tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post5771776294764337311..comments2024-03-21T12:48:25.921+05:30Comments on अंतर्मंथन: अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स सम्मेलन---भाग २डॉ टी एस दरालhttp://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-15997947739000994452011-05-05T20:07:21.097+05:302011-05-05T20:07:21.097+05:30दिव्या जी , मिलने मिलाने के लिए इस तरह के आयोजन उप...दिव्या जी , मिलने मिलाने के लिए इस तरह के आयोजन उपयुक्त नहीं होते । क्योंकि यहाँ सभी अपने आप में खोये से होते हैं । और औपचारिक कार्यक्रम में समय भी कम मिलता है ।<br />मिलने के लिए छोटे छोटे समूह में मिलना ज्यादा सही है । <br /><br />शायद मिलने को ज्यादा अहमियत भी हमी ने दी ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-16902034085739069022011-05-05T20:04:22.406+05:302011-05-05T20:04:22.406+05:30अविनाश जी आयोजक को सर दर्द तो होता ही है । और बुके...अविनाश जी आयोजक को सर दर्द तो होता ही है । और बुके मिले ना मिले , ब्रिक बैट्स ज़रूर मिलते हैं ।<br />फिर भी आपका प्रयास सराहनीय है । बाकि अनबुझे सवाल तो रहेंगे ही ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-13953000472908599992011-05-05T17:01:51.124+05:302011-05-05T17:01:51.124+05:30:):)Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-69916587170019682392011-05-05T07:31:00.060+05:302011-05-05T07:31:00.060+05:30एक गीत याद अगया,
"जीवन के सफ़र में राही
मिल...एक गीत याद अगया, <br />"जीवन के सफ़र में राही <br />मिलते हैं बिछड़ जाने को<br />और दे जाते हैं यादें <br />तन्हाई में तडफाने को..."JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-20541527025974643292011-05-05T06:54:18.891+05:302011-05-05T06:54:18.891+05:30पूरा आलेख पढ़ा। बहुत ही इमानदारी और निर्भीकता से लि...पूरा आलेख पढ़ा। बहुत ही इमानदारी और निर्भीकता से लिखा है आपने। पढ़कर यही लगा की शायद की कुछ अपनेपन की कमी थी .<br /><br />वहां और लोग असहज थे , जहाँ गले लगकर ठहाके न हों , वहाँ उत्सव सी रौनक नहीं आ पाती ।<br /><br />खैर थोड़ी बहुत कमी तो हर जगह रह ही जाती है , उम्मीद है अगली बार और भी भव्य और बेहतरीन आयोजन होगा।<br /><br />पुनश्च , आयोजकों एवं पुरस्कार पाने वालों को बधाई । <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-59867589943881416732011-05-05T03:04:35.320+05:302011-05-05T03:04:35.320+05:30डॉ. साहब दाद ?
निक्सोड्रम भी चाहिए होगी
या कोई और...डॉ. साहब दाद ?<br />निक्सोड्रम भी चाहिए होगी<br />या कोई और बेहतर हो इससे<br /><br />जो उड़ रही थीं<br />वो हवाईयां नहीं<br />हवाईयों को चेहरे पर अपने<br />पर जमने नहीं देते<br />बस जिस कार्य में जुटते हैं<br />जुटते हैं शान से<br /><br />आपने आमंत्रण का मान रखा<br />बहुत खुशी हुई <br />यही जीत है मेरी।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-63594300049537847852011-05-04T16:53:55.827+05:302011-05-04T16:53:55.827+05:30मैं भी कुछ ब्लॉगरों से मिलने की लालसा लिए ही गया थ...मैं भी कुछ ब्लॉगरों से मिलने की लालसा लिए ही गया था। मैं जानता था कि आप मुझे पहचान ही नहीं सकते क्योंकि मेरी तस्वीर तो नेट पर है नहीं। इसलिए पहचानना मुझे ही था। पहचाना भी। बहुत सी बातें थीं करने की पर भीड़ और समय प्रबंधन के कारण संभव न हो सका। फिर सही। शुक्रिया आपकी सादगी और सलाहियत के लिए।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-48624554712571522892011-05-04T13:00:20.700+05:302011-05-04T13:00:20.700+05:30चलिए इसी बहाने बहुत से लोगों से मुलाकात तो हो ही ग...चलिए इसी बहाने बहुत से लोगों से मुलाकात तो हो ही गयी ... जाना सफल रहा ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-91327934015771931092011-05-04T12:19:32.466+05:302011-05-04T12:19:32.466+05:30खा पीकर हवा और चाय ( व्यंग्य) , प्रमुखों से आपकी ...खा पीकर हवा और चाय ( व्यंग्य) , प्रमुखों से आपकी मुलाकात हो नहीं पायी ।चलो चक्रधर से तो मुलाकात हुई। गले मिलने का रिवाज नहीं है अच्छा है।’’कोई हाथ भी न मिलायेगा तो गले मिलोगे तपाक से, ये अजीव किस्म का शहर है जरा फासले से रहा करो। कल हीे सोच रहा था कि मेरा पेट बढने लगा है किसी डाक्टर को दिखाउ। उम्दा संस्मरण और लेखन शैली की तो बात ही निराली है सर ।BrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-40295268481698372882011-05-04T09:09:25.993+05:302011-05-04T09:09:25.993+05:30अयोजकों ने जो भी किया हो मगर हमे सब से मिल कर बहुत...अयोजकों ने जो भी किया हो मगर हमे सब से मिल कर बहुत खुशी हुयी। अफ्सोस यही है कि अधिक बातचीत नही हो पाई। शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com