tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post5605621714142226526..comments2024-03-21T12:48:25.921+05:30Comments on अंतर्मंथन: हवा में लटका मनुष्य, और हाथ से आती फूलों की खुशबू --यह क्या है ?डॉ टी एस दरालhttp://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comBlogger42125tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-75168808602077644462010-11-13T00:52:12.399+05:302010-11-13T00:52:12.399+05:30आज बड़े दिन बाद आया। पिछली कुछ पोस्टें भी पड़ीं। च...आज बड़े दिन बाद आया। पिछली कुछ पोस्टें भी पड़ीं। चित्रकथा पर आपने काफी अच्छे चित्र लगाए हैं। तकरीबन रोज गुजरता हूं वहां से। रुक कर देखने का कभी समय नहीं मिला, या यूं कहें कि रुके ही नहीं कभी। जब से पार्क बन रहा था तब से बाहर से ही सोचता रहा की जाउंगा खैर कोई बात नहीं। इतने पार्क हैं दिल्ली में कि पूछिए नहीं। चटपटी अंदाज में बीमारियों के बारे में बताया काफी अच्छा लगा। दीवाली की काफी देर से बधाई दराल सर।Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-66229903379789869372010-11-11T13:39:16.331+05:302010-11-11T13:39:16.331+05:30डा साहिब, मेरे घर में कई वर्ष पहले एक सरदारजी अपन...डा साहिब, मेरे घर में कई वर्ष पहले एक सरदारजी अपने कुछेक चमचों के साथ आये जिन्होंने मुझे कहा कि सरदारजी के ऊपर माता आती है! और मुझे एक रंग और एक फूल सोचने के लिए बोला,,, और मैंने सरदारजी को कागज़ के टुकड़ों पर कुछ लिखते देखा... उनको पहले गंभीरता पूर्वक न ले मैंने पहले तुरंत गोभी का फूल सोचा! किन्तु फिर मुझे लगा यह मज़ाक सही न होगा और कुछ सोचने के बाद रजनी गंधा फूल का चुनाव किया,,,और अब उसने कागज़ पर सही फूल का नाम और रंग लिखे दिखा दिए! <br />अपनी टिप्पणी में छोटी बच्ची के माध्यम से घटित वृत्तांत के पश्चात मैंने सोचा कि मेरे फूल का नाम बदलने में सरदारजी का हाथ हो सकता है! (योगी क्या-क्या करने में समर्थ हैं यह मैंने योगानंद की किताब में भी पहले पढ़ा हुआ था)... <br /> <br />उपरोक्त पृष्ठभूमि के सन्दर्भ में, संभव है कि उस जादूगर ने कुछ हद तक अपने विचार एक स्थान विशेष में एकत्रित जनता के मन में डालना सीख लिया हो और कुर्सियों के हैंडल में पहले ही कोई रसायन लगा दिया हो,,,किन्तु आपके विवरण से यह खुलासा नहीं होता कि क्या उपस्थित जनता ने एक ही खुशबू सोची थी? या भिन्न-भिन्न? जब एक ही खुशबू हो तो यह करना सरल होता!JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-13313508567132018052010-11-10T22:29:15.152+05:302010-11-10T22:29:15.152+05:30अचानक इस विषय पर मीडिया में काफी दिलचस्पी पैदा हो ...अचानक इस विषय पर मीडिया में काफी दिलचस्पी पैदा हो गई है । यह दिलचस्पी भी दिलचस्प है ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-75753674081373556382010-11-08T20:48:50.782+05:302010-11-08T20:48:50.782+05:30शुक्रिया अविनाश जी । देख लिया है । ज्यों का त्यों ...शुक्रिया अविनाश जी । देख लिया है । ज्यों का त्यों छाप दिया है ।<br />जनसत्ता का आभार इस योग्य समझने के लिए ।<br />और आपका आभार बताने के लिए ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-39052895225191090652010-11-08T09:26:07.172+05:302010-11-08T09:26:07.172+05:30आज दिनांक 8 नवम्बर 2010 के दैनिक जनसत्ता में संप...आज दिनांक 8 नवम्बर 2010 के दैनिक जनसत्ता में संपादकीय पेज 6 पर समांतर स्तंभ में आपकी यह पोस्ट कला का कमाल शीर्षक से प्रकाशित हुई है, बधाई। स्कैनबिम्ब देखने के लिए <a href="http://www.jansattaraipur.com/" rel="nofollow">जनसत्ता</a> पर क्लिक कर सकते हैं। कोई कठिनाई आने पर मुझसे संपर्क कर लें। <br /><a href="http://chokhat.blogspot.com/2010/10/blog-post_28.html" rel="nofollow">गगनांचल में देखिए बलॉग की दुनिया का नक्शा : नक्शे में आपके नैननक्श</a><br /><a href="javascript:void(0);" rel="nofollow">हिन्दी ब्लॉगिंग खुशियों का फैलाव है </a>अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-7228499563300812812010-11-07T01:11:40.227+05:302010-11-07T01:11:40.227+05:30" अपने साथ बैठे व्यक्ति के हाथ पर अपना हाथ उल..." अपने साथ बैठे व्यक्ति के हाथ पर अपना हाथ उल्टा रखकर रगड़िये @ लो सारा राज इसी मे तो है । अगर बिना हाथ रगडे या कहीं टच किये बगैर खुशबू पैदा की जाती तो कुछ रहस्य जैसी बात भी होती ।<br />ताजमहल गायब करने और मंच से हाथी गायब करने और रेल गायब करने जैसे खेलो मे मिरर कर्टेन वाला जादू होता है । इन सभी जादू के डिटेल्स आपको अन्यत्र मिल जायेंगे ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-70064517394280580082010-11-03T18:00:40.726+05:302010-11-03T18:00:40.726+05:30सभी को दीपावली की शुभ कामनाएं!सभी को दीपावली की शुभ कामनाएं!JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-26579799939184186242010-11-03T14:59:31.504+05:302010-11-03T14:59:31.504+05:30आप सब को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
हम आप ...आप सब को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!<br />हम आप सब के मानसिक -शारीरिक स्वास्थ्य की खुशहाली की कामना करते हैं.vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-61287544955354990752010-11-03T10:37:10.011+05:302010-11-03T10:37:10.011+05:30दराल सर,
अपुन तो इस जादू के मुरीद हैं-
मेरे ख्वा...दराल सर, <br />अपुन तो इस जादू के मुरीद हैं-<br /><br />मेरे ख्वाबों की तस्वीर है तू,<br />बेखबर मेरी तकदीर है तू,<br />तू किसी और की हो ना जाना,<br />कुछ भी कर जाऊंगा मैं दीवाना,<br />तू हां कर या ना कर, <br />जादू तेरी नज़र....<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-33079670210825231082010-11-03T10:19:59.249+05:302010-11-03T10:19:59.249+05:30हाँ .. हरकीरत जी की बात में दम है , वहां मौजूद ची...हाँ .. हरकीरत जी की बात में दम है , वहां मौजूद चीजों में ही गड़बड़ होती है इस बात का तो यकीन था<br />पर इस तरह से नहीं सोचा थाएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-25991572301377061202010-11-03T10:12:56.388+05:302010-11-03T10:12:56.388+05:30... shubh diwaali !!!... shubh diwaali !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-7290124887910553002010-11-03T10:06:41.463+05:302010-11-03T10:06:41.463+05:30डा. साहिब, मुझे वो किस्सा नहीं भूलता जब कुछेक दशक...डा. साहिब, मुझे वो किस्सा नहीं भूलता जब कुछेक दशक पहले मेरे पड़ोस में रहने वाली एक ३-४ वर्षीया लड़की एक दिन मुझे घर से बाहर निकल बाज़ार जाते समय सीढियों पर ही मिली, जब वो धोबी के पास कपडे ले जा रही थी और शायद किताब पढ़ कर आ रही थी, मुझे देखते ही बोली "श से शलगम"...मैंने यह सोचते हुए कि उसे अभी यह शब्द नहीं मालूम होगा अपने मन ही मन में कहा "ब से बलगम",,,और मुझे वो चमत्कार ही लगा जब उसने कहा "ब से तो बत्तख होता है!" मैं सोच में पड़ गया कि वो कमाल मेरे मस्तिष्क का था या उसके? क्या बिन बोले ही कोई आपके मन में विचार डाल सकता है, आदि?JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-26896006737050842782010-11-02T22:24:19.156+05:302010-11-02T22:24:19.156+05:30हरकीरत जी , मूर्तियों का दूध पीना तो हमें भी मास ह...हरकीरत जी , मूर्तियों का दूध पीना तो हमें भी मास हिस्टीरिया ही लगा था । भला मूर्ति भी कहीं दूध पी सकती है ।<br />लेकिन ये खुशबू वाली बात से तो लगता है कि हम भी सम्मोहित ही हो गए । न चाहते हुए भी ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-26827979568601143452010-11-02T21:07:41.397+05:302010-11-02T21:07:41.397+05:30.
आश्चर्यजनक जादू। निश्चय ही मनोवैज्ञानिक प्रभ....<br /><br />आश्चर्यजनक जादू। निश्चय ही मनोवैज्ञानिक प्रभाव है। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-82320728859350562402010-11-02T19:20:25.176+05:302010-11-02T19:20:25.176+05:30लीजिये आपने याद किया और हम हाजिर हैं .....
जी हाँ ...लीजिये आपने याद किया और हम हाजिर हैं .....<br />जी हाँ ये जादूगरी हाथ की सफाई ही है ...कुछ वैज्ञानिक सम्मिश्रणों से भी ये चमत्कार दिखाए जाते हैं जैसे सिक्के को मुट्ठी में बंद करने से भभूत पैदा हो जाना ...जिसमें सिक्के के नीचे कोई सम्मिश्रण लगा होता है जो हथेली का गर्म स्पर्श पा भभूत जैसा कुछ पैदा करदेता है .....<br />आपके मामले में हो सकता है आप जहां बैठे हों कुर्सी पर या बेंच पर जहां आप हाथ रखते हों वहाँ पहले से ही कोई इत्र लगा हो ....जैसा कि अरविन्द जी ने कहा आपने भी कमल का फूल तो न सोचा होगा ...गुलाब , चमेली जैसा ही कुछ सोचा होगा ...मगर खुशबू थी ...अधिकतर लोग पिछलग्गू होते हैं एक ने कहा 'हाँ' तो सभी वही कहने लग पड़ते हैं ....जब मूर्तियों ने दूध पीना शुरू किया तो जिनकी नहीं पीती थी वे भी मानने को तैयार ही नहीं थे कि दूध नीचे गिर रहा है ....मैंने उन्हें दिखाने की कोशिश भी की कि दूध तो नीचे बह गया है पर उन्होंने मुझे नास्तिक समझ वहाँ से हटा दिया ...ये सारी अंधभक्ति , अंधश्रद्धा ,अंधविश्वाश की बाते हैं ....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-56020610459786272862010-11-02T18:17:01.316+05:302010-11-02T18:17:01.316+05:30सही कहा जे सी जी । मस्तिष्क को समझ पाना सचमुच बड़ा...सही कहा जे सी जी । मस्तिष्क को समझ पाना सचमुच बड़ा कठिन है । हम तो आज तक नहीं समझ पाए ।<br />गौरव इसे suggestion कहते हैं । इससे आपउसी में विश्वास करने लगते हैं जो आपके दिमाग में बिठाया गया है । कहीं न कहीं जादूगर भी इसी विद्या का इस्तेमाल करते हैं ।<br />रजनीश जी , आपको भी दीवाली की शुभकामनायें ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-42886124719644228072010-11-02T12:39:39.923+05:302010-11-02T12:39:39.923+05:30दीपावली की शुभकामनायें।दीपावली की शुभकामनायें।RAJNISH PARIHARhttps://www.blogger.com/profile/07508458991873192568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-61515763533976964282010-11-02T12:26:30.898+05:302010-11-02T12:26:30.898+05:30आदरणीय दराल साहब,
मैंने इस बारे में ऐसे ही छोटी...<b><br />आदरणीय दराल साहब, <br /><br />मैंने इस बारे में ऐसे ही छोटी मोटी खोज की थी.... अधिकतर स्टेज शोज जैसी जगहों पर जब ये चीजें दिखाई जाती हैं तो उस जगह मौजूद इन्फ्रास्ट्रक्टर की बनावट के सहयोग से गायब होने आदि के करतब दिखलाये जाते हैं [आमतौर पर ]<br />जहां तक सम्मोहन की बात है प्रत्यक्ष रूप में तो नहीं कहूँगा पर किसी ना कसी रूप में ये भी जादूगरी में शामिल तो है [इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता ]<br /><br />एक नमक में अगर कहा जाये की ये खाने का टेस्ट बढ़ने वाला नमक है, इसमें कुछ ख़ास है और उसके सेम्पल बाँट दिए जाएँ तो मुझे लगता है आधे से ज्यादा लोग उस नमक को अन्य नमक से अलग ही बताएँगे<br />[अनुभव से कह रहा हूँ ]<br /><br />खैर .. एक पोस्ट बनाई है दीपावली पर .. एक बार पढ़ लीजियेगा .. आपको पसंद आएगी [पहले से जानता हूँ ]<br />और हाँ .. आपको और आपके सभी पाठकों को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं </b>एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-78311429229073316752010-11-02T10:14:00.225+05:302010-11-02T10:14:00.225+05:30हर व्यक्ति में कुछ न कुछ विशेष गुण 'प्राकृतिक&...हर व्यक्ति में कुछ न कुछ विशेष गुण 'प्राकृतिक' तौर पर पाए जाते हैं,,, जिसके पीछे मानव मस्तिष्क में बहुत कुछ छुपा होना है, और जिसे समझ पाना कठिन है (इस लिए आप डॉक्टर हो, में इन्जेनिअर, और वो जादूगर था) ...उदाहरण के तौर पर हमारे पिताजी बताते थे कि कैसे उनके बचपन के समय हमारे पहाड़ी कस्बे में थोड़े से लोग होते थे, और सभी एक दूसरे को जानते थे,,,उन दिनों डाकघर में एक डाकिया होता था जो शाम तक बस से आई डाक सौर्ट कर रख देता था और अगले दिन उन्हें बांटता था... उसे नींद में चलने की 'बीमारी' थी (सोम्नैम्बुलिस्म) जिस कारण कभी-कभी ऐसा होता था कि वो नींद में ही रात को डाक बाँट आता था और अगले दिन डाकघर में पहुँच परेशान हो जाता था कि सौर्ट की हुई चिट्ठियाँ कहाँ गयीं? डाक अधिक नहीं होती थी और उसे जुबानी याद होता था इस कारण वो फिर घर-घर पता करने जाता था कि उनको पत्र मिले या नहीं?! [और हमारे बड़े ताऊजी को नींद नहीं आने की 'बीमारी' (इन्सौम्निया) थी, वो रात को बत्ती बुझा ३-४ घंटे ऐसे ही लेटे रहते थे जब अन्य परिवार के सदस्य गहरी नींद में सोये होते थे,,, और मेरा साढ़े तीन वर्षीय नाती अधिकतर सभी कार के मॉडेल के नाम जनता है और उसे एक नज़र ही देख सही बता देता है! ]...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-72126684521688981782010-11-02T09:16:31.636+05:302010-11-02T09:16:31.636+05:30सच मे जादू एक विद्या है जिसे आम आदमी नही समझ सकता ...सच मे जादू एक विद्या है जिसे आम आदमी नही समझ सकता सम्मोहन दुआरा भी जादू दिखाया जाता है। कुछ तो है---- दीपावली की शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-15441047002259038702010-11-01T22:26:36.331+05:302010-11-01T22:26:36.331+05:30jadu to jadu hai samajh se parejadu to jadu hai samajh se pareSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-79430585512633195392010-11-01T21:27:29.294+05:302010-11-01T21:27:29.294+05:30बृजमोहन जी , आपकी बात सही है । यदि किसी और का हाथ ...बृजमोहन जी , आपकी बात सही है । यदि किसी और का हाथ सूंघते या सुंघाते तो शायद बता नहीं पाते ।<br />लेकिन हमने तो कोशिश की थी कि हम धोखे में न आयें । फिर भी ऐसा हो नहीं सका ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-28484223377030967642010-11-01T20:44:17.111+05:302010-11-01T20:44:17.111+05:30इसी को तो कहते हैं जादूगरी .... या फिर कुछ लोग बाब...इसी को तो कहते हैं जादूगरी .... या फिर कुछ लोग बाबा का चमत्कार कहेंगे :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-59229932700534758532010-11-01T20:03:06.774+05:302010-11-01T20:03:06.774+05:30bhai ji ram-ram........ye hindustaan hai....yahan ...bhai ji ram-ram........ye hindustaan hai....yahan har karishma (kapoor nahi) aasan hai..योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-22740527736589833692010-11-01T18:38:44.892+05:302010-11-01T18:38:44.892+05:30वाकई कई दफे बहुत वारीकी से देखने के वाद भी कोई चीज...वाकई कई दफे बहुत वारीकी से देखने के वाद भी कोई चीज समझ में नहीं आती तो उसे जादू, सम्मोहन, हाथ की सफाई, टिृक फोटोग्राफी कह दिया जाता है लेकिन यह खुशबू वाली बात तो रहस्य ही है हां अलवत्ता यह कहा जासकता है कि चूंकि फूल के वारे में सोचना भी आपका ही था और खुशवू भी आप ही ले रहे थे । उसी वक्त आप किसी और को हाथ सुघांते और पूछते कि यह काहे की खुशवू है। क्योंकि उसको तो पता नहीं था कि आपने किस फूल के वाबत सोचा है।BrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.com