tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post3730767101853068719..comments2024-03-21T12:48:25.921+05:30Comments on अंतर्मंथन: अब आप ही बताइये की ये विश्वास है या अंध विश्वास !डॉ टी एस दरालhttp://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comBlogger52125tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-91038976905653423652010-08-11T17:21:42.857+05:302010-08-11T17:21:42.857+05:30मेरा मान्ना तो यही है कि ये सब कोरी ठगबाज़ी है...नि...मेरा मान्ना तो यही है कि ये सब कोरी ठगबाज़ी है...निरा अंधविश्वास हैराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-9483247701844123122010-02-22T07:53:35.384+05:302010-02-22T07:53:35.384+05:30डा. दराल साहिब ~ में आपकी बात अच्छी तरह से समझता ह...डा. दराल साहिब ~ में आपकी बात अच्छी तरह से समझता हूँ क्यूंकि मैं चिकित्सकों के संपर्क में, उनके मित्र या रिश्तेदार होने के कारण, जान पाया हूं: इसे ही कहते हैं कि "मैंने धूप में बाल सफ़ेद नहीं किये हैं :)" और एक नेत्र रोग विशेषज्ञ रिश्तेदार ने मुझे कभी बताया था कि कैसे उस समय २६ वर्ष से वो केवल आँखें ही देखता आया था और यदि दिल के बारे में कुछ पूछना हो तो में उसकी पत्नी से पूछूं :) <br /><br />शरदजी के ब्लॉग में मैंने अपने विचार संक्षिप्त में रख दिए हैं क्यूंकि मेरी मान्यता है कि जब तक मैं सर्वगुण-सम्पन्न को न जान लूं, मुझे अधिकार है कोई उपदेश देने का यदि में किसी से थोडा अधिक जानता हूँ - और दूसरा व्यक्ति तैयार भी हो मुझे सुनने को,,,और आज तो १६ वर्षीय व्यक्ति भी छूटते ही बोलता है "मैं भगवान् पर विश्वास नहीं करता!" फुल स्टॉप लगा देता है...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-53543125035439949942010-02-22T07:33:52.699+05:302010-02-22T07:33:52.699+05:30हा हा हा ! सोनी जी। बड़ी दिलचस्प बात कही आपने।
लेक...हा हा हा ! सोनी जी। बड़ी दिलचस्प बात कही आपने।<br />लेकिन भैया , वो कहते हैं न की एक ही नहीं संभलती फिर दूसरी ---:)।<br /><br />दरअसल चित्रकथा पर मैं सिर्फ फोटोग्राफ्स लगाता हूँ। मुझे फोटोग्राफी का शौक है।<br /><br />अंतरमंथन पर लेख लिखता हूँ । हालाँकि यहाँ भी सचित्र वर्णन करता रहता हूँ।<br />अब क्या करें , इसी चैनल को लोग ज्यादा देखते हैं।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-45364789097328467062010-02-22T07:29:09.146+05:302010-02-22T07:29:09.146+05:30जे सी साहब , यह मस्तिष्क भी बड़ी अजीब चीज़ है। इसे...जे सी साहब , यह मस्तिष्क भी बड़ी अजीब चीज़ है। इसे भी त्रिया चरित्र की तरह पूर्ण रूप से आज तक कोई नहीं समझ पाया। हमें तो खैर कभी समझ ही नहीं आता था। एपिलेप्सी क्यों होती है, इसका कारन आज तक पता नहीं चला । फिर भी इलाज शर्तिया है , लेकिन दवा से, झाड फूंस से नहीं।<br /><br />शरद कोकास जी ने बात का सही निचोड़ निकाला है।<br />हमें अंध विश्वास के खिलाफ एक मुहीम छेड़नी चाहिए।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-55288247417446202302010-02-21T22:41:05.042+05:302010-02-21T22:41:05.042+05:30agar buraa naa maane to ek baat kahu--
"aap a...agar buraa naa maane to ek baat kahu--<br />"aap apne doosre blog main to bilkul post nahi karte hain, lekin is blog main bahut post karte hain. ye kyon??? iss blog ke saath-saath aapko us blog main bhi kuch posts karne chaahiye. aapke do betae (blogs) hain, ek kaa jyada or doosre ka kam karnaa saraasar galat hain. aapko apne dono baeto (blogs) ke saath samaan vyavahaar (posts) karnaa chaahiye."<br />thanks.<br />WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COMचन्द्र कुमार सोनीhttps://www.blogger.com/profile/13890668378567100301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-50771187245947179642010-02-21T22:26:05.829+05:302010-02-21T22:26:05.829+05:30जुड़ा हूँ । ऐसे बाबाओ के लिये एक ड्रग ऐंड मैजिकल र...जुड़ा हूँ । ऐसे बाबाओ के लिये एक ड्रग ऐंड मैजिकल रेमेडी ऐक्ट बना है जिसमे इन्हे बन्द किया जा सकता है । लेकिन व्यवस्था के छेद सभी जानते है । इस विषय पर विस्तार से विश्लेषण के लिये मैने अपने ब्ळोग " न जादू ना टोना " पर एक लेख माला की शुरुआत की है जिस पर प्रति सोमवार मै एक लेख प्रकाशित करता हूँ । क्रपया उस लेख को अवश्य पढे और जन सामान्य के बीच व्याप्त अन्धविश्वासों को दूर करने की दिशा मे प्रयस करे ।<br />http://wwwsharadkokas.blogspot.comशरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-50910514260470248462010-02-21T22:20:04.419+05:302010-02-21T22:20:04.419+05:30इस पोस्ट को पढ़ने के बाद यह तो तय हो गया कि हमारे ...इस पोस्ट को पढ़ने के बाद यह तो तय हो गया कि हमारे सभी ब्लॉगर मित्र अन्धविश्वास के सख्त खिलाफ हैं। हम सभी इस माध्यम के द्वारा जनता के बीच व्याप्त अन्धविश्वास को दूर करने का भी प्रयास कर रहे हैं ।मैं विगत कई वर्षों से अन्धश्रद्धा निर्मूलन समिति के साथशरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-36770057720536613842010-02-21T14:51:33.460+05:302010-02-21T14:51:33.460+05:30डा. दाराल, रचना जी और अनेजा जी ~ एक बहुत अच्छा शब्...डा. दाराल, रचना जी और अनेजा जी ~ एक बहुत अच्छा शब्द "संयोग" है जो जब कुछ जवाब नहीं सूझता उपयोग में लाया जाता है :) <br />एक "डॉक्टर" को तो मुझसे अधिक पता होना चाहिए मानव मस्तिष्क के बारे में...जिस मेरी तीसरी लड़की का मैंने जिक्र किया वो तीन वर्ष तक खड़े हो कर नहीं चलती थी, बैठे बैठे ही आगे बढती थी...चिकित्सक, चाइल्ड स्पेसिअलिस्ट, ने कहा था कि उसके अंग सब सही थे किन्तु कुछ बच्चे तीन साल तक नहीं चलते...मुझे मेरी पत्नी कहती रहती थी मैं कुछ उसकी चिंता नहीं करता था...फिर एक दिन छुट्टी वाले दिन मैंने कहा मैं उसे चलाऊँगा! उसे केवल भय है! <br /><br />मैंने उसको उसके बगल में हाथों के सहारे से खड़ा किया तो भय से वो रोने लग पड़ी और बैठने कि कोशिश कर रही थी! मैं केवल, "नहीं गिरेगी / नहीं गिरेगी", बोलता गया तो कुछ देर बाद उसको विश्वास हुआ और उसका रोना बंद हो गया...उसी क्षण मैंने अपने हाथ थोड़े नीचे कर लिए! वो डरी, बैठने कि कोशिश करी उसने, किन्तु फिर मैंने उसको उपर सीधा खड़ा कर दिया और बोलता रहा "नहीं गिरेगी"...कुछ देर बाद मैं बैठे बैठे ही पीछे दो-एक फुट सरक गया, वो दौड़ कर मेरे पास आ मुझको पकड़ ली! उसी दिन फिर उसका भय गायब हो गया और उसको मुझ पर विश्वास हो गया तो उसी दिन से वो चलने लग पड़ी! उसके दो वर्षीय बेटे को भी मैंने संयोगवश (?) लगभग उस घटना के ३५ वर्ष बाद मुंबई में चलना सिखाया, ऐसे ही उसका भी भय दूर कर के! <br /><br />जहाँ तक रत्नों के उपयोग का प्रश्न है, मैंने '८० के दशक में एक सरकारी डॉक्टर के तीव्र गैसत्रैतिस का इलाज एक १०० रुपैये के सुच्चे मोती से करके दिखाया - उनकी हस्तरेखा का अध्ययन कर...<br /><br />मेरी खाना बनाने वाली बेहोश हो सड़क में गिरी कई बारी...३५००/= का टेस्ट बताया गया उसे तो उसने तकलीफ सहने का निर्णय कर लिया...मेंने निज स्वार्थ में ५-६ माह पहले एक रत्न की अंगूठी पहनाई - और उस दिन से वो बेहोश नहीं हुई है (संयोगवश? :) और मेरा खाना अधिक प्रेम से बनाती है अब :) <br /><br />ऐसे ही कुछ और उदाहरण भी हैं जो शायद काम करते हैं क्यूंकि मैं पैसा नहीं कमाता इस ज्ञान से जो मैंने अध्ययन कर (प्रभु कृपा से, संयोगवश:) प्राप्त किया है - और, अधिक प्रयास सदैव जारी हैं ज्ञानोपार्जन करने के...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-46506638976422073412010-02-21T13:36:38.685+05:302010-02-21T13:36:38.685+05:30दराल साहब, नमस्कार।
मेरे कहने का अभिप्राय भी ठीक य...दराल साहब, नमस्कार।<br />मेरे कहने का अभिप्राय भी ठीक यही था कि व्यक्तिगत अनुभव पर कोई संदेह नहीं होना चाहिये, संशयात्मक तो दिखावा है। व्यक्तिगत अनुभव हर व्यक्ति के संस्कार, परिवेश, परिस्थितियों और बहुत सी बातों का आफ़्टर-इफ़ेक्ट होता है। जे.सी. साहब वाली नेताओं की बात को मेरे द्वारे आगे चलाने का भी मंतव्य यही था कि चतुर-चालाक नेता/अभिनेता/मजमेबाज आम जनता की कमजोरियों को भुनाने में सफ़ल हो जाते हैं। एक बात और, आज तक मुझे एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिला जो किसी शंका या दुख के चलते किसी तांत्रिक के पास गया हो और वहां से उसे यह जवाब न मिला हो कि इन दुखों का कारण ग्रहों का प्रभाव या किसी दुश्मन द्वारा करवाये गये तंत्र-मंत्र हैं। मेरा मानना है कि इन चक्करों में फ़ंसने वाले भावनात्मक रूप से सबल नहीं होते और रस्सी को सांप बताकर ये शातिर लोग इन्हें ठगते हैं। <br />@जे.सी.साहब:- आप से सौ फ़ीसदी सहमत हूं कि आम जनता दुखी है। साथ ही कहना चाहता हूं कि सुखी तो खास लोग भी नहीं ही होंगे, हां उनके दुख कुछ दूसरी तरह के होंगे। किसी भी काल में सभी सुखी नहीं रहे-इसी का नाम दुनिया हैसंजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-24610010080941447392010-02-21T12:40:31.714+05:302010-02-21T12:40:31.714+05:30"जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी..."जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी" न तो आप लोगों की सोच बदल सकते हैं न अपनी. ये तो वैसे भी लोगों की भावनाओं का खेल है. इसमें क्या शिक्षा क्या अशिक्षा किसी का जोर नहीं चलता. खास कर वो लोग दुनिया में हर तरफ से निराश हो जाते हैं वो ऐसे किस्सों से बलि का बकरा बनते हैं.मैंने तो अच्छे खासे पढ़े लिखे लोगों को इस तरह के जंजाल में फंसते देखा हैरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-32678536741597308082010-02-21T11:25:38.268+05:302010-02-21T11:25:38.268+05:30इसमें कोई शक नहीं कि हम जैसे कुछ लोग जो शायद पहले ...इसमें कोई शक नहीं कि हम जैसे कुछ लोग जो शायद पहले से ही कुछ अधिक 'जागरूक' हों और सौभाग्यवश आज कम्पुटर से खेल भी पा रहे हों...और, 'बन्दर के हाथ में आई तलवार के समान', 'ब्लॉग' के माध्यम से अपने विचार को कुछ गिने चुने, पढ़े-लिखे, लोगों तक पहुंचा भी पा रहे हैं - 'नक्कार खाने में तूती समान' शायद...अपने को ज्ञानी मान हर कोई बोलना चाहता है - सुनना कोई नहीं चाहता किन्तु :)<br /><br />किन्तु 'काल' या युग का सत्य यह भी है, डा. साहिब, कि अधिकतर 'आम जनता' दुखी है, परेशान है: नहीं तो किसान गले में फंदा लगा लटक नहीं रहे होते पेड़ों से...और 'नेता' के माथे पर एक शिकन भी नहीं दिखती है - दोष बारिश आदि पर लगा कर 'मस्त'...या इंजीनियरिंग के कुछेक विद्यार्थी आमिर खान की फिल्म से प्रेरित हो कमरे में छत से न लटकते, क्यूंकि ९०% अंक सब नहीं पा सकते,,,और जबकि आमिर खान जैसे करोड़ों कमा रहे हैं और कोई, उनके सौभाग्य वश, उनको छात्रों को उकसाने के दोषी मान अभी फाँसी देने के लिए नहीं कह रहा है :) ...और दूसरी ओर कुछ 'बिगड़े बच्चे' अपने सहपाठी को गोली मार न रहे होते / 'इमानदार पुलिस वाले' को कार के नीचे न रोंद रहे होते...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-43937483828369740512010-02-21T10:10:51.643+05:302010-02-21T10:10:51.643+05:30ांअंध विश्वास आस्था अफवाह बहुत कुछ के बारे मे सब न...ांअंध विश्वास आस्था अफवाह बहुत कुछ के बारे मे सब ने लिख दिया मगर आज खुशी की बात ये है महफूज़ बहुत समझ दार हो गया है कितनी अच्छी बात कही है। शायद खुशदीप की सोहबत का असर है। बहुत अच्छी लगी आपकी पोस्ट धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-83227084984286024552010-02-21T08:39:49.368+05:302010-02-21T08:39:49.368+05:30सही कहा वर्मा जी ।
अफवाह और अंध विश्वास साथ साथ च...सही कहा वर्मा जी ।<br />अफवाह और अंध विश्वास साथ साथ चलते हैं।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-44644294499746455952010-02-21T08:30:27.294+05:302010-02-21T08:30:27.294+05:30अन्धविश्वासों और अन्धविश्वासियों की कमी नहीं है.
म...अन्धविश्वासों और अन्धविश्वासियों की कमी नहीं है.<br />मुझे भी कुछ अन्धविश्वासों की याद आती है :<br />1. एक बार के पत्ते पर नाग होने की अफवाह फैली. लोगों ने तोरी खाना छोड़ दिया था. <br />2. एक बार अफवाह फैली कि गंगा को पियरी चढ़ाना होगा वरना भाई मर जायेगा. <br />वस्तुत: यह एक सुनियोजित साजिश का ही परिणाम होता है. पर्दाफाश जरूरी है.M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-40307464834595651112010-02-21T08:00:41.639+05:302010-02-21T08:00:41.639+05:30अनेजा जी , ये बात सही है की व्यक्तिगत अनुभव संयोग ...अनेजा जी , ये बात सही है की व्यक्तिगत अनुभव संयोग मात्र भी हो सकते हैं।<br />इसी संयोग से श्रधा उत्पन्न होती है, जो विश्वास में बदल जाती है।<br />लेकिन आजकल लोग श्रधा का भी दिखावा कर अपने निहित स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करते हैं।<br />इस मामले में हमारे नेता लोग सबसे आगे हैं, भले ही वो राजनेता हों या धर्म गुरु।<br /><br />अगली कड़ी में चित्रों सहित पाखंडी गुरुओं और भोली भाली लेकिन बेवक़ूफ़ जनता ---पढना मत भूलियेगा।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-1538670663152318852010-02-21T07:50:13.370+05:302010-02-21T07:50:13.370+05:30हजारों वर्ष पूर्व हमारे पूर्वज "गीता" मे...हजारों वर्ष पूर्व हमारे पूर्वज "गीता" में 'काले अक्षरों' में लिख गए कि हर गलती का कारण अज्ञान होता है...और यह भी हर कोई जानता है कि एक जीवन काफी नहीं है सम्पूर्ण ज्ञान हासिल करने में...किसी ज्ञानी ने यह भी सत्य कहा कि " पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ/ पंडित भया न कोई..." <br /><br />सरल उदाहरण के तौर पर, हमें जब कोई गणित के प्रश्न में अनजाना खोजना होता है तो उसे 'एक्स' (x) कहते हैं: जैसे यदि कहा जाए x-४ = ० (परम भगवान् को शून्य या जेरो माना जाता है :) ...और (x) को विभिन्न संख्या के बराबर मान उसकी सही कीमत तब जान लेते हैं जब उत्तर सही बैठता है, (जैसे यदि १ हो तो १-४ = -३, २-४ = -२, ३-४ - -१, सब गलत होगा किन्तु अंत में ४-४ = ० हमें अनजाने भौतिक भगवान् तक पहुंचा देगा :) <br /><br />किन्तु यह भी सब जानते हैं कि मानव जीवन की पहेली इतनी सरल नहीं लगती है आम 'अज्ञानी आदमी' को, (जबकि शिव को भोलेनाथ कहा गया प्राचीन ज्ञानी द्वारा): ये एक उलझे हुए धागे के गोले के समान दिखती है जिसे सुलझाने के लिए इतनी खींचा तानी हो चुकी है अब तक कि हर आदमी 'सरकार' को, 'बाबा' को, और यूं किसी न किसी को, जैसे 'सूक्ष्माणु ' को (क्यूंकि भगवान् सूक्ष्म से अनंत तक माना गया है, और अनंत को सांकेतिक भाषा में अरेबिक '8', हिंदी के '४', "ब्रह्मा के चार मुख", को लिटा के दर्शाया जाता है :), दोष दे छूट जाना चाहता है 'सत्य की खोज' से बचने के लिए...किन्तु 'ज्ञानी' यह भी कह गए कि एक बार "आप (आत्मा) इस चक्र में घुस गये तो 'बच्चू' फंसे ही रह जाओगे: इससे आप नहीं बच सकते" :) अब 'आप' पर निर्भर करता है कि आप 'मुन्ना भाई' कि तरह लगे रहना चाहोगे या छूटना :)<br /><br />सबसे आसान तरीका प्राचीन ज्ञानी के अनुसार निराकार ('कृष्ण') पर 'अपने जीवन की नैय्या' - लहरों की उंच-नीच का भी आनंद लेते - छोड़ देना बताया गया है...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-59058446646511185462010-02-21T00:49:47.298+05:302010-02-21T00:49:47.298+05:30डा.साहब, अंधविश्वास विश्वास से ज्यादा प्रभावी सिद्...डा.साहब, अंधविश्वास विश्वास से ज्यादा प्रभावी सिद्ध होता है। जैसी घटनाओं का जिक्र अदा जी ने किया है, वे अपनी जगह बिल्कुल सही होंगी क्योंकि ये उनके व्यक्तिगत अनुभव हैं। ऐसे अनुभव मेरे समेत हम में से कईयों के होंगे। लेकिन,जो प्रचार-प्रसार के द्वारा अपने को चमत्कारी सिद्ध कर रहे हैं, वे सभी मजमेबाज और मार्केटिंग परसोनल हैं। जे.सी.साहब जैसे उदाहरण दे रहे हैं तो कौन सी पार्टी के राजनेता ये हथकंडे नहीं अपना रहे हैं? सोनियाजी की पार्टी क्या महज इसीलिये जीत गई कि सोनिया जी ’महाकाल’ के दर्शन कर आईं? और क्या आस्था के स्थानों पर दूसरी पार्टियों के नेतागण नहीं गये, इसीलिये वे पार्टियां चुनाव हार गईं? भगवान को न मानने वाले बहुत से कम्युनिस्ट भी धार्मिक स्थानों पर जाते हैं और कर्मकांड निभाते हैं। हम लोगों को आदत सी हो गई है कि या तो किसी बात को आंख बंदकर मान लेते हैं या नकार देते हैं। तर्क या सार्थक बहस की हमें आदत ही नहीं है।<br />आपकी यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-57496060369363976202010-02-20T21:24:18.793+05:302010-02-20T21:24:18.793+05:30अपने अनुभव से किसी बात को जानना ही हरेक को सही लगत...अपने अनुभव से किसी बात को जानना ही हरेक को सही लगता है..परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-5903622336290101012010-02-20T20:48:57.658+05:302010-02-20T20:48:57.658+05:30जी हाँ, अजय भाई , ये दूसरे देशों में भी होता है।
ज...जी हाँ, अजय भाई , ये दूसरे देशों में भी होता है।<br />जैसे टोमाटो फैस्टिवल ---शायद ब्राज़ील या स्पेन में होता है। लेकिन वहां पैदावार ज्यादा होती है और खाने वाले कम।<br />लेकिन यहाँ तो खाने को ही नहीं मिलता फिर बर्बाद करने का क्या मतलब।<br /><br />मनोज जी और सुलभ , जंग जारी रहेगी। अभी तो और बाकी है।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-68714624636118589352010-02-20T20:32:07.835+05:302010-02-20T20:32:07.835+05:30डा. साहब जानते हैं सबसे कमाल की बात तो ये है कि ऐस...<i> <b> डा. साहब जानते हैं सबसे कमाल की बात तो ये है कि ऐसे अंधविश्वास न सिर्फ़ अपने देश में बल्कि ..पश्चिमी देशों में भी खूब प्रचलित हैं ..हां मगर ये देसी घी , टनों टन दूध आदि जैसी खाद्य सामग्री को खराब करने वाली बेवकूफ़ी वे नहीं करते , और इसका एक ही इलाज़ है ,...सबको शिक्षित किया जाए ... </b> </i><br /><a href="http://www.google.com/profiles/ajaykumarjha1973#about" rel="nofollow"> अजय कुमार झा </a>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-68937228057548650112010-02-20T18:06:06.653+05:302010-02-20T18:06:06.653+05:30यह है तो विश्वास ही
परन्तु एक नई वैरायटी है।यह है तो विश्वास ही<br />परन्तु एक नई वैरायटी है।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-24890594058968788922010-02-20T17:55:06.103+05:302010-02-20T17:55:06.103+05:30घनघोर अन्धविश्वास ,मुहिम जारी रखें,संकल्प के साथ.घनघोर अन्धविश्वास ,मुहिम जारी रखें,संकल्प के साथ.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-28014101023377302082010-02-20T17:22:17.294+05:302010-02-20T17:22:17.294+05:30दाराल सर जन जागरण जारी रखिये. अन्धविश्वाश बड़ा बाध...दाराल सर जन जागरण जारी रखिये. अन्धविश्वाश बड़ा बाधक है अपने देश में.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-60923281932048687992010-02-20T16:36:04.505+05:302010-02-20T16:36:04.505+05:30ये तो पूरी तरह से अंधविश्वास वाली बात है जिसे ख़त...ये तो पूरी तरह से अंधविश्वास वाली बात है जिसे ख़त्म कर देने में ही भलाई है! मैं तो इन सब बातों को बिल्कुल नहीं मानती! बहुत ही बढ़िया पोस्ट!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-61305092587103810262010-02-20T13:35:31.552+05:302010-02-20T13:35:31.552+05:30डा दराल साहिब ~ आपने सही कहा, "...जब तक प्रमा...डा दराल साहिब ~ आपने सही कहा, "...जब तक प्रमाणित नहीं हो जाता तब तक हरेक ऐसी घटना जो अचंभित कर दे , एक चमत्कार ही नज़र आती है..." <br /><br />कुछ घटनाओं का प्रमाण मिल पाना लगभग असंभव है: जैसे सन १९८१, ८ दिसम्बर के दिन गौहाटी में मेरी दस वर्षीया लड़की ने मुझसे आ कर पूछा कि क्या मेरी इम्फाल की फ्लाईट कैंसल हो गयी थी? अभी मैं एअरपोर्ट के लिए निकला भी नहीं था! वहां पहुँचने पर पता चला कि हवाई जहाज तकनिकी खराबी के कारण दिल्ली से उड़ान सही समय पर नहीं भर पाया था, यानि १० बजे जब मेरी लड़की ने मुझसे पूछा था...जब वह देर से पहुंचा भी तो पाईलट ने कहा वो शाम को संभावित धुंध होने के कारण गौहाटी से सीधा दिल्ली लौट रहा है, इम्फाल नहीं जायेगा! <br /><br />और यूँ उसकी भविष्यवाणी सही हो गयी, जबकि उसने कोई विशेष प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया था मंत्र-तंत्र आदि में! अपनी माँ को भी रसोई में कहा कि आपने पापा को समय से ब्रेक्फास्ट नहीं खिलाया, देख लेना उनकी फ्लाईट कैंसल हो जाएगी!<br /><br />में अगले दिन जा तो पाया, किन्तु सोचता रह गया कि मेरे उस दिन समय पर नहीं खाने से क्या सम्बन्ध था? यद्यपि मुझे याद आ गया था कि उसी दिन ठीक ३ वर्ष पहले मेरी माँ का स्वर्गवास दिल्ली में ही हुआ था...और तब में भूटान में था,,,जिस कारण मैं जब दिल्ली पहुंचा तो सीधे हरिद्वार चला गया था अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ...और मेरे बड़े भाई हिन्दू मान्यतानुसार वार्षिक श्राद्ध आदि का कार्य देख रहे थे...जिस कारण मैंने उस विषय पर सोचा ही नहीं था... <br /><br />उस लड़की ने बाद में एन आई डी, अहमदाबाद, से कोमुनीकेशन डिज़ाइन का कोर्स किया... और विभिन्न कार्यालयों में प्रिंटिंग मीडिया से सम्बंधित रही है...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.com