tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post5484587737736096947..comments2024-03-21T12:48:25.921+05:30Comments on अंतर्मंथन: रोमांस और रोमांच की अद्भुत कॉकटेल --जंगल में मंगल (भाग-२)डॉ टी एस दरालhttp://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comBlogger43125tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-57540781739020873352012-04-27T17:48:58.700+05:302012-04-27T17:48:58.700+05:30पोस्ट बहुत देर से पढ़ी गयी है तो अब टिप्पणी करने...पोस्ट बहुत देर से पढ़ी गयी है तो अब टिप्पणी करने का आनन्द ही समाप्त हो गया है। लेकिन यहाँ जाने का मन हो आया है।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-75014579611898093822012-04-26T00:44:03.221+05:302012-04-26T00:44:03.221+05:30Behad hi shaandar chitraBehad hi shaandar chitraRohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-33832463018961851962012-04-25T14:19:00.022+05:302012-04-25T14:19:00.022+05:30मजा आ गया, हरिद्वार के पास भी ऐसी कोई जगह हैं..अगल...मजा आ गया, हरिद्वार के पास भी ऐसी कोई जगह हैं..अगली बार जब हरिद्वार जाऊंगा, तब जरूर जाऊंगा.........Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01313010718017246838noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-20214072468865909722012-04-23T15:12:50.167+05:302012-04-23T15:12:50.167+05:30अगर कोई साथ न हो तो सिर्फ़ "मैं" और उनकी...अगर कोई साथ न हो तो सिर्फ़ "मैं" और उनकी यादों के सहारे काम चल जाता है :))ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-21885831595921807772012-04-23T13:53:51.506+05:302012-04-23T13:53:51.506+05:30अली सा, पता चल गया था की आप बाहर जा रहे हैं .
चै...अली सा, पता चल गया था की आप बाहर जा रहे हैं . <br />चैंबर की बातें रिस्की तो होती हैं . :)<br />आखिर दिल के मामले भी तो कम रिस्की नहीं होते .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-62030987646318110992012-04-23T08:47:25.317+05:302012-04-23T08:47:25.317+05:30डाक्टर साहब ,
अनुपस्थिति बेवज़ह नहीं थी , सो देर आ...डाक्टर साहब ,<br />अनुपस्थिति बेवज़ह नहीं थी , सो देर आयद को दुरुस्त आयद मानियेगा :)<br /><br />फोटो एक से बढ़कर एक पर आपके एक ज़िक्र की फ़िक्र में हूं कि ..."इंसान के दिल में चार कक्ष ( चैंबर ) होते हैं" <br />मुझे लगता है "चैंबर" की बातें बड़ी रिस्की हो गई खास कर जबसे कि एक बड़े वकील साहब ने चैंबर में... :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-2324686924740309332012-04-22T15:00:48.041+05:302012-04-22T15:00:48.041+05:30आज तो बहुत ही शायराना और काव्यमय प्रवाह है ... जान...आज तो बहुत ही शायराना और काव्यमय प्रवाह है ... जानकारी के साथ साथ चिल्ला पार्क के मनोरम द्रश्य कों भी आपने बाखूबी उतारा है कैमरे में ... मज़ा आ गया ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-5035611185072091552012-04-21T13:06:28.490+05:302012-04-21T13:06:28.490+05:30चिल्ला पार्क और रेस्ट हाउस की सैर करा दी आपने उसक...चिल्ला पार्क और रेस्ट हाउस की सैर करा दी आपने उसके सारे भेद खोल दिए .लोकलुभाऊ लगती है यह जगह जाना पड़गी बुकिंग कराके कभी .हाँ डॉ साहब आवशयक कारवाई कर दी गई है सुज्ञ जी का ई मेल भी प्राप्त हुआ था .शुक्रिया आपके अतिरिक्त स्नेह का .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-61791932019112649822012-04-21T12:31:30.010+05:302012-04-21T12:31:30.010+05:30वाह जे सी जी ! हम भी सोच रहे थे की अभी तक किसी ने...वाह जे सी जी ! हम भी सोच रहे थे की अभी तक किसी ने हनिमून का सही शाब्दिक अर्थ नहीं बताया . आभार इस ज्ञानवर्धन के लिए . सुन्दर व्याख्या .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-14942879450242123142012-04-21T12:20:56.220+05:302012-04-21T12:20:56.220+05:30वाह मुझे तो आजतक यही लगता था कि हरिद्वार में केव...वाह मुझे तो आजतक यही लगता था कि हरिद्वार में केवल भीड़-भाड़ ही होती है. चित्र भी एक से एकKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-89154830935662662982012-04-21T11:34:06.972+05:302012-04-21T11:34:06.972+05:30वाह!'रोमांस और रोमांच की अद्भुत कॉकटेल'!
...वाह!'रोमांस और रोमांच की अद्भुत कॉकटेल'!<br /><br />पश्चिमी भाषा में 'मून' का वर्तमान में अर्थ चन्द्रमा होता है, किन्तु यूरोपीय भाषा में, प्राचीन काल में, इसका अर्थ है एक 'माह' अर्थात एक महीना***... और 'हनी' अर्थात शहद से बनी एक शराब का एक माह का कोटा नव विवाहित जोड़े को दे दिया जाता था...:)<br /> ... <br />***(चंद्रमा के चक्र के अनुसार लगभग २९+ दिन (?), जो १२ माह एक एक वर्ष के अनुसार लगभग ३५४ दिन का होता है जबकि सूर्य के अनुसार ३६५+ दिन, अर्थात एक वर्ष में ११ दिन का अंतर, जिस कारण जैसे इसे सुधार हेतु हर चौथा वर्ष ३६६ दिन का माना जाता है, भारत में पंचांगों में एक 'अधिक मास' द्वारा सही कर लिया जाता है... और चंद्रमा को शिव के मस्तक पर भी दिखाया जाता है संकेत करते इसे मानव 'मन-रुपी-मानसरोवर' से और माँ गंगा से सम्बंधित होने का)...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-2321108344131124262012-04-20T19:49:23.433+05:302012-04-20T19:49:23.433+05:30इस पोस्ट में तो बिलकुल निहाल कर दिया डॉ साहब आपने ...इस पोस्ट में तो बिलकुल निहाल कर दिया डॉ साहब आपने .आपका एनर्जी लेविल देखते ही बनता है .और कैमरे की आँख हमें भी सौन्दर्य प्रेमी बनाके छोड़ेगी .<br /><br />वो चांदनी का बदन ,खुशबुओं का साया है ,<br /><br />बहुत अज़ीज़ हमें हैं मगर पराया है .<br /><br /> <br />जानकारी :लेटेन्ट ऑटो -इम्यून डायबिटीज़ इन एडल्ट्स<br /> http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-68333824441500599132012-04-20T12:58:34.788+05:302012-04-20T12:58:34.788+05:30ऐसे ही खुशियाँ मनाते रहें और बांटते रहें ....
बाँट...ऐसे ही खुशियाँ मनाते रहें और बांटते रहें ....<br />बाँटने से दुगनी हो जाती है न ..?<br />खुश रहें !<br />शुभकामनाएँ!अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-62311000022194328952012-04-20T12:48:53.805+05:302012-04-20T12:48:53.805+05:30जी सही कहा . एक बार हम भी गए थे नैनीताल से जिम कॉर...जी सही कहा . एक बार हम भी गए थे नैनीताल से जिम कॉर्बेट पार्क . लेकिन कुछ भी दिखाई नहीं दिया . अब सोचते हैं शेर देखने के लिए गुजरात के गिर या रणथम्भोर में टाइगर देखे जाएँ .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-15379136610892082912012-04-20T12:42:59.882+05:302012-04-20T12:42:59.882+05:30jangal me mangal na manaya jaye to jaana bekaar......jangal me mangal na manaya jaye to jaana bekaar...शेखचिल्ली का बापhttps://www.blogger.com/profile/04849047189746971974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-33061304004370660322012-04-20T12:06:10.058+05:302012-04-20T12:06:10.058+05:30JCApr 19, 2012 11:32 PM
जंगल में मंगल मनाने का बढ़...JCApr 19, 2012 11:32 PM<br />जंगल में मंगल मनाने का बढ़िया सचित्र वर्णन, डॉक्टर साहिब! <br />जिम कोर्बेट (जेसी!) को कुमाऊं के आदमखोर बाघों ने प्रसिद्द क़र दिया...:) <br />सड़क मार्ग से - पहले बस से और बाद में कार से - मुरादाबाद, जिम कॉर्बेट पार्क, आदि होते हुए नैनीताल- अल्मोड़ा हम बचपन से छुट्टियों में कभी कभी जाते रहे हैं... और समय के साथ बदलते हुए नजारों का जायका भी लेते रहे हैं - विशेषकर सरसों के खेतों के हरे-पीले रंग मन भावन लगते थे... किन्तु तब हमारा ध्यान दिल्ली की गर्मी से बचने और पहाड़ की प्राकृतिक ठंडी हवा लेने पर ही अधिक होता था (और लौटने पर दिल्ली की गर्मी और अधिक भीषण प्रतीत होती थी)...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-15703502747717054282012-04-20T10:26:57.738+05:302012-04-20T10:26:57.738+05:30खुशदीप भाई , मध्यम मध्यम संगीत की मधुर धुन तो सुना...खुशदीप भाई , मध्यम मध्यम संगीत की मधुर धुन तो सुनाई दे रही थी . लेकिन बाहर से नहीं , अन्दर से आ रही थी . कई बार सोचा अपने ब्लेकबेरी पर कोई रोमांटिक गाना लगाकर बैठें . लेकिन नदी की कल कल , हवा की सायं सायं और नदी के पार बैठे एक मोर की अपनी मोरनी को देती मोहनी आवाज़ को सुनकर कुछ और सुनने की ज़रुरत ही नहीं रही . :)डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-28770269190431082102012-04-20T10:12:55.926+05:302012-04-20T10:12:55.926+05:30सोच रहा हूं पीछे मध्यम-मध्यम ये गीत बज रहा होता तो...सोच रहा हूं पीछे मध्यम-मध्यम ये गीत बज रहा होता तो..<br /><br />पर्बतों के पेड़ो पर शाम का बसेरा है,<br />सुरमई उजाला है, चम्पई अंधेरा है,<br />ठहरे ठहरे पानी में गीत सरसराते हैं,<br />भीगे-भीगे झोंकों में खुशबुओं का डेरा है...<br /><br />पर्बतों के पेड़ों पर...<br /><br />जय हिंद...<br />Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-24454429991885850812012-04-20T06:37:21.936+05:302012-04-20T06:37:21.936+05:30...और हनी ने मून का फोटो उतारा तो कोई बात नहीं..........और हनी ने मून का फोटो उतारा तो कोई बात नहीं....<br />चाँद धरती पे उतर आया,चाँदनी के साथ !<br /><br />चित्रात्मक-विवरण गज़ब का है,डॉ.साहब ! जो पढ़ा-लिखा न हो,वह भी सब-कुछ समझ जाए !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-48761584511721761502012-04-20T06:24:39.643+05:302012-04-20T06:24:39.643+05:30अपने दिल के चारों कक्षों का हाल बयान कर दिया आपने ...अपने दिल के चारों कक्षों का हाल बयान कर दिया आपने , तस्वीरें और वर्णन निहायत खूबसूरत है !<br />अभी क्रमशः और है ,मतलब कविता अभी बाकी है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-26619757268281421402012-04-19T23:51:57.804+05:302012-04-19T23:51:57.804+05:30सुंदर जगह ...बढ़िया विवरण ....अच्छी पोस्ट .
शुभकाम...सुंदर जगह ...बढ़िया विवरण ....अच्छी पोस्ट .<br />शुभकामनायें .Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-87598995809209600832012-04-19T23:29:46.334+05:302012-04-19T23:29:46.334+05:30बहुत शानदार पोस्ट ... आपने इतना सुंदर चित्रण ( शाब...बहुत शानदार पोस्ट ... आपने इतना सुंदर चित्रण ( शाब्दिक ) किया है कि इस जगह घूमने का मन हो आया है ... चित्र भी बहुत बढ़िया ... वैसे तो हम बचपन से ही ऐसी ही शांत जगहों पर रहे हैं .... शहर ( दिल्ली ) में तो अब आ कर बस गए हैं ... रेखा जी से परिचय अच्छा रहा ... पहाड़ी लड़की ... नाम देना आपकी भावनाओं को कहता है ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-1746764453610838572012-04-19T22:20:47.259+05:302012-04-19T22:20:47.259+05:30जी ज़रूर । नई भी मिलेंगी और ओल्ड वाइन इन न्यू बोटल...जी ज़रूर । नई भी मिलेंगी और ओल्ड वाइन इन न्यू बोटल भी ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-76247929073382454482012-04-19T22:06:21.922+05:302012-04-19T22:06:21.922+05:30मून और हनी दोनों के अलग अलग दर्शन हो गए वर्ना हनी ...मून और हनी दोनों के अलग अलग दर्शन हो गए वर्ना हनी तो मून को साथ लिये ही घूमती रहती है. सारे चित्र और आपका विवरण अब चिल्ला में भीड़ बढ़ाने के लिये पर्याप्त है. रहने की इतनी सुंदर व्यवस्था है यह जानकर हमने भी तय कर लिया कि जल्द ही हम भी विनोद जी के खाने का स्वाद लेंगे. <br /><br />अगला अंक भी जल्द पेश कीजिये. देखते है क्या और नयी बातें निकल के आती है. <br /><br />बधाई और शुक्रिया.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-79434660483552817332012-04-19T21:57:40.022+05:302012-04-19T21:57:40.022+05:30सुन्दर यात्रा-संस्मरण,सही आप ने अपने साथ साथ हम पा...सुन्दर यात्रा-संस्मरण,सही आप ने अपने साथ साथ हम पाठकों को भी घूमा दियाvikram7https://www.blogger.com/profile/06934659997126288946noreply@blogger.com