tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post5140011271551184498..comments2024-03-21T12:48:25.921+05:30Comments on अंतर्मंथन: आस्था -- या अंधविश्वास ? आस्था की इन तस्वीरों को देखकर आपका दिल दहल सकता है ।डॉ टी एस दरालhttp://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comBlogger49125tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-89531967289977538462011-01-03T22:48:44.058+05:302011-01-03T22:48:44.058+05:30नासवा जी , कोई समझे तो कुछ बात बने ।
अभी तो हिन्दु...नासवा जी , कोई समझे तो कुछ बात बने ।<br />अभी तो हिन्दुस्तान में अंध विश्वास कूट कूट कर भरा है ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-56498295484901245092011-01-03T16:02:31.993+05:302011-01-03T16:02:31.993+05:30दिल दहलाने वाली तस्वीरे हैं ये ....
शर्मनाक .दिल दहलाने वाली तस्वीरे हैं ये ....<br />शर्मनाक .दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-968681898871220842010-12-28T21:10:14.986+05:302010-12-28T21:10:14.986+05:30राधारमण जी , सच्चाई से मूंह नहीं मोड़ना चाहिए ।
यद...राधारमण जी , सच्चाई से मूंह नहीं मोड़ना चाहिए ।<br />यदि असली तस्वीर न दिखे तो गंभीरता का जायज़ा कैसे होगा ।<br /><br />जे सी जी , मलेरिया , टी बी , एड्स आदि रोगों का उपचार है ।<br />एस्थमा और सिजोफ्रेनिया ऐसी बीमारियाँ हैं जिन्हें उपचार से कंट्रोल तो किया जा सकता है लेकिन जड़ से नही मिटाया जा सकता ।<br />ऐसे ही रोगों के लिए लोग तंत्र मन्त्र की तरफ झुकते हैं ।<br />लेकिन एपिलेप्सी जैसे रोग के लिए भी झोला छाप डॉक्टर लोगों को बेवक़ूफ़ बना जाते हैं ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-84234614799577120332010-12-28T20:53:33.410+05:302010-12-28T20:53:33.410+05:30पहली तस्वीर एक त्रासदी है। क्षमासहित कहना चाहूंगा ...पहली तस्वीर एक त्रासदी है। क्षमासहित कहना चाहूंगा कि जैसे टीवी वाले ने तस्वीर दिखाई,आपने भी वैसे ही ले ली। यह तस्वीर धुंधली होनी चाहिए अन्यथा इसे हटाया जाना चाहिए।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-86756056340848813322010-12-28T20:32:48.673+05:302010-12-28T20:32:48.673+05:30डा. दराल जी, आपने कहा "...कुछ रोगों का कोई इल...डा. दराल जी, आपने कहा "...कुछ रोगों का कोई इलाज़ नहीं होता..." जब तक एलोपेथी में तपेदिक का इलाज नहीं मिला था तो बीमार और उसके रिश्तेदार आशा छोड़ देते थे,,,किन्तु आज डॉक्टर गर्व से कहते हैं कि अब इस बीमारी से डरने की आवश्यकता नहीं! किन्तु यह देखा गया है कि तपेदिक से भी खतरनाक बीमारी काल के साथ साथ जगत के सम्मुख आती जा रहीं हैं और उनका इलाज पाने के लिए (पश्चिम में) खोज जारी है (समाचार पत्र आदि से ऐसी जानकारी मिलती रहती है)...<br /><br />और मलेरिया पहले होता था तो लोग कम्बल ओढ़ कुनीन खा लेते थे, जब तेज़ बुखार कंपकपी के साथ आता था तो...अब किन्तु वैसे ही लक्षण कुछेक अन्य बिमारियों में भी दिखने लगे हैं जिनके कारण डॉक्टर भी कभी कभी चक्कर में आ जाते हैं! <br />उपरोक्त पर कुछ प्रकाश डालेंगे? (आम तौर पर यह भी सुनने में आता है कि इसका कारण मूल तक नहीं पहुँच पाना है)...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-63508628117962038492010-12-28T18:04:04.084+05:302010-12-28T18:04:04.084+05:30मुझे इस बात कि ख़ुशी है कि मिडिया इस मामले में अपन...मुझे इस बात कि ख़ुशी है कि मिडिया इस मामले में अपना योगदान दे रहा है । पैरों तले बच्चे को रौंदने वाला बाबा अगले ही दिन गिरफ्तार कर लिया गया था ।<br />लेकिन समाज के ठेकेदारों द्वारा फैलाया जा रहा अंध विश्वास तभी ख़त्म हो सकता है जब सामाजिक तौर पर इनका बहिष्कार किया जाए । इसके लिए जागरूक और शिक्षित होना आवश्यक है ।<br />रजनीश जी कि बात पर गौर किया जाना चाहिए ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-37240578994924342722010-12-28T17:38:44.226+05:302010-12-28T17:38:44.226+05:30दराल साहब इन चित्रों मैं जो हो रहा है वोह ज़ुल्म ह...दराल साहब इन चित्रों मैं जो हो रहा है वोह ज़ुल्म है. ऐसे अन्धविश्वासी लोगों को इंसान कहने का हक नहींएस एम् मासूमhttps://www.blogger.com/profile/02575970491265356952noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-81588578729135397102010-12-28T16:06:55.533+05:302010-12-28T16:06:55.533+05:30ज़बरदसत प्रस्तुती !ज़बरदसत प्रस्तुती !JAGDISH BALIhttps://www.blogger.com/profile/12672029642353990072noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-29322219945653697442010-12-28T12:26:48.725+05:302010-12-28T12:26:48.725+05:30डॉ सा , इन गलती -सडती परम्पराओं से कब मानव जीव...डॉ सा , इन गलती -सडती परम्पराओं से कब मानव जीवन को मुक्ति मिलेगी |कब सवेरा होगा पता नही ? लेकिन ,इन्सान चाहे तो कुछ भी असम्भव नही है |<br />पिछले साल मीडिया वालो ने दिल्ली ,कानपूर,गाजियाबाद और हमारे बाम्बे से भी ईन बाबा और मोल्वियो को बेनकाब किया था | बाद मे क्या हुआ पता नही ?इन्हे सजा हुई या छुट गए ?हमारे देश का कानून इतना शसक्त होना चाहिए की ऐसे अपराधी छुट न सके .....इन्हे कड़ी से कड़ी सजा मिले ....|दर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-90523336780598449822010-12-28T11:12:05.556+05:302010-12-28T11:12:05.556+05:30यह सब हमारे धार्मिक ठेकेदारों की वजह है। ऐसा करने ...यह सब हमारे धार्मिक ठेकेदारों की वजह है। ऐसा करने वालों और इसका बढावा देने वालों को चौराहे पर खड़ा करके जूतों की माला से विभूषित किया जाना चाहिए।<br /><br />---------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">अंधविश्वासी तथा मूर्ख में फर्क। </a> <br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">मासिक धर्म : एक कुदरती प्रक्रिया।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-30099824394520846482010-12-28T05:38:31.378+05:302010-12-28T05:38:31.378+05:30यही तो है कि हमारे समाज की सच्चाई। चाहे वो किसी धर...यही तो है कि हमारे समाज की सच्चाई। चाहे वो किसी धर्म में हो उसका खुलकर विरोध करना चाहिए। तब तक जब तक इसे खत्म या काफी हद तक काबू में न कर लिया जाए। जैसे बुराईयां औऱ अच्छाईयां हर इंसान में होती है ठीक उसी तरह से समाज भी है। पर सवाल ये है कि निक्कमी सराकर और प्रशासन क्या कर रहा है। ऐसे किसी भी बीमारी को ठीक करने के दावे के विज्ञापन अखबार छापता क्यों है। मगर कोई इसे नहीं मानेगा। आता हुआ पैसा किसे बुरा लगता है दराल सर। सवाल सीधा सा है कि जब तक कुछ जगह सख्ती नहीं की जाएगी कुछ नहीं होगा। झोला झाप लोगो पर छापा मारने के साथ ही मेडिकल काउंसिल को सरकार पर दबाव बनाकर हर उस दावे करने वाले को जेल में पहुंचाया जाचा चाहिए जो शर्तिया इलाज का दावा करता हो। जब तक कोई दावा या ईलाज का तरीका सिद्ध न हो जाए तब तक उसपर कड़ाई से रोक लगानी होगी।Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-20752104374815681742010-12-27T20:59:46.682+05:302010-12-27T20:59:46.682+05:30जे सी जी , कुछ रोगों का कोई इलाज़ नहीं होता । ऐसे म...जे सी जी , कुछ रोगों का कोई इलाज़ नहीं होता । ऐसे में किसी को भी frustration हो सकता है । लेकिन उजूल फ़िज़ूल बातों में समय नष्ट करने से बेहतर है कि स्थिति से समझौता कर लिया जाए ।<br /><br />अंध विश्वास एक सामाजिक समस्या है लेकिन राजनीतिक तौर पर भी ठोस कदम उठाये जाने चाहिए ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-9262328066955969772010-12-27T20:52:08.752+05:302010-12-27T20:52:08.752+05:30डा दराल जी, आप बिलकुल सही कह रहे हैं कि यह आम पढ़े-...डा दराल जी, आप बिलकुल सही कह रहे हैं कि यह आम पढ़े-लिखे और सेहतमंद (भाग्यवान?) लोगों को कदापि बर्दाश्त नहीं होगा, अविश्वनीय प्रतीत होगा कि इक्कीसवीं सदी में ऐसा भी हो सकता है,,,किन्तु कहावत है, "जा तन लागे / वो तन जाने"...हरेक व्यक्ति के शुभ- चिन्तक होते हैं जो बीमार को देखने आना अपना कर्तव्य मानते हैं भारत में, और आदतन सलाह भी देते हैं कि कैसे उनके किसी रिश्तेदार को वैसी ही तकलीफ थी और कैसे वो फलां फलां का इलाज करवा दो दिन में ठीक हो गया! आदि, आदि...अब बताइए जिस परिवार का कोई बच्चा, ख़ास तौर पर लड़का, मानसिक रूप से विक्षिप्त हो और माँ-बाप अस्पतालों के चक्कर काट रहे हो वर्षों से, बिना किसी उम्मीद के,,,तो संभव है वो ऐसे किसी चक्र में आजाएं...[मैं ऐसे एक (स्किद्जो फ्रेनिया) के मरीज़ ४७ वर्षीय लड़के को जानता हूँ जिस की बूढी माँ (अब अकेले १८ वर्षों से) और पहले, (अब स्वर्गीय), बाप भी मिल कर कुल ३४ वर्षों से दिल्ली के अस्पतालों (और पहले बंगलोर के भी) चक्कर काट रहे हैं,,,किन्तु उन्होंने कोई ऐसा वैसा इलाज नहीं करवाया,,,और उनके ऊपर दया करने के अतिरिक्त कोई क्या कर सकता है?]...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-4763582035185292652010-12-27T20:22:44.197+05:302010-12-27T20:22:44.197+05:30अंधविश्वास की पराकाष्ठा !अंधविश्वास की पराकाष्ठा !ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-60271763774323906332010-12-27T20:18:05.383+05:302010-12-27T20:18:05.383+05:30दराल जी,
आश्चर्य तो यह है कि इस तरह से अपने बच्चो ...दराल जी,<br />आश्चर्य तो यह है कि इस तरह से अपने बच्चो या परिजनों का इलाज करवाने में शिक्षित लोग भी शामिल हैं...कितने पढ़े-लिखे लोग भी इस अंधविश्वास को मानते हैं....और इलाज कारगर ना होते देख ..यहाँ भी किस्मत आजमाते हैं .rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-3358554971438655562010-12-27T17:43:18.338+05:302010-12-27T17:43:18.338+05:30दराल साहब,
तस्वीरें देख कर दिल दहल गया !
आदमी की स...दराल साहब,<br />तस्वीरें देख कर दिल दहल गया !<br />आदमी की समझ कहाँ चली गयी है !<br />इन अबोध बच्चों के साथ इतनी बर्बरता !<br />-ज्ञानचंद मर्मज्ञज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-48444068529230184462010-12-27T17:03:04.411+05:302010-12-27T17:03:04.411+05:30जे सी जी , यह सही है कि सबको एक जैसी चिकित्सा सुवि...जे सी जी , यह सही है कि सबको एक जैसी चिकित्सा सुविधा प्राप्त नहीं है । लेकिन इस तरह जनता को गुमराह करना भी तो ठीक नहीं ।<br />माथुर जी , लोग अवश्य सुनेंगे । बस दुःख इस बात का है कि हमारी आवाज़ शायद उन तक नहीं पहुँच रही , जिनको इसकी ज्यादा ज़रुरत है ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-45340097895440668302010-12-27T16:58:10.091+05:302010-12-27T16:58:10.091+05:30सही कहा खुशदीप , इसमें कुछ हाथ तो अशिक्षित होने का...सही कहा खुशदीप , इसमें कुछ हाथ तो अशिक्षित होने का है । साथ ही हमारी मान्यताएं और धारणाएं भी बदलना ज़रूरी है ।<br />वाणी जी , दर्शन जी , यह मानव जाति की कमजोरी ही है जो हम भावनाओं में बहकर दिल को दिमाग पर हावी हो जाने देते हैं । ऐसे से बुद्धि काम करना ही बंद कर देती है ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-29132194125230952022010-12-27T16:48:57.536+05:302010-12-27T16:48:57.536+05:30अरे!
यह तो मानवता की पराक्षटा ह!अरे!<br />यह तो मानवता की पराक्षटा ह!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-6889272984897910362010-12-27T16:19:41.360+05:302010-12-27T16:19:41.360+05:30डा. सा:आप ने ठीक चोट की है,यह सब ढोंग -पाखंड फ़ैलान...डा. सा:आप ने ठीक चोट की है,यह सब ढोंग -पाखंड फ़ैलाने के लिए वह धारणा ज़िम्मेदार है जो इसे भारतीय -संस्कृति बताती है;जबकी यह पूरी तरह अमानवीय धारणा है.मैं तो अपनी और से ब्लाग पर लगातार ढोंग-पाखंड का विरोध कर ही रहा हूँ और जनता हूँ कि,अधिकांश लोग मुझ से सहमत नहीं हैं.यदि आपके प्रयास को ही लोग ठोस समर्थन दें तो देश और मानवता का भला हो सकता है.vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-15625317606564214352010-12-27T15:36:28.679+05:302010-12-27T15:36:28.679+05:30डॉ. सा.,फोटो देखकर रूह कांप जाती है| पर इन अंधवि...डॉ. सा.,फोटो देखकर रूह कांप जाती है| पर इन अंधविसवासो का क्या कोई इलाज है| शायद नही? क्योकि यह जहर हमारी नस -नस में बसा है|<br />मुझे याद है ८साल पहले हमारे पधोसी शर्माजी की बेटी सख्त बीमार थी ,सबने जबाब दे दिया था की कुछ दिनों कीमेहमान है... उस समय वो दोनों पति -पत्नी बाबाओ और मोल्वियो के चक्कर कट रहेथे ...हमने बहुत समझाया पर उन्होंने हमारी एक भी बात नही सुनी |पेशे से दोनों इंजिनियर है पर मानव मन जिसकी कोई थाह नही सोचने पर मजबूर हो जाता है की शायद कुछ चमत्कार हो जाये और इसी आशा से वो इन अंध विसवासो पर यकीन करने लगता है ,तब न समाज ,न प्रगति न इंसानियत कुछ नही दीखता ...दीखता है तो निजी स्वार्थ ..अपनों का दर्द.... अपना सुख !<br />वेसे कुछ दिनों बाद शर्माजी की बेटी की मुत्यु हो ग ई |<br />अब ,आप इसे क्या कहेगे ?दर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-5033271865405715712010-12-27T08:47:16.345+05:302010-12-27T08:47:16.345+05:30क्षमा प्रार्थी हूँ,,, "...भले ही चिकित्सा के ...क्षमा प्रार्थी हूँ,,, "...भले ही चिकित्सा के क्षेत्र में आज हम अग्रणी हैं, आदि ।" आपने कहा,,,किन्तु आपने चिकित्सा सुविधा की सम्पूर्ण देश की परिस्थिति प्रदर्शित नहीं की,,, यह दर्शाने के लिए कि क्या हर एक को, निर्धन से निर्धन परिवार को भी, एक सी सुविधा उपलब्ध है देश के हर कोने में ? <br />क्या नियम - कानून के रहते भी 'झोला- छाप- डॉक्टर' भी कार्यरत नहीं हैं ?...क्या सब डॉक्टर आप जैसे हैं?... आदि... <br /><br />प्रकृति में धूलि-कणों से लेकर चट्टान तक और उनसे बने छोटे - बड़े टीले और कैलाश पर्वत आदि (मानव शरीर नर्म और सख्त टिस्स्यु से बने जैसे?) शायद कुछ इशारा करते हों?! <br /><br />मन में ऐसे ही (काल के प्रभाव से? वर्ष २०१० के अंत से पहले?) विचार आता है कि जैसे ‘हमने’ उसके प्रतिबिम्ब क्राइस्ट को सूली में लटकाया, (क्यूंकि उसने तत्कालीन डॉक्टरों की रोजी-रोटी खराब कर दी??) क्या हम (उसीके 'जादुई शीशे' में बने प्रतिबिम्ब जैसे?) अदृश्य 'रचयिता' को भी सूली में लटकाना चाहते हैं? (यानि, अन्य शब्दों में, क्या वो, सर्वगुण- संपन्न, आत्म-हत्या करना चाहता है??!)JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-79373775973325118682010-12-27T05:42:56.652+05:302010-12-27T05:42:56.652+05:30दुःख तो तब होता जब अच्छे खासे पढ़े लिखे लोंग भी इन ...दुःख तो तब होता जब अच्छे खासे पढ़े लिखे लोंग भी इन अंधविश्वासों को मानने लगते हैं ...नजर उतारने , झाडा लगाने वालों की भीड़ में कई डॉक्टर के परिवार भी दिख जाते हैं , दरअसल जब इंसान बहुत परेशान हो तो जहाँ उम्मीद की किरण नजर आती है , सही गलत का फर्क किये बिना वहीँ दौड़ पड़ता है ...<br />वाकई दिल दहलाने वाली भयावह तस्वीरें हैं ...!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-40679209016851500142010-12-26T22:23:05.887+05:302010-12-26T22:23:05.887+05:30दराल सर,
जिस दिन देश में लिटरेसी रेट वैसा हो जाएगा...दराल सर,<br />जिस दिन देश में लिटरेसी रेट वैसा हो जाएगा, जैसा कि विकसित देश के लिए होना चाहिए, ये दृश्य दिखने खुद-ब-खुद बंद हो जाएंगे...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-42102036303277848552010-12-26T20:46:06.660+05:302010-12-26T20:46:06.660+05:30हम बस यही कह सकतें है कि आने वाले दशक में यह सब न ...हम बस यही कह सकतें है कि आने वाले दशक में यह सब न हो......<br />समाज को तार-तार करने वाली पोस्ट..डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.com