tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post3705361877589966011..comments2024-03-19T14:53:25.365+05:30Comments on अंतर्मंथन: क्या करूँ कंट्रोल नही होता ---विश्व तम्बाकू रहित दिवस पर एक रचना ----डॉ टी एस दरालhttp://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-62787178589274201272010-08-11T19:29:43.069+05:302010-08-11T19:29:43.069+05:30बहुत ही बढ़िया...प्रेरणादायक रचनाबहुत ही बढ़िया...प्रेरणादायक रचनाराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-83117320870684834032010-06-03T13:59:10.295+05:302010-06-03T13:59:10.295+05:30"सबसे ज्यादा क्रोनिक ब्रोंकाइटिस गाँव के हुक्..."सबसे ज्यादा क्रोनिक ब्रोंकाइटिस गाँव के हुक्का पीने वालों को ही होती है."<br /><br />आपकी बात गलत नहीं हैं, मैं आपकी उपरोक्त बात से सहमत हूँ.<br /><br />लेकिन गाँववाले सारे दिन हुक्का गुड़गुड़ाएंगे तो ये सब तो होना ही स्वाभाविक हैं.<br /><br />सिगरेट जितना (अधिकतम दस कश) हुक्का पियो, और अगर कुछ हो जाए तो मुझे आकर पकड़ लेना. लेकिन......लेकिन.....शर्त ये हैं कि-"पूरे दिन में तीन-चार सिगरेट (अधिकतम तीस-चालीस कश) जितना हुक्का पीना होगा, ये नहीं की बीस-पच्चीस सिगरेट जितना हुक्का पियें."<br />(मैं इस बारे मैं इतना कांफिडेंट इस कारण हूँ क्योंकि ये बात मैंने कई डाक्टरों से भी पूछी थी. मेरे दादा जी को दो बार हार्ट अटैक आ चुका हैं, तब इस बारे में मैं डाक्टर के पास गया था.)<br />धन्यवाद.<br />WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COMचन्द्र कुमार सोनीhttps://www.blogger.com/profile/13890668378567100301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-10749013379869539782010-06-02T15:07:28.047+05:302010-06-02T15:07:28.047+05:30सार्थक पोस्ट...सार्थक पोस्ट...स्वातिhttps://www.blogger.com/profile/06459978590118769827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-22959670082911438032010-06-02T11:23:23.416+05:302010-06-02T11:23:23.416+05:30डा. साहिब एवं आचार्य जी, मान्यतानुसार ऐसा प्रतीत ह...डा. साहिब एवं आचार्य जी, मान्यतानुसार ऐसा प्रतीत होता है कि प्राचीन भारत में (कलियुग के, 'समुद्र-मंथन' के आरंभ में जब धरा पर हालाहल व अन्य छोटे-बड़े विष व्याप्त हो गए होंगे) सिगरेट व तम्बाखू मजबूरी रहा होगा 'गुफा-मानव' के लिए,,, जब हलाहल / कालकूट (सायनाइड) 'गंगाधर शिव' ने (यानि पृथ्वी ने) अपने गले में धारण कर लिया और 'नीलकंठ महादेव' कहलाये गए... <br /><br />फिर 'महाकाल-नियंत्रित' उत्पत्ति के साथ-साथ जोगी, यानि सत्य जानने वाले साधक अथवा 'ब्राह्मण', प्रगट हुए होंगे जो प्रकृति अथवा तीनॉ लोक के अदृश्य राजा, त्रिपुरारी निराकार ब्रह्म के अदृश्य हाथ देख पाए होंगे,,, कृष्ण-लीला, अथवा अष्ट-भुजा धारी दुर्गा, 'अभेद्य कवच' प्रदान करने वाली देवी की लीला द्वारा वर्णित मायावी भौतिक शरीर को दर्शाती...<br /> <br />जो थोडा-बहुत मैंने एक वैज्ञानिक होने के नाता जाना, प्राचीन 'हिंदू योगी', यानि वो भारतीय जिन्होंने सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति को दर्शाने के लिए उसके प्रतिरूप मानव शरीर की संरचना में शक्ति को दर्शाने हेतु 'इन्दू' अथवा चन्द्रमा के सार को मानव के मस्तिष्क में जाना (सतयुग के दौरान सम्पूर्ण शक्ति से आरंभ कर ७५% तक, और अन्य काल में कलियुग तक घटती, २५% से शून्य तक),,, और अन्य काल की विविधता दर्शाने हेतु नीचे 'मूलाधार' तक अन्य सात ग्रहों के सार, सात अन्य केंद्र-बिन्दुओं में स्थित,,, जिनमें सम्पूर्ण शक्ति का शेष विभिन्न स्तर में युग के अनुसार वितरित रहती है...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-89557991035225641152010-06-01T20:00:19.834+05:302010-06-01T20:00:19.834+05:30डा. साहिब, आपने एक दम सही कहा कि धूम्रपान और तम्बा...डा. साहिब, आपने एक दम सही कहा कि धूम्रपान और तम्बाखू से बचना आवश्यक है...<br /><br />किन्तु सत्य यह भी है कि आज अनेक कारणों से विष के स्रोत अनंत हो गए हैं भले ही वो शहर, या गाँव ही, क्यूँ न हों,,, जिस कारण किसी भी व्यक्ति को विष से शरीर को बचा पाना अब नामुमकिन नहीं तो कठिन अवश्य है... और इस कारण आवश्यकता है मन को हर हालत में साधने की, जैसा हमारे पूर्वज भी कह गए... जो जीवन का सत्य जान लेने के बाद थोडा सरल हो जाता है,,, जिस कारण योगियों को देसी-विदेशी लोग आज भी पूछ रहे हैं,,, किन्तु काल के प्रभाव से कुछेक 'अंध-विश्वासी' ठगे भी जा रहे हैं :(JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-89789923742998938542010-06-01T19:17:03.306+05:302010-06-01T19:17:03.306+05:30बहुत ज्ञानवर्धक और शिक्षा दायक पोस्ट. शुभकामनाएं.
...बहुत ज्ञानवर्धक और शिक्षा दायक पोस्ट. शुभकामनाएं.<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-19786155696078095792010-06-01T18:27:06.163+05:302010-06-01T18:27:06.163+05:30जानकारी से परिपूर्ण पोस्ट। बहुत सार्थक। बहुत बहुत ...जानकारी से परिपूर्ण पोस्ट। बहुत सार्थक। बहुत बहुत धन्यवाद। मेरी ओर से बधाई भी स्वीकारें।<br /><br />http://udbhavna.blogspot.com/पंकज मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/05619749578471029423noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-51582840247292921352010-06-01T18:16:29.400+05:302010-06-01T18:16:29.400+05:30मेरे विचार से हुक्का भी उतना ही हानिकारक है जितना ...मेरे विचार से हुक्का भी उतना ही हानिकारक है जितना बीडी सिगरेट।<br />आजकल हुक्का क्लब जगह जगह खुल रहे हैं जो यूवाओं को भ्रमित कर रहे हैं ।<br /><br />सबसे ज्यादा क्रोनिक ब्रोंकाइटिस गाँव के हुक्का पीने वालों को ही होती है । <br />इसलिए सभी प्रकार के धूम्रपान और तम्बाखू के सेवन से बचना चाहिए ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-31112539288812290502010-06-01T17:56:50.864+05:302010-06-01T17:56:50.864+05:30हमने बचपन से अपने पिताजी को घर में हुक्का पीते देख...हमने बचपन से अपने पिताजी को घर में हुक्का पीते देखा, और ऑफिस सिगरेट का पैकेट लेजाते,,, इस कारण लगा ही नहीं कि धूम्रपान बुरा हो सकता है! शर्मा जी समान, पिताजी द्वारा छोड़े गए हलके गरम हुक्के का कश हम भी लगा लिया करते थे कभी-कभी ('गुड़ -गुड़' आवाज़ 'गुड' यानी अच्छी लगती थी)! किन्तु जब उनके अंतिम वर्ष, '८५-'८६ में, वे हमारे साथ रहने आये तो मैंने उनसे पूछा उन्होंने धूम्रपान क्यूँ आरम्भ किया? उनका उत्तर था कि उनके समय में बुजुर्गों के साथ बैठ हुक्का पीना तो किसी व्यक्ति को इनाम मिलने जैसा था, यानी समाज द्वारा इज्जत प्रदान किया जाना,,, तब समाज द्वारा ‘बुरे व्यक्ति’ का “हुक्का-पानी” बंद कर दिया जाता था,,, उसके प्रतिबिम्ब समान जैसे आज 'अमेरिका' किसी 'उद्दंड देश' पर ‘आर्थिक प्रतिबन्ध’ लगा देता है!<br /><br />हमारे पहाड़ी घर से बाज़ार जाने के लिए दो रास्ते हैं. नीचे वाला बच्चों के लिए वर्जित था क्यूंकि उस मार्ग में ‘शराब की भट्टी’ थी! हमें यह तब पता चला जब हम दिल्ली से स्कूल की छुट्टियों में घूमने गए हुए थे और जब एक सुबह हम नीचे वाला रास्ता देखना चाह उस ओर निकल पड़े, तो हमें आश्चर्य हुआ ताऊजी के बेटे को देख क्यूंकि उसके चेहरे पर हवाईयाँ उड़ रहीं थी! कि यदि किसी बुजुर्ग ने देख लिया तो, छोटी जगह होने के कारण, सारे शहर में यह खबर जंगल की आग समान फैल जाएगी! दिल्ली में भी तब चलन था कि हम किसी की साइकिल को भी हाथ नहीं लगाते थे कि कहीं हमारी शिकायत न हो जाए, और नतीजतन पिटाई! <br /><br />उपरोक्त से शायद समय के साथ प्रबंधन पर बढ़ते बुरे प्रभाव को मुख्यतया जन-संख्या का, आकार में घटती भारत-भूमि पर, कई कारणों से बेलगाम बढ़ना कहा जा सकता है...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-56695299942725141702010-06-01T14:57:02.903+05:302010-06-01T14:57:02.903+05:30thanks.
aapki kavitaa bhi bahut pasand aayi.
again...thanks.<br />aapki kavitaa bhi bahut pasand aayi.<br />again thanks.<br />WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COMचन्द्र कुमार सोनीhttps://www.blogger.com/profile/13890668378567100301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-11103118733643155962010-06-01T14:53:46.003+05:302010-06-01T14:53:46.003+05:30बहुत बढ़िया लिखा हैं आपने.
नशा कोई भी हो सभी के सभी...बहुत बढ़िया लिखा हैं आपने.<br />नशा कोई भी हो सभी के सभी त्याज्य (त्यागने योग्य) हैं.<br />नशा नाश का द्वार हैं, नशा हर हाल में छोड़ना चाहिए, चाहे कोई भी, किसी भी प्रकार का नशा हो.<br />वैसे मैं निजी तौर पर हुक्के को गलत नहीं मानता हूँ.<br />क्योंकि एक तो ये पारंपारिक, प्राचीन भारतीय संस्कृति का घोत्तक हैं और दूसरा अगर सिगरेट के बराबर (अधिकतम दस कश) हुक्का पीया जाए तो सिगरेट के मुकाबले दस गुना कम हानिकारक हैं. हुक्का पिने वाला घंटा-दो घंटा लगातार पीता रहता हैं, और घंटे-दो घंटे में डेढ सौ से दो सौ कश लगा डालता हैं, इसलिए नुकसान उठाना पड़ता हैं.<br />अगर कोई व्यक्ति सिगरेट जितना (अधिकतम दस कश) हुक्का पिए, तो निश्चित रूप से नुकसान से बच सकता हैं.<br />(ये मेरे निजी विचार हैं. और सिगरेट-हुक्के के सेवन के सम्बन्ध में जो विचार मैंने रखें हैं उनकी पुष्टि एनसाईंक्लोपीडिया से भी की जा सकती हैं. हुक्के का सेवन सिगरेट जितना करने, जैसी मेरी बात की पुष्टि एनसाईंक्लोपीडिया भी कर रहा हैं. वैसे मैं हुक्के को छोड़ कर सभी नशों के सख्त खिलाफ हूँ.)<br />धन्यवाद.<br />WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COMचन्द्र कुमार सोनीhttps://www.blogger.com/profile/13890668378567100301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-32163436487121455002010-06-01T13:19:59.759+05:302010-06-01T13:19:59.759+05:30बहुत सार्थक पोस्ट...और कविता भी बहुत अच्छी हैबहुत सार्थक पोस्ट...और कविता भी बहुत अच्छी हैshikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-86997354896092585852010-06-01T11:53:10.095+05:302010-06-01T11:53:10.095+05:30डा. साहिब, पहली टिप्पणी में 'उपस्थिति' शब्...डा. साहिब, पहली टिप्पणी में 'उपस्थिति' शब्द गलत लिखा गया! क्षमा प्रार्थी हूँ! <br /><br />इस से याद आता है की एक समय जब हम कुछेक सह-कर्मी फ्रेंच भाषा सीखने का निर्णय लिए तो हमारी पहली क्लास की टीचर, एक काफी सख्त मैडम ने हम को आगाह करते हुए कहा था की कोई भी विद्यार्थी गलत शब्द न उच्चारे! क्यूंकि अन्य विद्यार्थी भी गुरु से सही सीखने के स्थान पर अपने सहपाठी की नक़ल कर अधिकतर शब्दों के उच्चारण को गलत धारण कर लेते हैं! <br /><br />किन्तु, तीसरी क्लास की एक अन्य मैडम ने मुझे कहा की मैं लिख अच्छा लेता था किन्तु बोलने में फिसड्डी था! कारण बताने पर, उन्होंने कहा गलती तो होगी ही किन्तु अभ्यास से ही सुधार संभव है!<br /><br />अब लगता है कि शायद यह प्रकृति का ही संकेत रहा होगा… यानि इस से शायद समझा जा सकता है कि बच्चे अन्य दूस्रारों की, बन्दर समान, नक़ल कर धुम्रपान - या कई और 'गलत' काम (किन्तु कुछेक ‘सही’ भी, यदि ‘भाग्यवान’ हों!) - आरंभ कर देते हैं क्यूंकि उनको तब उसका अंजाम पता नहीं होता,,, और यदि (टीवी पर जैसे) देखा भी हो तो उन्हें लगता है यह उन के साथ नहीं होगा, जैसे दुर्घटना तो सड़क पर भी रोज ही घटती रहती है, किसी और के साथ!...<br /><br />'गीता' में भी लिखा है कि हर गलत काम अज्ञानतावश किया जाता है!...<br /><br />और ज्ञान निजी अनुभव से ही अधिक प्राप्त होता है,,, और केवल ज्ञानी ही दूसरों की गलती से भी सीख सकते हैं! <br /><br />[प्राचीन भारतीय ज्ञानी उपदेश दे गए की ५ से १६ वर्ष की आयु तक के बच्चों पर कड़ी नज़र रखना आवश्यक है!]…JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-3370068940084047842010-06-01T11:26:17.989+05:302010-06-01T11:26:17.989+05:30बढिया सन्देश दिया है जी आपने, इस रचना के द्वारा
बह...बढिया सन्देश दिया है जी आपने, इस रचना के द्वारा<br />बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट<br /><br />प्रणाम स्वीकार करेंअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-33788717940824555622010-06-01T10:13:57.902+05:302010-06-01T10:13:57.902+05:30चेतावनी देती हुई पोस्ट बहुत बढ़िया रही!चेतावनी देती हुई पोस्ट बहुत बढ़िया रही!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-83730026987961621782010-06-01T09:19:46.206+05:302010-06-01T09:19:46.206+05:30आईये, मन की शांति का उपाय धारण करें!
आचार्य जीआईये, मन की शांति का उपाय धारण करें!<br />आचार्य जीआचार्य उदयhttps://www.blogger.com/profile/05680266436473549689noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-48704978531593008272010-05-31T23:07:46.233+05:302010-05-31T23:07:46.233+05:30...डा.साहब क्यों डरा रहे हो?? .... प्रसंशनीय पोस्ट......डा.साहब क्यों डरा रहे हो?? .... प्रसंशनीय पोस्ट !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-24208942211512234482010-05-31T21:31:33.726+05:302010-05-31T21:31:33.726+05:30डा. साहिब, कविता तो बढ़िया है, किन्तु तथ्य भी '...डा. साहिब, कविता तो बढ़िया है, किन्तु तथ्य भी 'सत्य' को प्रदर्शित करते हैं ("विश्व में प्रतिवर्ष ५०,००० करोड़ सिग्रेट और ८००० करोड़ बीडियाँ फूंकी जाती हैं।",,, और प्राचीन ज्ञानी भी कह गए कि कलियुग के आरंभ में विष उत्पन्न हुआ जिसे शिव ने गले में धारण किया! )... '७५से '९१ तक शिव को याद कर खूब सिगरेट पी, और एक दिन अचानक छोड़ दी / शीशे की बनी राख-दानी हवा में उछाल तोड़ दी! <br /><br />अब सोचता हूँ कि लोग धूम्रपान क्यूँ करते हैं? क्या काल के प्रभाव को और शिव की उपस्तिथि को दर्शाते हैं?JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-91448094960943449242010-05-31T20:38:35.690+05:302010-05-31T20:38:35.690+05:30बहुत सुंदर बात कही आप ने, हमे तो मालूम था आप ने एक...बहुत सुंदर बात कही आप ने, हमे तो मालूम था आप ने एक दिन ऎसा ही कहना है, इस लिये हम ने १८ साल पहले ही इसे त्याग पत्र दे दिया थाराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-81729977199054517542010-05-31T18:55:30.101+05:302010-05-31T18:55:30.101+05:30बहुत सार्थक और इंट्रेस्टिंग पोस्ट.... मैं तो कुछ भ...बहुत सार्थक और इंट्रेस्टिंग पोस्ट.... मैं तो कुछ भी नहीं लेता.....Mahfooz Alihttps://www.blogger.com/profile/03655176540994817573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-32760250408660868032010-05-31T18:45:51.495+05:302010-05-31T18:45:51.495+05:30वाह डाक्टर साहब ... सिगरेट का इतिहास फिर उसका एक्स...वाह डाक्टर साहब ... सिगरेट का इतिहास फिर उसका एक्स रे ... फिर उस पर हास्य व्यंग की धार ,... आज तो बहुत कुछ है आपके ब्लॉग पर .... बहुत लाजवाब पोस्ट बन पड़ी है ये ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-35069508786891682792010-05-31T18:25:07.057+05:302010-05-31T18:25:07.057+05:30ये धूम्रपान की आदत , आसानी से कहाँ जा पाती है
पहले...ये धूम्रपान की आदत , आसानी से कहाँ जा पाती है<br />पहले सिग्रेट हम पीते हैं , फिर सिग्रेट हमें खा जाती है ।<br /><br />कटु सत्य यही है मगर मानता कौन है ? एक जागरूक करती पोस्ट व ख़ूबसूरत रचना डा ० साहब !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-36073527964594385292010-05-31T18:03:33.005+05:302010-05-31T18:03:33.005+05:30बहुत सार्थक पोस्ट...और कविता भी बहुत अच्छी है ......बहुत सार्थक पोस्ट...और कविता भी बहुत अच्छी है ...सीख देती रचनासंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-64877343887824667942010-05-31T17:51:46.772+05:302010-05-31T17:51:46.772+05:30हम तो इस पान से बच गए
कभी भी नहीं किया ध्रुमपान
एक...हम तो इस पान से बच गए<br />कभी भी नहीं किया ध्रुमपान<br />एक दिन हुक्का को मुंह लगाया<br />नै के पानी ने निकाली जान<br />तभी से चेत गए श्रीमान<br /><br />आभारब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.com