tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post4182532641321124598..comments2024-03-21T12:48:25.921+05:30Comments on अंतर्मंथन: यादें --१९७१ में हुए भारत पाक युद्ध की और हमारी एक्टिंग की --डॉ टी एस दरालhttp://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-14551830593838853502011-12-21T14:20:46.425+05:302011-12-21T14:20:46.425+05:30तो आप बस लिखने में ही नहीं और भी कई चीजों में माहि...तो आप बस लिखने में ही नहीं और भी कई चीजों में माहिर हैं ... छुपे रुस्तम हैं डाक्टर साहब आप तो ... कितना कुछ सिमटा होता है यादों में ... अच्छी लगी आपकी पोस्ट ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-35429836220988815972011-12-19T17:35:56.254+05:302011-12-19T17:35:56.254+05:30ओह मतलब आप इस कला में भी माहिर हैं...गज़ब का नाटक ...ओह मतलब आप इस कला में भी माहिर हैं...गज़ब का नाटक तैयार किया था तो बेस्ट एक्टर क्या सारे इनाम आपको ही मिलने चाहिए थे.<br />आपके यादों के झरोखे से निकली ये पोस्ट्स बहुत अच्छी लग रही हैं.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-18325340368870012012011-12-19T17:14:43.486+05:302011-12-19T17:14:43.486+05:30wow... very interesting anecdote !!
Enjoyedwow... very interesting anecdote !!<br />EnjoyedJyoti Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01794675170127168298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-29526106866083005422011-12-19T10:46:31.569+05:302011-12-19T10:46:31.569+05:30पंछी, नदिया और पवन के झोंके,
कोई सरहद न इनको रोके,...पंछी, नदिया और पवन के झोंके,<br />कोई सरहद न इनको रोके,<br />सोचो तो क्या पाया हमने इनसां होके...<br /><br />उपकार फिल्म 1967 में आई थी लेकिन 1971 में प्रोजेक्टरों पर जगह-जगह खूब दिखाई जाती थी...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-66942777189564561952011-12-19T10:11:48.842+05:302011-12-19T10:11:48.842+05:30गोदियाल जी , आपका यह सुन्दर संस्मरण कई ब्लोगर मित्...गोदियाल जी , आपका यह सुन्दर संस्मरण कई ब्लोगर मित्रों को पसंद आएगा ।<br />हा हा हा ! जे सी जी , आप मैदान छोड़ भाग खड़े हुए ।<br />मैंने जब पहली बार छठी क्लास में नाटक में भाग लिया तो मुझे लड़की का रोल दिया गया था क्योंकि हमारे स्कूल में लड़कियां नहीं थी । इस बात पर घर में बड़ी डांट पड़ी । उसके बाद हमने बस मर्दों वाले रोल ही किये । :)<br /><br />सतीश जी , क्या करते --बन्दूक के लिए नकली गोलियां नहीं मिली । और असली चलाने की हिम्मत तो आज तक नहीं हुई ।<br />डॉ मनोज कुमार --प्रसाद जी --यह भी खूब रही । वैसे फिल्म उपकार उसी दौरान आई थी ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-76982607213178280762011-12-19T10:03:48.099+05:302011-12-19T10:03:48.099+05:30सही कहा रचना जी , युद्ध की वास्तविक भीषणता दिल दहल...सही कहा रचना जी , युद्ध की वास्तविक भीषणता दिल दहला देने वाली होती है ।<br />अरे मिश्र जी , नाम में क्या रखा है । हम तो बस काम किये हैं । :)<br />संगीता जी , सारे काम करके छोड़ दिए । एक बार कॉलिज में कव्वाल भी बने थे । टोपी सोपी पहन के और हाथ में रुमाल बांधकर --वो भी क्या नज़ारा था ।<br />हा हा हा ! त्रिवेदी जी , अब कहाँ एक्टिंग !डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-48361620903761946422011-12-19T09:55:25.658+05:302011-12-19T09:55:25.658+05:30तब आपको बधाई नहीं दे सके थे लेकिन अब आपको बधाई।तब आपको बधाई नहीं दे सके थे लेकिन अब आपको बधाई।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-80477257939797614002011-12-18T17:38:07.066+05:302011-12-18T17:38:07.066+05:30बधाई हो डॉ. मनोज कुमार... देर से ही सही :)बधाई हो डॉ. मनोज कुमार... देर से ही सही :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-66880678826511072782011-12-18T17:29:52.838+05:302011-12-18T17:29:52.838+05:30आपके हथियार पसंद आये ....
हथगोले पहले थोड़े ही फें...आपके हथियार पसंद आये ....<br />हथगोले पहले थोड़े ही फेंके जाते हैं , पहले रायफल चलनी चाहिए ! अगली बार मैं भी आपकी फ़ौज में शामिल होना चाहता हूँ ! लंच में समोसे खिला देना .....<br />इतने में तो पूरे दुश्मन को उड़ा देंगे !<br />एन सी सी की ड्रिल याद आ गयी ...<br />शुभकामनायें आपको !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-77626400696896504172011-12-18T17:22:24.182+05:302011-12-18T17:22:24.182+05:30JC said...
डॉक्टर दराल जी, कहते हैं कि आम आदमी बहि...JC said...<br />डॉक्टर दराल जी, कहते हैं कि आम आदमी बहिर्मुखी ('ब') होता है अथवा अंतर्मुखी ('अ')... 'ब' को बचपन में जीवन नाटक, अर्थात 'सत्य', ही लगता है... दूसरी ओर 'अ' की अक्ल लगता है बचपन से ही शायद 'परम सत्य' को जानने के लिए उत्सुक रहती है...इस कारण शायद उन्हें अपने जीवन में मानव तंत्र से छोटे छोटे पुरूस्कार तो मिलते हैं किन्तु बड़े पुरूस्कार नहीं मिलते! मुझे तो भाई लगता है कि द्वितीय विश्वयुद्ध ('३९-'४५) से पहले पैदा होना उसी प्रकार है जैसे "सर मुंडाते ही ओले पड़े"! स्कूल में एक संस्कृत लघु नाटक के लिए तैय्यारी करी किन्तु स्टेज में जा केवल एक वाक्य बोल, स्टेज फ्राईट के कारण सब भूल गया और स्टेज छोड़ दिया ('रण छोड़' कृष्ण समान:) और ऐसा ही हाल एक ' रेसिटेशन कम्पेटीशन में भी :) <br /><br />आपको कई इनाम पाने के लिए बधाई!<br /><br />December 18, 2011 10:52 AMJChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-54854492056645810432011-12-18T16:48:58.708+05:302011-12-18T16:48:58.708+05:30उस पुरुष्कार को जीतने की बधाई, बहुत खूबसूरती से बच...उस पुरुष्कार को जीतने की बधाई, बहुत खूबसूरती से बचपन की याद ताजा की आपने डा० साहब ! मैं भी तब काफी छोटा था, पिताजी फ़ौज में थे, हालांकि उनकी यूनिट भी युद्ध में भाग ले रही थी मगर ६२ और ६५ की लड़ाइयों में भाग लेने की वजह से उन्हें इस युद्ध के दौरान यूनिट की देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी ! छावनी के बैरिकों, घरबारी लाइंस के रोशनदानो और खिडकियों को गत्तों से ढक दिया गया था ! मुझे याद है कि जैसे ही रात को आकाश में कोई विमान की गडगडाहट होती थी, MES (मिलिट्री इंजीनीयारिंग सर्विस) की और से तुरंत छावनी का में विद्युत सफ्लाई स्विच बंद कर दिया जाता था! पिताजी रात को कल्ब से टुन्न होकर आते थे तो मां अगर पूछती थी कि इतनी क्यों पी ? तो उनका ब्लैकमेल करने के अंदाज में एक ही जबाब होता था कि मेरा भी कल युद्ध में कूच करने का आदेश आ गया है !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-62395328247841838902011-12-18T13:24:15.346+05:302011-12-18T13:24:15.346+05:30कुछ नाटक केवल अभिनय के लिए खेले जाते हैं. देशभक्ति...कुछ नाटक केवल अभिनय के लिए खेले जाते हैं. देशभक्ति का जज्बा औसत कलाकारों में भी वीर-रस भरता है.कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-645539390501255692011-12-18T12:44:28.557+05:302011-12-18T12:44:28.557+05:30हम भी स्कूली-दिनों में पोरस बने थे.....आप की एक्टि...हम भी स्कूली-दिनों में पोरस बने थे.....आप की एक्टिंग अब भी कुछ कम नहीं है !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-38913868658631049022011-12-18T12:13:53.223+05:302011-12-18T12:13:53.223+05:30वल्लाह क्या बात है .अच्छा लगा यह जोशीला सांस्कृति...वल्लाह क्या बात है .अच्छा लगा यह जोशीला सांस्कृतिक अभियान .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-77558116664895527602011-12-18T11:38:57.059+05:302011-12-18T11:38:57.059+05:30बहुत सी यादें मानसपटल पर ज्यों की त्यों अंकित होती...बहुत सी यादें मानसपटल पर ज्यों की त्यों अंकित होती हैं ..उन दिनों हवामहल कार्यक्रम बहुत पसंद किया जाता था .. <br />अभिनय में भी आप सिद्ध हस्त हैं :)संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-64971695043928452412011-12-18T11:14:16.992+05:302011-12-18T11:14:16.992+05:30वर्णन और आपका ड्रामा प्रदर्शन का कार्य आपकी राष्ट्...वर्णन और आपका ड्रामा प्रदर्शन का कार्य आपकी राष्ट्र-भक्ति का द्योतक है। <br />सरहनीय वां अनुकरणीय दृष्टांत है।vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-72306105989772266452011-12-18T10:46:22.446+05:302011-12-18T10:46:22.446+05:30वाह. क्या बात है.
हमें भी स्कूल में खंदके खोदकर उन...वाह. क्या बात है.<br />हमें भी स्कूल में खंदके खोदकर उनमें शेल्टर लेने के बारे में कुछ कुछ सिखाया जाता था.. और फ़िल्म डिवीज़न वाले देशभक्ति के गाने दिखाया करते थे स्कूल में प्रोजेक्टर लाकर...Kajal Kumarhttps://www.blogger.com/profile/00998541605207954925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-23245412288964537152011-12-18T10:28:54.517+05:302011-12-18T10:28:54.517+05:30वाह यादों के झरोखे से अच्छी पिटारी निकालकर लाये आप...वाह यादों के झरोखे से अच्छी पिटारी निकालकर लाये आप प्रस्तुति अच्छी लगी. उन दिनों दिलों में देशभक्ति का जज्बा समुद्र बनकर हिलोरे ले रहा था सभी के दिलों में.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-69053525359905500342011-12-18T10:19:15.417+05:302011-12-18T10:19:15.417+05:30जय हिंद ... जय हिंद की सेना ...जय हिंद ... जय हिंद की सेना ...शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-92067352996275344822011-12-18T08:42:30.557+05:302011-12-18T08:42:30.557+05:30यादों के मोती चुन कर यहां सजाना अच्छा है।यादों के मोती चुन कर यहां सजाना अच्छा है।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-29093231694681242792011-12-18T08:41:36.463+05:302011-12-18T08:41:36.463+05:30आप क्या बने थे मेजर जनरल अरोड़ा या फॉर मानेकशा ? त...आप क्या बने थे मेजर जनरल अरोड़ा या फॉर मानेकशा ? तो आज तक आप भी नहीं उबर पाए उस मंजर से ? नियाजी कहाँ है इन दिनों ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-23094646111251084042011-12-18T08:38:49.618+05:302011-12-18T08:38:49.618+05:30padhker hi lag gaya ki kaisa zabardast raha hoga d...padhker hi lag gaya ki kaisa zabardast raha hoga drama ... ab to bachche aisa kuch karte hi nahi...jeet ki ek baar phir badhaaiरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-56396610715085421882011-12-18T08:37:54.772+05:302011-12-18T08:37:54.772+05:30सलाम इस जज्बे को. सुंदर संस्मरण. जब नकली युद्ध इतन...सलाम इस जज्बे को. सुंदर संस्मरण. जब नकली युद्ध इतना खतरनाक लगता है तो वास्तविक कितना खतरनाक होगा.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-2491330737682340672011-12-18T08:28:43.528+05:302011-12-18T08:28:43.528+05:30bahut achcha sansmaran ek bar to esa laga ki taali...bahut achcha sansmaran ek bar to esa laga ki taali bajaane vaalon me hum bhi baithe hain.drama ek chalchitr ki bhaanti aankho ke saamne aa gaya.bande mataram!!!jai bhaarat.Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.com