tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post2893841911599648408..comments2024-03-21T12:48:25.921+05:30Comments on अंतर्मंथन: ब्लोगिंग --सदी का श्रेष्ठतम अविष्कार ....डॉ टी एस दरालhttp://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comBlogger53125tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-30659621847323405292011-09-19T18:57:13.758+05:302011-09-19T18:57:13.758+05:30सही कह रहे हैं संतोष जी ।
लेकिन एक आध लोग ऐसे हैं ...सही कह रहे हैं संतोष जी ।<br />लेकिन एक आध लोग ऐसे हैं जो समझाने पर भी नहीं समझ रहे ।<br />उल्टा समझाने वाले को ही लपेट रहे हैं । शायद उन्हें भी कभी सद्बुद्धि मिले ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-87873408285279503652011-09-19T18:37:58.174+05:302011-09-19T18:37:58.174+05:30आज का सबसे ज्वलंत प्रश्न यही है कि ब्लोगिंग-लेखन क...आज का सबसे ज्वलंत प्रश्न यही है कि ब्लोगिंग-लेखन कैसा हो? शुरू में तो कई लोग शौकिया यह काम करते हैं फिर ज़बरिया होने लगता है.क्या लिखना न लिखना यह तो व्यक्तिगत निर्णय है पर ऐसा कुछ हो जो मनोरंजन या सामाजिक-हित की थोड़ी बहुत आपूर्ति करता हो !बिलकुल निजी या वाहियात प्रसंगों से बचना चाहिए !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-47891777397584213292011-09-19T02:44:07.020+05:302011-09-19T02:44:07.020+05:30हर हाल में एक रोग ही है यह....हर हाल में एक रोग ही है यह....Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-18560249613314275412011-09-15T21:57:42.640+05:302011-09-15T21:57:42.640+05:30सही कहा आपने कि ब्लागिंग एक रोग है जिसकी दवा लुकमा...सही कहा आपने कि ब्लागिंग एक रोग है जिसकी दवा लुकमान तो क्या डॉ.दराल के पास भी नहीं है :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-35740496818486856012011-09-15T19:28:46.444+05:302011-09-15T19:28:46.444+05:30वाकई गजब का हरफन मौला आविष्कार है ... बेहतरीन पोस्...वाकई गजब का हरफन मौला आविष्कार है ... बेहतरीन पोस्ट...आभारसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-86549377108251209572011-09-15T17:22:30.596+05:302011-09-15T17:22:30.596+05:30हरकीरत जी , बहुत ध्यान से सारी टिप्पणियां पढ़ी हैं...हरकीरत जी , बहुत ध्यान से सारी टिप्पणियां पढ़ी हैं आपने ।<br />बेशक ब्लोगिंग के ये फायदे तो हैं ।<br />लेकिन अपनत्व क्यों ख़त्म होगा ?डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-83049090540205048022011-09-15T12:19:17.196+05:302011-09-15T12:19:17.196+05:30हरकीरत जी, "सुन्दरता देखने वाले की आँख में हो...हरकीरत जी, "सुन्दरता देखने वाले की आँख में होती है"...<br />सेवा आदमी करता है भगवान् की या शैतान की :)JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-5531470283746930912011-09-15T11:27:26.382+05:302011-09-15T11:27:26.382+05:30वीरुभाई जी , चचा क्या बात है ? कहीं पे निगाहें , क...वीरुभाई जी , चचा क्या बात है ? कहीं पे निगाहें , कहीं पे निशाना !डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-53963163017398896952011-09-15T11:14:11.536+05:302011-09-15T11:14:11.536+05:30मुहब्बत का फैलता संसार है
सदी का श्रेष्ठतम आविष्का...मुहब्बत का फैलता संसार है<br />सदी का श्रेष्ठतम आविष्कार है। <br />अरविन्दजी आपकी आँखिन देखी सदैव ही जीवन्तता लिए होती है .सार्थक और सटीक भी .बहुत सही विश्लेषण और सूक्ष्म व्यंग्य प्रस्तुत है इस रिपोर्ट में ,सामने वाला चाहे तो समझे .आपकी ब्लोगिया दस्तक और निरंतर श्रेष्ठ लेखन के लिए ब्लोगिंग आपका आभार है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-59669764739078406882011-09-15T10:49:15.209+05:302011-09-15T10:49:15.209+05:30सदी का श्रेष्ठतम अविष्कार....
जी दराल जी ब्लोगिंग ...सदी का श्रेष्ठतम अविष्कार....<br />जी दराल जी ब्लोगिंग सदी का श्रेष्ठतम अविष्कार ही है ....और हम खुशनसीब हैं कि हम शुरूआती दौर के ब्लोगर हैं ....<br />क्या पता कल ये अपनत्व हो या न हो ....<br />बहरहाल ब्लोगिंग ने हिंदी का प्रचार खूब किया ....यहाँ कइयों ने शुद्ध लिखना सिखा ...कइयों ने कविता लिखने की शुरुआत ही यहाँ से की .....shayad ब्लोगिंग डिप्रेशन भी कम करती है ....क्यों....?<br /> आपकी पोस्ट पर टिप्पणियाँ भी मजेदार होती हैं .....<br /><br />दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi said...<br /><br /> मुझे तो आज तक समझ नहीं आया कि ये ब्लागरी क्या चीज है? चार बरस से लिख रहा हूँ। कभी पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो आश्चर्य होता है कि क्या यह मैं ने लिखा था? <br />हा...हा...हा...<br /> यही तो ब्लोगिरी है ....कभी कभी इतना अच्छा लिखवा जाती है की खुद हैरान होना पड़ता है ....<br />दुसरे जो अपनत्व और स्नेह यहाँ मिलता है उससे भी लिखने का हौंसला बढ़ता है....<br />@<br />जहां चार से ज़्यादा ब्लॉगर मौजूद... शांति...बीच-बीच में कराहने की आवाज़ें...एंबुलेस में सारे ढोए जा रहे हैं...<br /><br />हा...हा...हा....<br />मुझे तो महफूज़ साहब की याद आ गई खुशदीप जी ....<br /><br />@ "सेवा वो भी करता है जो केवल घूरता है",<br />जे सी साहब ये सेवा हमें पहली बार पता चली .....(ब्लॉग जगत से नई जानकारी ......:)))<br />अब अगर कोई घूरेगा तो समझूंगी सेवा हो रही है .....:))<br />राम नाम सत्य है'<br />मुर्दा बेटा मस्त है"!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-74426148848465823032011-09-15T10:19:41.912+05:302011-09-15T10:19:41.912+05:30ब्लोगिग की जितनी तारीफ की जाए कम हैं ...वैसे हर ची...ब्लोगिग की जितनी तारीफ की जाए कम हैं ...वैसे हर चीज़ के दो पहलु तो होते ही हैं ..जहा अच्छाई हैं वहाँ थोड़ी बुराई होना लाजमी हैं ..पर मुझे हर चीज़ अच्छी ही मिली ...नमन ब्लोगिग को ? भविष्य उज्जवल हैं इसका ..दर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-81038986733318588242011-09-15T06:01:43.874+05:302011-09-15T06:01:43.874+05:30डॉक्टर साहिब, मैंने रचना जी के ब्लॉग में नीचे दी ग...डॉक्टर साहिब, मैंने रचना जी के ब्लॉग में नीचे दी गयी टिप्पणी छोड़ी है... आपके चिंतन हेतु भी इसे दे रहा हूँ... <br /><br />**आपने डॉक्टर दराल के ब्लॉग में लिंक दिया तो आपके ब्लॉग के इस पोस्ट पर पहली बार आना हुआ, पहले की पोस्ट बिना पढ़ें... <br /><br />आपके ब्लॉग के आभासी जगत में पांच वर्ष आनंद उठाने की ख़ुशी में मुझे भी (एक शुद्ध 'टिप्पणीकार', दूध में मक्खी समान, की हैसियत से) आपको बधाई देते प्रसन्नता हो रही है... <br /><br />इससे याद आता है कि एक अन्य आभासी जगत भी है,,, चलचित्र के 'मायावी' कहलाये जाने वाले जगत का... <br />वहाँ भी संयोगवश (?) 'वास्तविक जगत' में मानव / पशु आदि जीवन के ही विभिन्न काल और स्थान पर विभिन्न दृष्टान्तों पर आधारित फिल्म बनती चली आ रही हैं, किन्तु मात्र १००+ वर्षों से ही, जहां पहले ख़ुशी का मान दंड होता था कि पिक्चर कितने सप्ताह किसी शहर / हॉल में चली, और वर्तमान में मान दंड केवल बॉक्स ऑफिस है - कितना करोड़ कमाया पहले हफ्ते में ही, भले ही वो कोई 'अश्लील' फिल्म ही क्यूँ न हो, जिसका आनंद 'शरीफों' ने भी उठाया हो... और उसी भांति ब्लॉग जगत में अधिकतर मान दंड है कि कितनी टिप्पणियाँ पायीं (?)!<br /><br />और वास्तविक माने जाने जगत में भी आज मान दंड हो गया है कितना माल कैसे भी कमाया (और स्विस बैंक में जमा किया?)...<br />सोचने वाली बात यह है कि कहीं यह भी वास्तविक जगत न हो कर, वास्तव में आभासी जगत ही तो नहीं है ??? (शेक्सपियर ने भी कुछ ऐसा ही कहा था न?)... <br /><br />"जय भारत माता, जगदम्बा"!**JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-1889970054839058822011-09-14T21:18:04.397+05:302011-09-14T21:18:04.397+05:30आपने अच्छा विश्लेषण किया है ब्लोगिंग का...
और टिप...आपने अच्छा विश्लेषण किया है ब्लोगिंग का...<br />और टिप्पणियों में भी बढ़िया विचार-मंथन हुआ है.<br /><br />अपने विचार दूसरों तक सरलता से पहुंचाने का ब्लोगिंग से बढ़कर और कोई माध्यम नहीं.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-34594531569004275642011-09-14T20:16:36.665+05:302011-09-14T20:16:36.665+05:30वैसे डॉक्टर साहिब, एक दृष्टिकोण से देखा जाए तो क्य...वैसे डॉक्टर साहिब, एक दृष्टिकोण से देखा जाए तो क्या टाटा अपने लिए लोहा बना रहे है?<br /> <br />मैं तो यह कहूँगा कि सभी 'सरकारी' ही हैं, और जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार / योजना आयोग के माध्यम से ही विभिन्न सैक्टर में - पञ्च वर्षीय योजनाओं के अंतर्गत - देश की प्रगति हेतु अपना अपना योगदान दे रहे हैं (?)...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-43641206510825519172011-09-14T19:07:32.151+05:302011-09-14T19:07:32.151+05:30रचना जी , बेशक ऐसा भी होता है ।
लेकिन जहाँ बुराइया...रचना जी , बेशक ऐसा भी होता है ।<br />लेकिन जहाँ बुराइयाँ होती हैं , वहां अच्छाइयां भी होती हैं ।<br />क्यों न बुराइयों को नज़रअंदाज़ करें और अच्छाइयों को अपनाएं ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-75247237193619982162011-09-14T19:04:52.006+05:302011-09-14T19:04:52.006+05:30दिव्या जी , आपका क्षुब्ध होना अपनी जगह ज़ायज़ है ।...दिव्या जी , आपका क्षुब्ध होना अपनी जगह ज़ायज़ है ।<br />वैसे जैसा मैंने बताया , मैंने यह पोस्ट दो साल पहले लिखी थी । और अंत में लिखा सवाल ज़वाब एक जोक था ।<br /><br />जहाँ तक ब्लोगिंग का सवाल है --लोग किसी के कहने से ब्लोगिंग शुरू तो करते हैं , लेकिन जारी रखना या छोड़ना एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है । कोई किसी को मज़बूर नहीं कर सकता छोड़ने के लिए । इसी तरह टिप्पणी भी स्वैच्छिक है । अक्सर लोग लेखक को देख कर टिप्पणी करते हैं । लेकिन हम तो टिप्पणी तभी करते हैं जब लेख पसंद आए या समझ आए । किसी मज़बूरी में कभी नहीं करते ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-74667068115089574382011-09-14T16:56:05.660+05:302011-09-14T16:56:05.660+05:30हिन्दू मान्यतानुसार, बहादुर तो अमृत दायिनी पार्वती...हिन्दू मान्यतानुसार, बहादुर तो अमृत दायिनी पार्वती के सुपुत्र लम्बोदर गणेश है (अध्यात्मिक शक्ति का भण्डार मंगल ग्रह, अंतरिक्ष अर्थात 'आकाश' में) जिसे उसकी माँ ('सोमरस', अर्थात देवताओं हेतु अमृत का स्रोत चन्द्रमा) ने बनाया - योगेश्वर विष्णु, (गंगाधर शिव अर्थात पृथ्वी के केंद्र में संचित अनंत गुरुत्वाकर्षण शक्ति) / संहारकर्ता शिव का प्रभाव कम कर देवताओं (सौर-मंडल के सदस्यों) को अमृत प्रदान करने हेतु शिव के ज्येष्ठ पुत्र माँ पार्वती के शक्तिशाली स्कंध कार्तिकेय (शुक्र ग्रह में विष को उसके वातावरण में एकत्रित कर :)... <br />शिव, पार्वती, कार्तिकेय, और गणेश (पृथ्वी, चन्द्र, शुक्र, मंगल), यही एक परिवार है जो सूर्य, बुद्ध, बृहस्पति, और (बानर सेना समान) ग्रहों के समूह ऐस्टेरौयद की सहायता से पृथ्वी पर पशु आदि जगत को भी चला रहे हैं अनंत काल से...<br />हमारे पूर्वज खगोलशास्त्री ही नहीं, सिद्ध पुरुष थे...यानि ऑल राउंडर जिन्होंने मानव को मिटटी का पुतला जाना, अर्थात ग्रहों के सार से बना...:)JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-70231873963183581422011-09-14T15:18:33.036+05:302011-09-14T15:18:33.036+05:30आपने ब्लोगिग पर सही लिखा है टाइम पास करने का और अ...आपने ब्लोगिग पर सही लिखा है टाइम पास करने का और अपने विचारों को प्रस्तुत करने के लिए यह एक बहुत अच्छा साधन है |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-42113404042161099142011-09-14T13:57:08.371+05:302011-09-14T13:57:08.371+05:30खुशदीप भाई , इस माहौल को सुधारना तो पड़ेगा .
मीना...खुशदीप भाई , इस माहौल को सुधारना तो पड़ेगा . <br />मीनाक्षी जी , अर्चना जी --सही कह रही है . सार्थक सोच . <br />जे सी जी --सेवा निवृत तो गैर सरकारी भी हो सकते हैं जैसे रतन टाटा छोड़ने जा रहे हैं . <br />मुर्दा बेटा मस्त है --मेरे विचार से यह प्रकरण पर निर्भर करता है . <br />इस बारे में अगली टिप्पणी में .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-28964235013417464632011-09-14T13:28:27.812+05:302011-09-14T13:28:27.812+05:30वैसे ये एक अच्छा साधन है समय के सदुपयोग का ... अगर...वैसे ये एक अच्छा साधन है समय के सदुपयोग का ... अगर सही ऊर्जा से किया जाय ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-86331951233982930362011-09-14T12:40:17.709+05:302011-09-14T12:40:17.709+05:30सेवानिवृत बुजुर्गों का सुकून है ,और मेरे जैसो के ...सेवानिवृत बुजुर्गों का सुकून है ,और मेरे जैसो के लिए ....<br />बुजुर्गों का टाईम पास भी ...बेशक सुकून के साथ .....<br />शुभकामनायें !अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-8314293308098670552011-09-14T11:54:16.373+05:302011-09-14T11:54:16.373+05:30पत्नी घर द्वार से दुखी
ब्लॉग लिख कर खुश
फिर भी कहत...पत्नी घर द्वार से दुखी<br />ब्लॉग लिख कर खुश<br />फिर भी कहती है आभासी<br />दुनिया में हम<br />रीयल दुनिया से भाग कर नहीं आये हैं<br /><br />पति , पत्नी से दुखी<br />कुछ समझती नहीं<br />सालो से एक घर में<br />रह कर भी<br />मानसिक रूप से अलग<br />ब्लॉग पर मर्मस्पर्शी कविता<br />लिखकर संबंधो में<br />मिठास भर रहे हैं और<br />फिर भी कहते हैं<br />हम आभासी दुनिया में<br />रीयल दुनिया से भाग कर नहीं आये<br /><br />वृद्ध , खाली घर में परेशान<br />बेटा , बेटी विदेश में<br />नेट पर ब्लॉग परिवार में<br />इजाफा कर रहे हैं<br />अपना समय परिवार से दूर<br />व्यतीत कर रहे हैं पर<br />कहते हैं हम रीयल दुनिया से<br />आभासी दुनिया में नहीं आये<br /><br />आज पढ़ा एक ब्लोगर<br />के भाई ने उससे नाता तोड़ रखा हैं<br />और वो ब्लोगर, बाकी सब ब्लोगर में अपना<br />भाई खोज रहा हैं<br />फिर भी कहता हैं हम<br />रीयल दुनिया से भाग कर<br />आभासी दुनिया में नहीं आये<br /><br />किसी ब्लोगर का ब्लॉग भरा हैं<br />रोमांटिक कविता से<br />और वोमन सेल में<br />मुकदमा चल रहा हैं पति की<br />यातना के खिलाफ<br />फिर भी कहते हैं<br />रीयल लाइफ में खुश थे<br />आभासी दुनिया में<br />बस यूहीं हैं<br /><br />किसी ब्लोगर की पत्नी ने<br />उनको नकार दिया था<br />क्युकी पत्नी का सौन्दर्यबोध<br />पति के शरीर को स्वीकार नहीं कर पाया<br />वही ब्लोगर नेट पर रोमांस करता पाया जाता हैं<br />फिर भी कहता हैं<br />रीयल लाइफ में सुखी हैं<br /><br />मै एक एकल महिला<br />रात को कमेन्ट पुब्लिश नहीं करती<br />क्युकी रात सोने के लिये होती हैं<br /><br />सुबह देखती हूँ हर विवाहित ब्लोगर<br />रात भर जग कर कमेन्ट देता हैं<br />और पुब्लिश ना होने का ताना भी<br /><br />और फिर भी कहता हैं उसकी जिन्दगी<br />में सब सही था<br />वो रीयल दुनिया के रिश्तो से भाग कर आभासी दुनिया में नहीं आया<br />http://mypoeticresponse.blogspot.com/2011/06/blog-post_24.htmlरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-20816171050995267572011-09-14T10:52:39.772+05:302011-09-14T10:52:39.772+05:30स्कूल के दिनों में एक सिख गुरु होते थे जिन्हें अपन...स्कूल के दिनों में एक सिख गुरु होते थे जिन्हें अपनी क्लास में चार लड़कों को - चारों कोने मैं एक को बिठा - मुर्गा बनाये बिना चैन नहीं आता था... और वो कहते थे 'अब चांडाल चौकड़ी पूरी हो गयी'! (और वैसे भी चार कंधे आवश्यक होते थे जब 'किसी की अर्थी उठती थी' (और आज चार पहिये की गाडी)... शोक संतप्त 'राम नाम सत्य है' कहते सड़क पर जाते दिखाई देते थे और इधर मैदान में खेलते कुछ शैतान बच्चे, हमारे मित्र, आहिस्ते से उस में जोड़ रहे होते थे. "मुर्दा बेटा मस्त है"! <br />जो गीता पढ़ी तभी समझ आया क्यूँ बच्चों को भगवान् कहा जाता है :)JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-64681676553822153392011-09-14T10:51:58.939+05:302011-09-14T10:51:58.939+05:30.
नमन है उन वीर सपूतों को जो पीठ दिखाकर ब्लौगिंग ....<br /><br />नमन है उन वीर सपूतों को जो पीठ दिखाकर ब्लौगिंग को छोड़ते नहीं ...<br /><br />नमन है उन बहादुरों को जो अच्छे-अच्छों को पीठ दिखाने के लिए मजबूर कर देने का दम ख़म रखते हैं...<br /><br />नमन है उन टिप्पणीकारों का जो दो आलेखों पर टिप्पणी करते हैं फिर पीठ दिखाकर भाग जाते हैं....<br /><br />इस बहादुर पोस्ट के लिए नमन है डॉ दाराल को "भगेडू" दिव्या का जिसने पीठ दिखाकर ब्लौगिंग छोड़ दी।<br /><br />सादर ,<br />दिव्या श्रीवास्तव<br />ZEAL<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-24527509161211230752011-09-14T09:54:51.025+05:302011-09-14T09:54:51.025+05:30@बुजुर्गों का टाईम पास है, युवाओं का समय ह्रास है।...@बुजुर्गों का टाईम पास है, युवाओं का समय ह्रास है।<br />वाह, क्या खरी बात है।<br /><br />@जहां चार ब्लॉगर मौजूद...तेरा फलाना...तेरा ढिमकाना...<br />;)Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com