tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post609026260656375810..comments2024-03-19T14:53:25.365+05:30Comments on अंतर्मंथन: कज़रारे कज़रारे तेरे कारे कारे नैना ---डॉ टी एस दरालhttp://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-70831968418635848712011-11-11T18:20:02.915+05:302011-11-11T18:20:02.915+05:30फिर भी इतना ज़रूर कहना चाहूँगा कि अधिकांश सरकारी ब...फिर भी इतना ज़रूर कहना चाहूँगा कि अधिकांश सरकारी बाबुओं में काम करने की भावना न के बराबर होती है । ज्यादतर दफ्तर खली पड़े रहते हैं । बाबु लोग गप्पें मरते रहते हैं । छोटे से भी काम को करने में महीनों लगा देते हैं ।<br /><br />काश कि यह सिस्टम बदल सकता ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-65182007501210812032011-11-11T18:16:32.036+05:302011-11-11T18:16:32.036+05:30हैरान हूँ कि इस पोस्ट पार ज्यादा पाठक क्यों नहीं आ...हैरान हूँ कि इस पोस्ट पार ज्यादा पाठक क्यों नहीं आए !<br />क्या --<br />शीर्षक पसंद नहीं आया ?<br />पोस्ट ज्यादा लम्बी हो गई ?<br />सरकारी बाबुओं की बुराई पसंद नहीं आई ?<br /><br />हमारीवानी ने भी इसे स्वीकार नहीं किया और नहीं दिखाया । कहीं यही कारण तो नहीं ?डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-4273570389055243252011-11-11T13:00:42.630+05:302011-11-11T13:00:42.630+05:30सुन्दर प्रतीकों से सजी प्रभावशाली प्रस्तुतिसुन्दर प्रतीकों से सजी प्रभावशाली प्रस्तुतिसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-38796063610699890952011-11-11T06:45:48.855+05:302011-11-11T06:45:48.855+05:30ab to. kisi daftar jaane me bhi dar lagta hai :-)ab to. kisi daftar jaane me bhi dar lagta hai :-)संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-37571575501744649072011-11-10T16:32:02.404+05:302011-11-10T16:32:02.404+05:30बहुत सुन्दर, शानदार, रोचक और ज़बरदस्त रचना लिखा है...बहुत सुन्दर, शानदार, रोचक और ज़बरदस्त रचना लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!<br />मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-<br />http://seawave-babli.blogspot.com/<br />http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.com/Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-45136434631677331232011-11-10T10:17:19.903+05:302011-11-10T10:17:19.903+05:30डॉक्टर साहिब, सब चक्कर 'कुर्सी' का है! कुर...डॉक्टर साहिब, सब चक्कर 'कुर्सी' का है! कुर्सी में बैठते ही अच्छे से अच्छे आदमी का भी माथा घूम जाता है (किन्तु विपरीत प्रभाव, यदि वो कुर्सी दन्त-चिकित्सक के क्लिनिक की हो :)JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-23467781070458853872011-11-09T20:45:49.262+05:302011-11-09T20:45:49.262+05:30वातावरण प्रधान दिग्विजय रचना .वातावरण प्रधान दिग्विजय रचना .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-89897582165044287412011-11-09T20:01:35.259+05:302011-11-09T20:01:35.259+05:30एक पुरानी कहानी के अनुसार, एक राज्य में एक सरकारी ...एक पुरानी कहानी के अनुसार, एक राज्य में एक सरकारी आदमी था जो मशहूर था ऊपर की कमाई के लिए... <br />वो जहां भी काम करता था पैसा खाता था... राजा इमानदार था उस तक भी शिकायत पहुँच गयी तो उसने उसे हुक्म दिया कि समुद्र के तट पर जाए और जहां उसका काम केवल लहरें गिनना ही होगा... और वो दिन का हिसाब भेज दे गृह मंत्री को... <br /><br />कुछ समय शान्ति पूर्वक बीत गया... किन्तु फिर गुप्तचरों से राजा को समाचार मिला कि वो फिर भी पैसा खाने लगा था! <br />राजा ने जब उनसे पूछा तो पता चला कि वहां से जितनी भी नावें गुजरती थी, उन के नाविकों को वो बुला उस के स्वयं राजा द्वारा दिए गए - लहरों को बिगाड़ - लहरें गिनने के काम में बाधा डालने ले लिए कैद में भेजने का भय दिखा पैसे ले छोड़ देता था! <br />इमानदार राजा ने परेशान हो अंततोगत्वा उसको मृत्यु दंड का हुक्म कर दिया! (डिक्टेटर तो ऐसा कर सकता है किन्तु गणतंत्र में भाग्यवश यह संभव नहीं है :) <br /><br />कहानी से शिक्षा मिलती है कि मानव प्रकृति पानी के समान है - वो ऊपर से नीचे की ओर ही बहता है, और "लातों के भूत बातों से नहीं मानते", अर्थात जैसे शक्तिशाली राजा समान सूर्य की अग्नि ही सागर जल को आकाश तक उठाने में सक्षम है, और वैसे ही जल-चक्र समान काल-चक्र भी अनंत है, जिसमें शैतान आत्माएं आ-जा रही हैं, जन्म-कर्म-मृत्यु और फिर से जन्म-कर्म-मृत्यू, अनंत चक्र, विभिन्न भेष बदल बदल के... :)JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-1977111669391863122011-11-09T17:16:25.517+05:302011-11-09T17:16:25.517+05:30hahaha...bahut achchi rachna bahut rochak.sahi kah...hahaha...bahut achchi rachna bahut rochak.sahi kaha sachchaai ke bahut kareeb har pffice me yese log mil jaayenge.Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-30624918849328762232011-11-09T17:05:40.295+05:302011-11-09T17:05:40.295+05:30लम्बी ज़रूर है . लेकिन एक कहानी की तरह पढेंगे तो आ...लम्बी ज़रूर है . लेकिन एक कहानी की तरह पढेंगे तो आनंद आएगा .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.com