tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post6987422634855823986..comments2024-03-21T12:48:25.921+05:30Comments on अंतर्मंथन: जिंदगी की डगर पर एक सफ़र , समीर लाल जी के साथ--देख लूँ तो चलूँ.डॉ टी एस दरालhttp://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-62813157795649574502011-02-11T19:10:17.434+05:302011-02-11T19:10:17.434+05:30बहुत आभार आपके इस अपार स्नेह का.बहुत आभार आपके इस अपार स्नेह का.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-33231032818090791692011-02-08T10:04:09.090+05:302011-02-08T10:04:09.090+05:30आद. डा. दराल जी,
समीर लाल जी की किताब के बारे में ...आद. डा. दराल जी,<br />समीर लाल जी की किताब के बारे में आपके विचार पढ़कर उनकी पुस्तक पढ़ने के लिए मन लालायित हो रहा है ! पुस्तक प्राप्ति का पता बता दें तो बड़ी कृपा होगी !ज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-42344465731392454852011-02-07T20:40:55.173+05:302011-02-07T20:40:55.173+05:30निर्मला जी , हमने तो पहले ही लिख दिया था कि यह समी...निर्मला जी , हमने तो पहले ही लिख दिया था कि यह समीक्षा नहीं है । इतनी सामर्थ्य ही नहीं है जी ।<br />आप लिखिए , हमें इंतजार रहेगा ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-28990927471461089122011-02-07T20:30:14.573+05:302011-02-07T20:30:14.573+05:30आप तो बहुत अच्छे समी़ाक हैं मै तो सोचती रह गयी कि ...आप तो बहुत अच्छे समी़ाक हैं मै तो सोचती रह गयी कि समीक्षा करूँगी मगर आप नम्बर ले गये। सच मे पुस्तक पढ कर आनन्द आ गया। समीर जी को बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-73226233863202413362011-02-07T17:44:39.514+05:302011-02-07T17:44:39.514+05:30वसन्त की आप को हार्दिक शुभकामनायें !वसन्त की आप को हार्दिक शुभकामनायें !संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-19183715054070908662011-02-07T17:43:31.921+05:302011-02-07T17:43:31.921+05:30बहुत अच्छी लगी समीक्षा।बहुत अच्छी लगी समीक्षा।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-73802969253610386012011-02-07T17:28:01.921+05:302011-02-07T17:28:01.921+05:30बहुत सुन्दर समीक्षा !
आभार डॉ दराल ।बहुत सुन्दर समीक्षा !<br />आभार डॉ दराल ।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-38390939597372425862011-02-07T17:20:15.051+05:302011-02-07T17:20:15.051+05:30खुशदीप जी , क्या करें मजबूरियां भी आ जाती हैं कभी ...खुशदीप जी , क्या करें मजबूरियां भी आ जाती हैं कभी कभी ।<br /><br />अरे वाह , हीर जी । फिर तो जल्दी ही आपकी भी बुक पढने को मिलेगी । वो भी मुफ्त में ।<br />हा हा हा ! गलतियाँ तो हमने भी देखी लेकिन पढने में इतना मज़ा आ रहा था कि उनकी तरफ ध्यान ही नहीं गया ।<br />आप भी ध्यान रखना और किसी मास्टर की मदद ले लेना जी ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-1305192437695151822011-02-07T12:33:20.591+05:302011-02-07T12:33:20.591+05:30डॉ साहब ये नए तरीके से समीक्षा हमें तो बहुत रास आई...डॉ साहब ये नए तरीके से समीक्षा हमें तो बहुत रास आई ....<br />हमने तो तय कर लिया सबसे पहले पुस्तक आपको ही भेजेंगे ....<br /><br />और ये देखूं तो चलूँ ....उस दिन से हमारे टेबल पे पड़ी है ...समीर जी को ढेरों बधाई इस पुस्तक के लिए ....<br />दुआ है वो दुसरे उपन्यास की तैयारी अभी से शुरू कर दें ...उनमें क्षमता है इस बात की ...उनका लेखन हमेशा स्तरीय होता है ...<br />एक दिन मैंने जब उन्हें कहा कि आप उपन्यास क्यों नहीं लिखते ...तब उन्होंने बताया कि वो लिख चुके हैं बस इंडिया आते ही विमोचन होगा ...<br />वैसे उनके इस लेखन में किसी मास्टरनी का भी हाथ है मुझे लगता है .....हा...हा...हा.....<br />जो लाल रंग से गल्तियाँ निकालती रही ....क्यों ....?हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-9212539369525508862011-02-07T09:00:30.339+05:302011-02-07T09:00:30.339+05:30डॉक्टर साहब,
समीर जी की किताब के हर अच्छे आयाम से...<b>डॉक्टर साहब, <br />समीर जी की किताब के हर अच्छे आयाम से आपने इस पोस्ट में परिचित करा दिया...<br /><br />समीर जी के प्रस्थान के वक्त मुलाकात में आपकी कमी सबको खली...लेकिन आप कर्मभूमि में थे, जिसे देखना भी बहुत ज़रूरी था...<br /><br />जय हिंद...</b>Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-74673006891909577962011-02-05T23:02:35.902+05:302011-02-05T23:02:35.902+05:30डॉ सा. कनाडा हो या लन्दन सब जगह एक जेसा माहोल हे ...डॉ सा. कनाडा हो या लन्दन सब जगह एक जेसा माहोल हे --इसलिए मुझे अपना वतन बेहद प्यारा हे --उपन्यास की समीक्षा पसंद आई --|दर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-76487047950767081072011-02-05T08:47:57.908+05:302011-02-05T08:47:57.908+05:30भाग ७ : "...जाने वाले चले जाते हैं । फिर आते ...भाग ७ : "...जाने वाले चले जाते हैं । फिर आते हैं मेहमान बनकर । बूढ़े मां बाप बस राह ही तकते रहते हैं उनके आने की ।"<br /><br />से याद आया साठ के दशक के आरम्भ में अमेरिका के दूतावास से हमारे कॉलेज आये श्री नूनन से हमारी, कुछ नवयुवकों की, दोनों देशों की संस्कृति पर तुलनात्मक चर्चा का,,, और उनके विचार सुन हमें गर्व हुआ अपने हिन्दुस्तानी, एक प्राचीनतम सभ्य संस्कृति का अंश, होने का,,,और उनसे सुना कैसे भारत में जो भी व्यवस्था अनादिकाल से चली आ रही थी कैसे उसमें हरेक सदस्य का ख्याल रखा गया था किन्तु कैसे अब वो पश्चिम के प्रभाव से टूट रही थी!JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-63481401418928374482011-02-05T08:18:49.608+05:302011-02-05T08:18:49.608+05:30पुस्तक का स्वाद तो पता नहीं कब चखने को मिलेगा पर स...पुस्तक का स्वाद तो पता नहीं कब चखने को मिलेगा पर समीक्षा बहुत बढ़िया रही. समीर लाल जी को भी बहुत बहुत बधाईयां.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-43074346641499474542011-02-04T18:14:05.436+05:302011-02-04T18:14:05.436+05:30इस सार संक्षेप पर पढकर उत्सुकता बढ गयी है।
-----...इस सार संक्षेप पर पढकर उत्सुकता बढ गयी है।<br /><br />---------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">ध्यान का विज्ञान।</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">मधुबाला के सौन्दर्य को निरखने का अवसर।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-39117501156130660222011-02-04T15:40:47.132+05:302011-02-04T15:40:47.132+05:30आपका अंदाज भी कम नहीं.आपका अंदाज भी कम नहीं.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-52300994884771950812011-02-04T13:22:38.754+05:302011-02-04T13:22:38.754+05:30आपने सुन्दर वर्णन किया है....पुस्तक है ही इतनी रोच...आपने सुन्दर वर्णन किया है....पुस्तक है ही इतनी रोचक, एक बैठक में ख़त्म करनेवालीrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-79195699179130879162011-02-04T00:43:01.695+05:302011-02-04T00:43:01.695+05:30संयोगवश मुझे भी अभी एक घंटे पूर्व ही गुरुदेव श्री ...संयोगवश मुझे भी अभी एक घंटे पूर्व ही गुरुदेव श्री समीरलालजी 'समीर' का दोनों देशों के बीच के मानव मन का यह समीर दर्शन "देख लूं तो चलूं" उनकी रोचक शैली के साथ एक बैठक में ही पढ पाने का सुयोग उपलब्ध हुआ और उपन्यासिका की समाप्ति के साथ ही अब आपकी ये समीक्षा भी मेरे सामने मौजूद है । वाकई ये जीवन के सफर में चलना सिखाने के साथ ही आर्ट आफ डाईंग तक पर नजर पहुंचाने वाली बेमिसाल कृति है ।Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-51681193332519008302011-02-03T23:34:39.874+05:302011-02-03T23:34:39.874+05:30बहुत सुंदर जी धन्यवादबहुत सुंदर जी धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-51348188177665046332011-02-03T23:13:50.045+05:302011-02-03T23:13:50.045+05:30बहुत अच्छी लगी समीक्षा। आपने इसे पढने की रुचि जगा ...बहुत अच्छी लगी समीक्षा। आपने इसे पढने की रुचि जगा दी।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-88871482875276971302011-02-03T20:32:04.156+05:302011-02-03T20:32:04.156+05:30बहुत ही ईमानदारी से आपने पुस्तक की समीक्षा की है!बहुत ही ईमानदारी से आपने पुस्तक की समीक्षा की है!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-48025317207375252632011-02-03T20:16:03.335+05:302011-02-03T20:16:03.335+05:30डा.सा :ने पुस्तक संक्षेप में स्पष्ट कर दी जिससे पू...डा.सा :ने पुस्तक संक्षेप में स्पष्ट कर दी जिससे पूरी पुस्तक का आभास हो गया.बहुत-बहुत धन्यवाद.vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-5560724020734210942011-02-03T20:00:34.310+05:302011-02-03T20:00:34.310+05:30बढ़िया मंत्र मुग्ध करने वाला लेख ! शुभकामनाये डॉ ...बढ़िया मंत्र मुग्ध करने वाला लेख ! शुभकामनाये डॉ साहब !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-16769383874314148872011-02-03T19:57:09.015+05:302011-02-03T19:57:09.015+05:30आपनें पढने की उत्सुकता और दूनी कर दी,आभार प्रस्तुत...आपनें पढने की उत्सुकता और दूनी कर दी,आभार प्रस्तुति के लिए.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-30515170968804754632011-02-03T19:48:21.750+05:302011-02-03T19:48:21.750+05:30इस सार संक्षेप के लिए आभार !इस सार संक्षेप के लिए आभार !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5777774725152282226.post-74199849098586808992011-02-03T18:37:20.794+05:302011-02-03T18:37:20.794+05:30"ऐसी ही होती हैं वहां की गलियां । एक दम सुनसा..."ऐसी ही होती हैं वहां की गलियां । एक दम सुनसान ।"<br /><br />डा० साहब, आप भले ही यह कहें कि यह समीक्षा नहीं है किन्तु आपने समीर जी के उपन्यास की अच्छी सारयुक्त समीक्षा पेश की है !<br /><br />उपरोक्त उद्धृत लाइन को पढ़कर कल का एक वाकया याद आ गया ! एक पाकिस्तानी न्यूज़ साईट को पढ़ रहा था! एक खबर थी कि पाकिस्तान के प्रतिव्यक्ति के सर के ऊपर ५७०५७ रूपये का विदेश लोंन है ! तो एक मुस्लिम भाई ने टिपण्णी कर रखीथी कि इसको कम करने का एक ही उपाय है कि हम लोग जनसंक्या को बढ़ाकर दुगना कर दे ! लों घटकर प्रति व्यक्ति आधा रह जाएगा ! :)पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.com