदियाल जी ने वस्तुस्थिति समझाई है. सहमत हूँ.
जो ...गोदियाल जी ने वस्तुस्थिति समझाई है. सहमत हूँ.<br /><br />जो लोग महंगे जलसे (सामर्थ से अधिक खर्चे) को वसुलने के लिए दहेज़ में रकम की आशा करते हैं वे इस सामाजिक बीमारी को बढ़ावा देने का काम करते हैं.<br /><br />जब तक मेरा खुद का घर नहीं हो जाता शादी के बारे में सोच नहीं सकता. भविष्य की कह नहीं सकता शायद बच्चे खुद तय करेंगे<br /><br />और एक ही शादी में तीन-चार किस्म के महाभोज के सख्त खिलाफ हूँ. दोनों पक्ष के सदस्यों के बीच उपहारों का आदान प्रदान जरुर होना चाहिए.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-76295806843379375022009-12-24T17:25:51.344+05:302009-12-24T17:25:51.344+05:30संजय जी को सलाम और हार्दिक बधाई।
बाकि विचार विमर्...संजय जी को सलाम और हार्दिक बधाई।<br />बाकि विचार विमर्श अभी चलता रहे तो अवश्य किसी निर्णय पर पहुँच जायेंगे।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-24088010262254614642009-12-24T17:23:16.994+05:302009-12-24T17:23:16.994+05:30Iske liye zaroori saahas BAHUT KAM logon men hai.
...Iske liye zaroori saahas BAHUT KAM logon men hai.<br /><br />--------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">अंग्रेज़ी का तिलिस्म तोड़ने की माया।</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">पुरुषों के श्रेष्ठता के 'जींस' से कैसे निपटे नारी?</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.com